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Wednesday, March 31, 2010

मीडिया और न्यायपालिका की बुलंदी का दौर

शेष नारायण सिंह

हरियाणा में एक अदालत ने उन लोगों को सज़ा-ए-मौत का हुक्म दे दिया है जिन्होंने एक विवाहित जोड़े को मार डाला था. मारे गए पति पत्नी का तथाकतित जुर्म यह था कि उन्होंने पंचायत की मर्जी के खिलाफ अपनी पसंद से शादी कर ली थी. . पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में यह बहुत पहले से होता रहा है . ग्रामीण इलाकों में पंचायतों की स्थिति बहुत ही मज़बूत रही है और उन्हें मनमानी करने का पूरा अधिकार मिलता रहा है . इन् इलाकों में कुछ बिरादरी के लोगों ने अपने आप को एक खाप के रूप में संगठित कर रखा है .यह व्यवस्था बहुत ही पुरानी है ,. दर असल जब सरकारों की भूमिका केवल अपनी रक्षा और अपने राजस्व तक सीमित थी तो सामाजिक जीवन को नियम के दायरे में रखने का ज़िम्मा बिरादरी की पंचायतों का होता था. उस दौर में ज़िंदगी एक लीक पर चलती रहती थी लेकिन सूचना क्रान्ति के साथ साथ सब कुछ बदल गया. गावों में रहने वाले लडके लड़कियां पूरी दुनिया की सूचना देख सकते हैं , जान सकते हैं और बाकी दुनिया में प्रचलित कुछ रीति रिवाजों को अपनी ज़िंदगी में भी उतार रहे हैं . अब उनको मालूम है कि सभ्य समाज में अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ ज़िंदगी बसर करने का रिवाज़ है . उसे यह भी मालूम है कि यह मामला बिलकुल निजी है और उसमें किसी को दखल देने का अधिकार नहीं है . . सूचना क्रान्ति का ही दूसरा पहलू यह है कि देश के किसी भी इलाके से कुछ सेकंड के अन्दर ही कोई भी खबर पंहुचायी जा सकती है और कोई भी तस्वीर कहीं भी भेजी जा सकती है. यानी किसी भी गाँव में बैठी हुई कोई पंचायत क्या फैसला करती है , यह अब गाँव का मामला नहीं रह गया है . कोई भी घटना अब मिनटों के अन्दर पूरी दुनिया के सामने पेश की जा सकती है . पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में आजकल यही हो रहा है . सूचना क्रान्ति के पहले के ज़माने में खाप पंचायतें जो कुछ भी करती थें ,वह उन्हीं लोगों के बीच रह जाता था लेकिन अब वह पूरी दुनिया के सामने पेश कर दिया जाता है .. इसका मतलब यह नहीं है कि खाप पंचायतें पहले जो हुक्म देती थीं वे सही होते थे . फैसले तो गलत तब भी होते थे लेकिन अब उन फैसलों को बाकी दुनिया के पैमाने से नापा जाने लगा है .



ग्रामीण इलाकों में इन पंचायतों का इतना दबदबा है कि किसी नेता की हिम्मत नहीं पड़ रही है कि इस मामले में कोई पक्का रुख ले सके. हरियाणा के मुख्य मंत्री, भूपेंद्र सिंह हुड्डा से जब बात की गयी तो वे मामले को टाल गए. किसी टी वी चैनल में बी जे पी का एक छुटभैया नेता खाप पंचायतों को सही ठहरा रहे एक किसान नेता की तारीफ़ करने लगा . संतोष की बात यह यह है कि अब इन नेताओं के बस की बात नहीं है कि ये न्याय के रथ को विचलित कर सकें. अब सूचना क्रान्ति की बुलंदी का वक़्त है . इस क्रान्ति ने मीडिया को पूरी तरह से आम आदमी की पंहुच के अन्दर ला दिया है और किसी की भी दादागीरी लगभग हमेशा ही पब्लिक की नज़र में रहती है . . करनाल के किसी गाँव में एक ही गोत्र में शादी करने के कारण मौत के घाट उतार दिए गए मनोज और बबली का मामला भी इतिहास के इस मोड़ पर सामने आया जब कि कोई भी आदमी ऐलानियाँ तौर पर खाप वालों की मनमानी को सही ठहरा ही नहीं सकता.. करनाल के अतिरिक्त जिला और सेशन जज ने अपने १०५ पेज के फैसले में लडकी के भाई, चाचा और चचेरे भाई को को तो फांसी के सज़ा सुना दी . पंचायत के मुखिया को केवल उम्र क़ैद की सज़ा सुनायी. पंचायतों की इस तरह की मनमानी के किस्से रोज़ ही होते रहते हैं . नेताओं के अलगर्ज़ रवैय्ये के कारण इन् मामलोंमें कहीं कुछ होता जाता नहीं था . ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी जज ने खाप के आतंक से जुडे हुए मामले में शामिल लोगों को सज़ा सुनायी है . ज़ाहिर है इस फैसले की धमक दूर दूर तक महसूस की जायेगी. और भविष्य में मुहब्बत करके शादी करने वाले जोड़ों को भेड़ बकरियों की तरह मार डालने वाले इन आततायी पंचों को कानून का डर लगेगा . वरना अब तक तो यही होता था कि इनकी मनमानी के खिलाफ कहीं कोई कार्रवाई नहीं होती थी.

मौजूदा मामले में मारे गए लडके के परिवार वालों की भूमिका सबसे अहम है . उन्होंने तय कर लिया था कि उनके बच्चे को मारने वालों को न्याय की बेदी पर हाज़िर किये बिना उन्हें चैन नहीं है . लेकिन सबसे बड़ी भूमिका इस सारे मामले में मीडिया की है . जब से २४ घंटे के समाचार चैनल शुरू हुए हैं ,मीडिया के लोग इस तरह के मामलों को सार्वजनिक करने में संकोच नहीं कर रहे हैं . और जब सारी बात मीडिया की वजह से पहले ही पब्लिक डोमेन में आ जाती है तो उसे टाल पाना न तो नेताओं के लिए संभव होता है और न ही अन्य सरकारी संगठनों के अगर भविष्य में भी मीडिया इसी तरह से चौकन्ना रहा तो कुछ ही वर्षों में यह मध्यकालीन सामंती सोच ग्रामीण इलाकों से गायब हो जायेगी और फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के इन संपन्न इलाकों में मुहब्बत करने वालों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी.