Sunday, April 11, 2010

भ्रष्टाचार और घूस के खिलाफ जन आन्दोलन की तैयारी

शेष नारायण सिंह

सारी दुनिया जानती है कि भ्रष्टाचार अपने देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है . लेकिन सबको यह भी मालूम है कि भ्रष्टाचार को ख़त्म करना बहुत आसान नहीं है .सरकार ने बहुत सारे ऐसे विभाग बना रखे हैं जिनका काम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना है लेकिन देखा यह गया है कि भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश करने वाले विभागों के अफसर उसी भ्रष्टाचार के आशीर्वाद से बहुत ही संपन्न हो जाते हैं . सबसे दिलचस्प बात यह है कि लगभग सभी भ्रष्टाचारी अपनी अपनी छतों पर खड़े हो कर बांग देते रहते हैं कि भ्रष्टाचार को ख़त्म करना ज़रूरी है लेकिन उनकी पूरी कोशिश यही रहती है कि चोरी-बे ईमानी का धंधा चलता रहे .
एक बात और भी बहुत सच है कि सभी अफसर भ्रष्ट नहीं होते , कुछ बहुत ही ईमान दार होते हैं . उत्तर प्रदेश जैसे भ्रष्ट अफसर शाही वाले राज्य में भी कुछ ऐसे ईमानदार अफसर हैं कि कि वे दामन निचोड़ दें तो अमृत हो जाए . लेकिन वे संख्या में बहुत कम हैं लेकिन हैं ज़रूर . उत्तर प्रदेश के इन्हीं ईमानदार अफसरों ने अपने ही बीच के भ्रष्ट अफसरों की लिस्ट बनायी थी लेकिन कुछ कर नहीं सके क्योंकि उन्हीं भ्रष्टतम अफसरों में से कुछ तो मुख्य सचिव की गद्दी तक पंहुच गए.राज्य में भ्रष्टाचार कम करने की कोशिश कर रहे ऐसे ही एक अफसर , विजय शंकर पाण्डेय ने अपने एक ताज़ा लेख में लिखा है कि आई ए एस अफसर की संपत्ति के हर पैसे का हिसाब होना चाहिए . निजी जीवन में भी श्री पाण्डेय ईमान दार हैं . लेकिन कुछ नहीं कर पा रहे हैं . बहर हाल एक खुशी की खबर है कि कुछ अवकाश प्राप्त सिविल, पुलिस और न्यायपालिका के अधिकारियों ने एक नयी पहल शुरू की है जिसके तहत सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को ख़त्म करने में मदद मिलेगी. इन अधिकारियों ने एक सार्वजनिक अपील भी जारी की है और आम जनता से कहा है कि अगर सब चौकन्ना रहें तो अपने देश की संपत्ति को बे-ईमान अफसरों और नेताओं से बचाया जा सकता है . भारत के पूर्व मुख्य नायाधीश , जस्टिस आर सी लाहोटी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जे एम लिन्दोह, पूर्व सी ए जी वीके शुंगलू पूर्व पुलिस महानिदेशकों प्रकाश सिंह और जे एफ रिबेरो आदि ईमान दार लोगों की तरफ से जारी एक बयान में लोगों से अपील की गयी है कि बड़े आदमियों की बीच के भ्रष्टाचार को रोकने और भारत की चोरी की गयी सम्पदा को वापस लेने के लिए एक अभियान की ज़रुरत है .अपील में कहा गया है कि भारत सरकार के सर्वोच्च पदों पर रह चुके लोगों में इस बात पर एक राय है कि कि भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे को बहता है . और जब तक टाप पर बैठे लोगों को अपने काम में ईमानदारी से रहने को मजबूर नहीं किया जाएगा, इस देश का कोई भला नहीं हो सकता. भ्रष्टाचार इस देश में अपराध है . इसलिए भ्रष्ट और घूसखोर सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार करके जेल भेजना चाहिए . . बड़े पदों पर काम करने वाले लोगों को अपनी सारी संपत्ति का हिसाब देना चाहिए और उसे सार्वजनिक करना चाहिए . इन बड़े अधिकारियों ने साफ़ कहा है कि भ्रष्ट सरकारी अफसर अक्सर बच जाते हैं क्योंकि उन्हें सज़ा देने की जिनकी ज़िम्मेदारी होती है , वही भ्रष्ट होते हैं .. इन लोगों को ज़बरदस्त सज़ा दी जानी चाहिए. . घूस की कमाई का करीब सत्तर लाख करोड़ रूपया विदेशों में जमा है, उसको वापस लाने की कोशिश की जानी चाहिए . अगार विदेश में जमा किया गया इन बेईमानों का पैसा वापस लाया गया तो अपने देश की गरीबी हमेशा के लिए हट जायेगी. अपील में कहा गया है कि मौजूदा सिस्टम बिलकुल बेकार हो चुका है . क्योंकि भ्रष्टाचार से लड़ने की अपनी विश्वसनीयता गंवा चुका है . . जिन लोगों को ज़िम्मेदारी के पदों पर बैठाया गया है ,उनमें बहुत सारे लोग भ्रष्ट राजनीतिक नेताओं के सामने गिडगिडाने लगते हैं . यह बिलकुल गलत बात है . इस पर भी रोक लगानी चाहिए . भ्रष्टाचार और अपराध के बीच बहुत ही गहरा सम्बन्ध है . और दोनों ही एक दूसरे को बढ़ावा देते हैं . इन दोनों के घाल मेल की वजह से ही फासिज्म का जन्म होता है जिसमें लोक तंत्र को पूरी तरह से दफ़न कर देने की ताक़त होती है .. इन ईमानदार अफसरों का कहना है कि अगर अपने मुल्क में लोक तंत्र को जिंदा रखना है कि भ्रष्टाचार को जड़ से तबाह करना होगा.
लेकिन यह इतना आसान नहीं है . सभी जानते हैं कि घूस और भ्रष्टाचार में शामिल ज़्यादातर लोग बहुत ही ताक़त वर लोग हैं . उन्हें उनकी जगहों से बे दखल कर पाना आसान नहीं होगा. लेकिन अपील में कहा गया है कि भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को पकड़ने और उन्हें जेल भेजने के लिए एक आन्दोलन की ज़रुरत है. ज़रुरत इस बात की भी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस मुहिम में शामिल हों और सवाल पूछें. . इन पूर्व अधिकारियों ने एक वेबसाईट भी बनाया है जिसमें आन्दोलन की रूप रेखा बतायी गयी है . इन लोगों ने बहुत सारे लेख भी छापे हैं जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रस्तावित लड़ाई को मज़बूत करने की अपील की गयी है . ऐसा ही एक लेख उत्तर प्रदेश के कद्दावर अफसर विजय शंकर पाण्डेय का है जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत दिनों से एक मुहिम चला रखी है . सवाल पैदा होता है कि क्या श्री पाण्डेय जैसा अफसर अपने आस पास नज़र डालने पर सब कुछ बहुत ही ईमानदारी से भरा हुआ पाता है . क्या उन्होंने अपने दफतर या बगल वाले कमरे में चल रहे बे ईमानी की सौदों पर कभी नज़र डाली है . सही बात यह है कि जब तक केवल बातों बातों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जायेगी तब तक कुछ नहीं होगा . इस आन्दोअल्न को अगर तेज़ करना है कि तो घूस के पैसे को तिरस्कार की नज़र से देखना पड़ेगा . क्योंकि सारी मुसीबत की जड़ यही है कि चोर, बे-ईमान और घूसखोर अफसर और नेता रिश्वत के बल पर समाज में सम्मान पाते रहते हैं . उत्तर प्रदेश सरकार में बहुत बड़े पद पर बैठे श्री पाण्डेय के लिए यह बहुत ज़रूरी है . क्योंकि उनकी निजी ईमानदारी बेमिसाल है लेकिन जब तक सिस्टम में ईमनदारी नहीं होगी समाज का भला नहीं होगा.

अपने देश में पिछले २० वर्षों में घूसखोरी को सम्मान का दर्जा मिल गया है . वरना यहाँ पर दस हज़ार रूपये का घूस लेने के अपराध में जवाहर लाल नेहरू ने , अपने एक मंत्री को बर्खास्त कर दिया था . लेकिन इस तरह के उदाहरण बहुत कम हैं . इसी देश में जैन हवाला काण्ड हुआ था जिसमें सभी गैर कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता शामिल थे . स्वर्गीय मधु लिमये अपनी मृत्यु के पहले इस बात को लेकर बहुत दुखी रहा करते थे . सरकारी कंपनियों में विनिवेश के नाम पर जो घूसखोरी इस देश में हुई है उसे पूरे देश जानता है . उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मुख्य सचिव के यहाँ से २५० करोड़ रूपये ज़ब्त किये गए थे . इस तरह के हज़ारों मामले हैं जिन पर लगाम लगाए बिना भ्रष्टाचार को खत्म कर सकना असंभव है . इस लिए पूर्व सरकारी अधिकारियों की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए और मीडिया समेत सभी ऐसे लोगों को सामने आना चाहिए जो पब्लिक ओपीनियन को दिशा देते हैं ताकि अपने देश और अपने लोक तंत्र को बचाया जा सके.