शेष नारायण सिंह
भारतीय राजनीति बहुत बड़े पैमाने पर करवट लेने वाली है. कांग्रेस के बुराड़ी अधिवेशन में सोनिया गाँधी ने जिस तरह से भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिकता पर हमला बोला है वह अगले कुछ दिनों में राजनीतिक विमर्श की दिशा बदल देगा. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका पांच सूत्रीय कार्यक्रम कांग्रेसियों को ईमानदार तो नहीं बना देगा लेकिन आलोचना का डर ज़रूर पैदा कर देगा. सोनिया गाँधी के भ्रष्टाचार विरोधी भाषण के केंद्र में बीजेपी की कर्नाटक इकाई है . बीजेपी के बड़े नेताओं को मालूम है कि अगर वे भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह से घिरे हुए बी एस येदुरप्पा को पैदल करेगें तो उनकी कर्नाटक इकाई भंग हो जायेगी क्योंकि येदुरप्पा बगावत कर देगें और अपनी नयी पार्टी बना लेगें . पिछली बार जब दिल्ली वालों ने उन्हें हटाने की कोशिश की थी तो यदुरप्पा ने साफ़ बता दिया था कि वे बीजेपी को ख़त्म कर देगें. बीजेपी के एक बहुत बड़े नेता ने उन दिनों बयान दिया था कि कर्नाटक में कथित रूप से भ्रष्ट येदुरप्पा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी क्योंकि उसके बाद उनकी पार्टी की औकात वहां शून्य हो जायेगी. यह बात बाकी लोगों के साथ साथ सोनिया गाँधी को भी मालूम है . इसीलिये उनका भ्रष्टाचार वाला भाषण पूरी तरह से कर्नाटक केन्द्रित था. अगर कर्नाटक में बीजेपी ख़त्म होती है तो उसका सीधा फायदा वहां कांग्रेस को होगा . वैसे भी सोनिया गाँधी का भ्रष्टाचार के खिलाफ रुख हमेशा डायरेक्ट रहता है . उन्हें मालूम है कि वे खुद ,मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी को किसी भी भ्रष्टाचार के मामले में कोई नहीं पकड़ सकता .बाकी कांग्रेस में ऐसा कोई नेता नहीं है जिसको हटा देने से कांग्रेस का कुछ बिगड़ने वाला है . इसलिए जिसके खिलाफ भी भ्रष्टाचार की चर्चा हो रही है उसको वे बाहर कर दे रही हैं . यह सुख बीजेपी वालों के पास नहीं है . उनके कई ऐसे नेता भ्रष्टाचार के जाल में हैं जिनको अगर निकाल दिया जाय तो पार्टी ही ख़त्म हो जायेगी. बड़ी मुश्किल से बीजेपी के हाथ २जी स्पेक्ट्रम वाला मामला आया था लेकिन हालात ऐसे बने कि अब उसकी जांच २००१ से शुरू हो रही है . इसका भावार्थ यह हुआ कि अगले दो वर्षों तक बीजेपी के राज में संचार मंत्री रहे पार्टी के नेताओं अरुण शोरी और स्व प्रमोद महाजन के कार्यकाल के भ्रष्टाचार मीडिया को लीक किये जायेगें और बीजेपी के प्रवक्ता लोग कोई जवाब नहीं दे पायेगें. तब तक तो बीजेपी को कांग्रेस और मीडिया में उसके साथी महाभ्रष्ट के रूप में पेश कर चुके होंगें. लुब्बो लुबाब यह है कि राजनीति के मैदान में सोनिया गाँधी का बुराड़ी भाषण जो धमक पैदा करने जा रहा है, उसका असर दूर तलक महसूस किया जाएगा.
लेकिन बुराड़ी का असल सन्देश यह नहीं है . भ्रष्टाचार के खेल में बीजे पी ने कांग्रेस को घेरने की रणनीति के सहारे विपक्षी एकता को पुख्ता करने की कोशिश की थी, बुराड़ी लाइन ने उसे तहस नहस कर दिया है . अब अगर बीजेपी येदुरप्पा को नहीं हटाती तो शरद यादव जैसे वफादार के लिए भी बीजेपी के साथ खड़े रह पाना बहुत मुश्किल होगा . इस भाषण ने भ्रष्टाचार को राजनीतिक मुद्दा बना सकने की बीजेपी की ताक़त को ख़त्म कर दिया है क्योंकि जिस तरह से राजनीतिक शतरंज की गोटें बिछ रही हैं ,उसके बाद बीजेपी को दुनिया कांग्रेस से ज्यादा भ्रष्ट मानना शुरू कर देगी.बुराड़ी का असल सन्देश यह है कि सोनिया गाँधी ने साम्प्रदायिकता के मैदान में बीजेपी को चुनौती दी है . राहुल गाँधी के विकीलीक्स रहस्योद्घाटन के बाद जिस तरह से बीजेपी वाले टूट पड़े थे , उस खेल को बुराड़ी ने बिलकुल नाकाम कर दिया है . सोनिया गाँधी ने बिना नाम लिए आर एस एस की साम्प्रदायिकता और उस से जुड़े आतंकवाद को बेनकाब करने के अभियान की शुरुआत कर दी है . इस राजनीतिक सन्देश की बात दूर तलक जायेगी. जो बात सोनिया गाँधी ने नहीं कही उसे दिग्विजय सिंह ने पूरा कर दिया . उन्होंने साफ़ कह दिया कि आर एस एस की विचारधारा हिटलर वाली है . जैसे हिटलर ने यहूदियों को ख़त्म करने की राजनीति की थी ,ठीक उसी तरह आर एस एस भी मुसलमानों को ख़त्म करने की योजना पर काम कर रहा है . बुराड़ी का यह सन्देश बीजेपी के लिए भारी मुश्किल पैदा कर देगा . इसमें दो राय नहीं है कि आर एस एस की विचारधारा पूरी तरह से हिटलर की लाइन पर आधारित है . १९३७ में आर एस एस के दूसरे सर संघचालक , गोलवलकर ने एक किताब लिखकर हिटलर की तारीफ़ की थी .गोलवलकर की किताब ,वी ऑर आवर नेशनहुड डिफाइंड , में हिटलर और उसकी राजनीति को महान बताया गया है . बीजेपी और आर एस एस के मौजूदा नेता कहते हैं कि बीजेपी ने वह किताब वापस ले ली है लेकिन इस बात का कोई अर्थ नहीं रह जाता . वैसे भी जिस हिंदुत्व की बात आर एस एस करता है ,वह हिन्दू धर्म नहीं है . हिंदुत्व वास्तव में सावरकर की राजनीतिक विचारधारा है जिसके आधार पर नागपुर में १९२५ में आर एस एस की स्थापना की गयी थी . यह विचारधारा इटली के चिन्तक माज़िनी की सोच पर आधारित है जिसके आधार पर इटली में मुसोलिनी और जर्मनी में हिटलर ने राजनीतिक अभियान चलाया था . उसी विचारधारा को संघी विचारधारा बताकर दिग्विजय सिंह ने बीजेपी और संघी राजनीति के अन्य समर्थकों को आइना दिखाया है . बुराड़ी में सोनिया गाँधी के भाषण का नतीजा यह होगा कि अब साम्प्रदायिकता के मसले पर दिग्विजय सिंह की लाइन को कांग्रेस की आफिशियल लाइन बना दिया गया जाएगा .
एक बात और ऐतिहासिक रूप से सत्य है . वह यह कि जब भी कांग्रेस आर एस एस के खिलाफ हमलावर होती है उसे राजनीतिक सफलता मिलती है . महात्मा गाँधी की हत्या और उसमें आर एस एस के नेताओं की गिरफ्तारी के बाद नेहरू-पटेल की कांग्रेस ने साम्प्रदायिकता को पूरी तरह से बैकफुट पर ला दिया था .नतीजा यह हुआ कि १९६२ तक कांग्रेस की ताक़त मज़बूत बनी रही. नेहरू की मृत्यु के बाद साम्प्रदायिकता के खिलाफ अभियान कुछ ढीला पड़ गया था .नतीजा यह हुआ कि पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस १९६७ का चुनाव हार गयी थी . जब १९६९ में कांग्रेस के तो टुकड़े हुए तो दक्षिण पंथी और साम्प्रदायिक ताक़तों के खिलाफ इंदिरा गांधी ने ज़बरदस्त हमला बोला और १९७१ में भारी बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब हुईं . १९७४ में जब उनका बिगडैल बेटा संजय गाँधी राजनीति में आया तो उसने भी साफ्ट हिंदुत्व की लाइन शुरू कर दी और १९७७ में कांग्रेस बुरी तरह से हार गयी. इंदिरा गाँधी ने १९७७ से लेकर १९७९ तक साम्प्रद्यिकता के खिलाफ अभियान चलाया और १९८० में दुबारा सत्ता में आ गयीं . लगता है कि इस बार भी सोनिया गांधी को सही सलाह मिल रही है और वे आर एस एस -बीजेपी को राजनीतिक रूप से ख़त्म करने की रणनीति पर काम कर रही हैं . ज़ाहिर है आने वाला वक़्त राजनीतिक विश्लेषकों के लिए बहुत ही दिलचस्प होने वाला है
Monday, December 20, 2010
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