Friday, March 16, 2012

यह रेल बजट रेलवे को पूंजीपतियों को सौंप देने की साज़िश की शुरुआत है

शेष नारायण सिंह

नई दिल्ली, १४ मार्च . २०१२-१३ के लिए रेल बजट पेश कर दिया गया है . इस बजट के साथ ममता बनर्जी की जानी पहचानी राजनीतिक क्रिया शुरू हो गयी है . सरकार में उनकी गद्दी लेने वाले रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की मनमोहनी अर्थनीति का पूरा पालन किया और बहुत सारे ऐसे कार्यक्रमों की घोषणा की जिसके बाद रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की बड़े पैमाने पर शुरुआत हो जायेगी. उधर तृणमूल ब्रैंड की राजनीति भी शुरू हो गयी. तृणमूल कांग्रेस के नेता और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने रेल बजट में किराए के वृद्धि का ऐलान किया तो उसी पार्टी के दूसरे नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने संसद से बाहर निकल कर भाड़ा बढाए जाने का विरोध कर दिया .फिलहाल नूरा कुश्ती जारी है और राजनीति में ममता विधा के जानकारों का कहना है कि बात बिकुल साफ़ नहीं है.
यह रेल बजट शुद्ध रूप से मनमोहन सिंह के आशीर्वाद से तैयार किया गया लगता है क्योंकि इसमें एक बहुत महत्वपूर्ण सरकारी विभाग को निजी हाथों में सौंप देने की लगभग वही अकुलाहट है जो टेलीफोन विभाग को सौंप देने के समय थी.डॉ मनमोहन सिंह ने भूमंडलीकरण और वैश्वीकरण के नाम पर ज़्यादातर सरकारी व्यापारिक काम को निजी हाथों में सौंप देने की बुनियाद तभी डाल दी थी . जब वे पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री थे.बाद की सभी सरकारों ने मनमोहन सिंह के पूंजीवादी अर्थशास्त्र को ही आर्थिक विकास का ढांचा बनाया. आज लगता है कि रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने उसी प्रक्रिया को आगे बढाते हुए रेल बजट पेश किया है . उनकी पार्टी की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने रेल बजट में प्रस्तावित वृद्धि के खिलाफ लाठी भांजना शुरू कर दिया है लेकिन जानकार कहते हैं कि किराया वृद्धि के बारे में ममता बनर्जी का बयान राजनीतिक है और वे डॉ मनमोहन सिंह के साथ बातचीत करने के बाद इस तरह की पैंतरेबाजी कर रही हैं . इस बात की संभावना है कि उनके हल्ला मचाने के बाद बढा हुआ किराया वापस ले लिया जाएगा और वे बंगाल की जनता के सामने इसे अपनी ट्राफी के रूप में पेश करेगीं . लेकिन इस सरकार का जो मुख्य एजेंडा है वह लागू हो जाएगा. दुनिया जानती है कि इस सरकार का एजेंडा हर सरकारी व्यापार को निजी हाथों में सौंप देना है

.ऐसे राजनीतिक माहौल में आज रेल बजट पेश कर दिया गया . रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि उनका उद्देश्य रेल में पांच बातें लागू करना है . उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता है , संरक्षा,मजबूती, भीड़ भाड़ को कम करना और क्षमता में वृद्धि करना . १२वीं पंच वर्षीय योजना में परिचालन अनुपात ९५ प्रतिशत से घटाकर ७४ प्रतिशत करना.
इसके लिए उन्होंने उपाय भी बताये. उन्होंने कहा कि काकोडकर समिति की सिफारिशों के तहत रेलवे संरक्षा प्राधिकरण की स्थापना . सैम पित्रोदा समिति की सिफारिशों के तहत मिशनों की स्थापना करना,काकोदकर और पित्रोदा समिति द्वारा बताये गए पांच क्षत्रों को लक्ष्य बनाकर काम करना . यह क्षेत्र हैं . रेलपथ,, पुल,सिग्नल प्रणाली,रोलिंग स्टाक,स्टेशन और टर्मिनल पर वार्षिक निवेश की योजना को संतुलित करना. नए बोर्ड सदस्यों की तैनाती, लेवल क्रासिंग पर होने वाले हादसों से बचने के लिए रेल-रोड सेपरेशन कारपोरेशन आफ इण्डिया की स्थापना करना. इसके अलावा और भी कुछ प्रस्ताव रेल मंत्री ने अपने बजट में किया है. ज़ाहिर है इस तरह के काम केलिए सरकार के पास पैसा नहीं है . उसके लिए भी रेले मंत्री ने रास्ता निकाल लिया है . वे कहते हैं कि सब कुछ प्राइवेट लोगों को शामिल करके हासिल किया जा सकता है .प्रस्ताव है कि सार्वजनिक -निजी -भागीदारी ( पी पी पी ) के माध्यम से स्टेशनों का पुनर्विकास करने के लिए इन्डियन रेलवे डेवलपमेंट कारपोरेशन की स्थापना की जायेगी . वैगन लीसिंग,साइडिंग ,प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल,कंटेनर ट्रेन परिचालन में भी निजी पूंजी को शामिल कर लिया जायेगा,. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों इस तरह की योजनाओं में निजी पूंजी का निवेश नहीं हो सका है इसलिए अब इसे और आकर्षक बनाया जाएगा,. और निजीकरण की बात को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जायेगी इस काम के लिए रेलवे बोर्ड में एक ऐसे सदस्य की भर्ती की जायेगी जिसका काम केवल पी पी पी परियोजनाओं की देख भाल करना होगा . उसको रेल के निजीकरण की योजना की मार्केटिंग भी करनी पड़ेगी.
रेल के विकास में राज्य सरकारों से भी सहयोग लिया जाएगा. छत्तीसगढ़ सरकार के साथ रेल मंत्रालय इस तरह का समझौता कर भी चुका है . राज्य सरकारों के सहयोग से १० राज्यों में ५ हज़ार किलोमीटर की ३१ परियोजनाओं पर काम चल रहा है .पड़ोसी देशों के साथ संपर्क पर भी काम चल रहा है . नेपाल से संपर्क करने के लिए जोगबनी-बिराट नगर और जयनगर -बीजलपुरा-बरबीदास के बीच नई लाइन का काम चल रहा है .बहुत सारे कारखाने भी लगाने का प्रस्ताव है और उनमें भी निजी भागीदारी से परहेज़ नहीं किया जायेगा.
देश के महत्वपूर्ण स्टेशनों पर सीढ़ी चढने में दिक्क़त पेश आती है . इसके लिए करीब ३२१ एस्केल्टर लगाए जायेगें . इस तरह की योजना में मुम्बई के लोकल ट्रेनों वाले स्टेशनों को भी शामिल किया गया है .बजट में हर बार की तरह आंकड़े भी दिए गए हैं . और बहुत सारी कल्याण कारी योजनायें भी शामिल की गयी हैं . एक बड़ी सूची तो उन योजनाओं की है जिन्हें पहले के रेल मंत्री बीसों साल से बताते रहे हैं ..लेकिन आज के बजट का स्थायी भाव यही है कि भारतीय रेल को निजी हाथों में देने की तैयारी बड़े पैमाने पर शुरू हो चुकी है ठीक उसी तरह जैसे टेलीफोन सुविधाओं के साथ किया गया था , यह अलग बात है कि बाद में उन्हीं योजनाओं में देश के इतिहास के सबसे बड़े घोटाले भी हुए