शेष नारायण सिंह
नई दिल्ल्ली ,९ फरवरी .पंजाब और गोवा में विधानसभा चुनावों के लिए ४ फरवरी को वोट पड़ चुके हैं सत्ताधारी बीजेपी के लिए दोनों ही राज्यों से बहुत अच्छे संकेत नहीं आ रहे हैं . पंजाब में तो अकाली दल और बीजेपी के खिलाफ लहर सी लगती है . गोवा में रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने दिन रात एक कर दिया और प्रेक्षकों को लगता है कि उनकी मेहनत बीजेपी की इज्ज़त वहां बचा सकती है .ऐसी स्थिति में अगर उत्तर प्रदेश से भी बुरी खबर आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के लिए आगे का रास्ता घनघोर चिंता भरा हो जाएगा. ऐसी स्थिति में अब बीजेपी की ओर से उत्तर प्रदेश के चुनावों में अब २०१४ के मुद्दों का ज़िक्र होना बंद हो गया है . बीजेपी के प्रचारक अब विकास की बात नहीं कर रहे हैं. अब उनकी सारी कोशिश है कि चुनाव को साम्प्रादायिक ध्रुवीकरण के ढर्रे पर डाल दिया जाए. उनको मालूम है कि राज्य के मुसलमान तो वोट उसी को देगें जो बीजेपी को हराने में सक्षम होगा. इसलिए तुष्टीकरण अदि जुमलों को नए सन्दर्भों में प्रयोग किया जा रहा है . सबसे ताज़ा बयान आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत का आया है जिसमें उन्होंने भारत में रहने वाले मुसलमानों को हिन्दू घोषित कर दिया है . ज़ाहिर है बीजेपी के पक्षधर मुसलमान इस मुद्दे पर खूब हो हल्ला मचाएगें और ध्रुवीकरण की कोशिश की जायेगी . वैसे ध्रुवीकरण के लिए सबसे उपयोगी हथियार दंगा होता है लेकिन लगता है कि चुनाव आयोग के नियंत्रण में चल रही राज्य सरकार दंगा तो नहीं होने देगी. चुनाव घोषित होने के कुछ महीने पहले दादरी के बिसाहडा गाँव में एक महापंचायात करके दंगे कराने की कोशिश की गयी थी लेकिन मुकामी जिला प्रशासन ने उसको दबा दिया था. अब ध्रुवीकरण के लिए तीन तलाक़, मुसलमानों की पक्षधरता आदि मुद्दे चल रहे हैं . लेकिन अभी तक चुनाव में माहौल बनाने लायाक हालत नहीं बन पाई है.
पहले से चौथे राउंड तक के चुनावों में मुसलमानों की खासी भूमिका रहने वाली है .उत्तर प्रदेश में मुसलमान किसी भी सीट पर पक्की जीत तो नहीं दिलवा सकते हैं लेकिन एकाध सीट को छोड़कर उनकी संख्या हर सीट पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करती है .आबादी के हिसाब से करीब १९ जिले ऐसे हैं जहां मुसलमानों की आबादी बहुत घनी है.रामपुर ,मुरादाबाद,बिजनौर मुज़फ्फर नगर,सहारनपुर, बरेली,बलरामपुर,अमरोहा,मेरठ ,बहराइच और श्रावस्ती में मुसलमान तीस प्रतिशत से ज्यादा हैं . गाज़ियाबाद,लखनऊ, बदायूं, बुलंदशहर, खलीलाबाद पीलीभीत,आदि कुछ ऐसे जिले जहां कुल वोटरों का एक चौथाई संख्या मुसलमानों की है .
पहले राउंड में बीजेपी की मुख्य समर्थक बिरादरी , जाटों के विरोध चलते बीजेपी की हालत ठीक नहीं है . ऊपर से कांगेस-सपा गठबंधन ने उनके लिए और मुश्किलें पैदा कर दीं हैं . विकास वाली बात चल नहीं रही है क्योंकि बीजेपी ने तो विकास की बात भर की थी ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विकास करके दिखाया है .. नोट बंदी के चलते हर जगह विरोध की अंतर्धारा बह रही है . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के २०१४ के भाषणों की चारों तरफ चर्चा है . बीजेपी का यह आग्रह कि यह चुनाव मोदी के कामकाज पर जनमत संग्रह नहीं है , उनको कमज़ोर कर रहा है .ऐसी स्थिति सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से ही बीजेपी को कुछ उम्मीद है . आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत के सभी मुसलमानों को हिन्दू कहने वाले बयान को इसी सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए .
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