Saturday, February 11, 2017

विकास का मुद्दा छिन जाने के बाद बीजेपी को ध्रुवीकरण का सहारा


शेष नारायण सिंह

नई दिल्ल्ली ,९ फरवरी .पंजाब और गोवा में विधानसभा चुनावों  के लिए ४ फरवरी को वोट पड़ चुके हैं सत्ताधारी बीजेपी के लिए दोनों ही राज्यों से बहुत अच्छे संकेत नहीं आ रहे हैं . पंजाब में तो अकाली दल  और बीजेपी के खिलाफ लहर सी लगती है . गोवा में रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने दिन रात एक कर दिया और प्रेक्षकों को लगता है कि उनकी मेहनत बीजेपी की इज्ज़त वहां बचा सकती है .ऐसी स्थिति में अगर उत्तर प्रदेश से भी बुरी खबर आई  तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के लिए आगे का रास्ता घनघोर चिंता भरा हो जाएगा. ऐसी स्थिति में अब बीजेपी की ओर से उत्तर प्रदेश के चुनावों में अब  २०१४ के मुद्दों का ज़िक्र होना बंद हो गया  है .  बीजेपी के प्रचारक अब विकास की बात नहीं कर रहे हैं. अब उनकी सारी कोशिश है कि चुनाव को साम्प्रादायिक ध्रुवीकरण के ढर्रे पर डाल  दिया जाए. उनको मालूम है कि राज्य के मुसलमान तो वोट उसी को देगें जो बीजेपी को हराने में सक्षम होगा. इसलिए तुष्टीकरण अदि जुमलों को नए सन्दर्भों में प्रयोग किया जा रहा है . सबसे ताज़ा बयान आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत का आया है जिसमें उन्होंने भारत में  रहने वाले  मुसलमानों को हिन्दू घोषित कर दिया है . ज़ाहिर है बीजेपी के पक्षधर मुसलमान इस मुद्दे  पर खूब हो हल्ला मचाएगें और ध्रुवीकरण की  कोशिश की जायेगी  . वैसे  ध्रुवीकरण के लिए सबसे उपयोगी  हथियार दंगा होता है लेकिन  लगता है कि चुनाव आयोग के नियंत्रण में  चल रही राज्य सरकार दंगा तो नहीं  होने देगी.  चुनाव घोषित होने के कुछ महीने पहले दादरी के  बिसाहडा गाँव में एक महापंचायात करके दंगे कराने की कोशिश की गयी  थी लेकिन मुकामी  जिला प्रशासन ने उसको दबा दिया था. अब ध्रुवीकरण के लिए तीन तलाक़, मुसलमानों की पक्षधरता आदि मुद्दे चल रहे हैं . लेकिन  अभी तक चुनाव में  माहौल बनाने लायाक हालत नहीं बन पाई है.
पहले से चौथे राउंड तक के चुनावों में मुसलमानों की खासी भूमिका रहने वाली है .उत्तर प्रदेश में मुसलमान किसी भी सीट पर पक्की जीत तो नहीं दिलवा सकते हैं लेकिन एकाध सीट को छोड़कर उनकी संख्या हर सीट पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करती है .आबादी के हिसाब से करीब १९ जिले ऐसे हैं जहां मुसलमानों की आबादी बहुत घनी है.रामपुर ,मुरादाबाद,बिजनौर मुज़फ्फर नगर,सहारनपुरबरेली,बलरामपुर,अमरोहा,मेरठ ,बहराइच और श्रावस्ती में मुसलमान तीस प्रतिशत से ज्यादा हैं . गाज़ियाबाद,लखनऊबदायूंबुलंदशहरखलीलाबाद पीलीभीत,आदि कुछ ऐसे जिले जहां  कुल वोटरों का एक चौथाई संख्या मुसलमानों की है .
पहले राउंड में बीजेपी की मुख्य समर्थक बिरादरी , जाटों के विरोध  चलते बीजेपी की  हालत ठीक नहीं है .  ऊपर से कांगेस-सपा गठबंधन  ने उनके लिए और मुश्किलें पैदा कर दीं हैं . विकास वाली  बात चल नहीं  रही है  क्योंकि बीजेपी ने तो विकास की बात भर की थी  ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विकास करके  दिखाया है .. नोट बंदी के  चलते हर  जगह विरोध की अंतर्धारा  बह रही है . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के २०१४ के भाषणों की चारों तरफ चर्चा है . बीजेपी का यह आग्रह कि यह चुनाव मोदी के कामकाज पर जनमत संग्रह नहीं है , उनको कमज़ोर कर रहा है .ऐसी स्थिति सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से ही बीजेपी को कुछ उम्मीद है . आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत के सभी मुसलमानों को हिन्दू कहने वाले बयान को इसी सन्दर्भ में  देखा जाना चाहिए .

Tuesday, February 7, 2017

आलू,गन्ना,जाट और मुसलमान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नतीजे तय करेगें



शेष नारायण सिंह

नई दिल्ली, ६ फरवरी . पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प दौर में पंहुच गए हैं . पंजाब और गोवा में मतदान हो चुका है और वहां से से जो संकेत आ रहे हैं उनके कारण केंद्र की शासक पार्टी में गतिविधियाँ तेज़ हो गयी हैं . अब  बीजेपी नेताओं की कोशिश है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में हर हाल में सरकार बनाने लायक या सबसे बड़े दल के रूप में स्थापित होने लायक सीटें जीती जाएँ . बीजेपी के वे नेता जो उत्तर प्रदेश का काम देख रहे हैं, और पार्टियों के प्रवक्ता बार बार दो बातें कहते हैं हैं  . उनका दावा होता है कि वे पिछली  बार से अच्छी संख्या में सीटें लायेगें . ऐसा दावा करते वक़्त उनका आग्रह होता है  कि २०१२  के विधान सभा चुनाव को बेंच मार्क  माना जाए २०१४ के लोकसभा चुनावों में  आये बम्पर बहुमत जो नहीं . दूसरी बात यह कि यह चुनाव प्रधानमंत्री के कामकाज या उनकी नोटबंदी वाली  नीति पर जनमत संग्रह नहीं है . इन बातों से साफ़ ज़ाहिर है कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी उत्तर प्रदेश में अनिष्ट की आशंका से ग्रस्त है .
प्रधानमंत्री की मेरठ और अलीगढ़ की चुनावी रैलियों में उनके भाषण को देखने के बाद ऐसा लगता कि वे उसी मनोदशा में हैं जिसमें उन्होंने पिछले दिनों जालंधर में एक चुनावी सभा को संबोधित किया था .अलीगढ में उन्होंने कहा कि ' पार्टियां उनसे नाराज़ इसलिए हैं किवे गलत काम करने वालों पर स्क्रू कस रहे हैं ' उन्होंने मुकामी ताला उद्योग की दुर्दशा के लिए भी समाजवादी पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराया . विकास के अपने प्रिय मुद्दे पर उन्होंने बात नहीं की क्योंकि उसको समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपना चुके हैं . २०१४ का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री ने विकास के वायदे पर जीता था . तीन साल में उनकी सरकार ने विकास के मुद्दे पर कोई ख़ास सफलता  नहीं पाई है . नोटबंदी जैसे विवादित फैसले लेकर कैश की अर्थव्यवस्था को जो नुक्सान पंहुचाया है उसके कारण उस पर निर्भर लोग बहुत परेशान हैं . उधर उनके विपक्ष में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबन्धन बन गया है  जिससे बीजेपी विरोधी वोट एकमुश्त होते नज़र आ रहे हैं.  अमित शाह यह बात कई बार कह चुके हैं कि अगर विपक्षी दल इकठ्ठा हो जाएँ तो उनके लिए मुश्किल तो हो ही जायेगी . उनके इस आकलन की हताशा प्रधानमंत्री के मेरठ के भाषण में भी नज़र आ रही थी  और अलीगढ के भाषण में भी . अलीगढ़ से लगा हुआ आलू के कारोबारियों और किसानों का इलाका है और वहां नोटबंदी के कारण बहुत लोगों के सामने मुसीबतें आई हैं . मेरठ में भी गन्ना किसानों का प्रधानमंत्री की नोटबंदी से बहुत नुक्सान हुआ है . बीजेपी को मालूम है की पश्चिमी  उत्तर प्रदेश का प्रभावशाली जाट समुदाय बीजेपी को हराने के लिए टैक्टिकल वोटिंग कर रहा है . पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों  के अलावा मुसलमानों का बहुत प्रभाव है. अब तक तो वह समाजवादी पार्टी से नाराज़ होकर मायावती की पार्टी की तरफ जा रहा था लेकिन कांग्रेस-सपा समझौते के बाद उसका रुझान गठबंधन की तरफ हो गया है . मुसलमानों के वोटों को बिखराने के लिए असदुद्दीन ओवैसी का इस्तेमाल भी करने की कोशिश हो रही है लेकिन अभी तक के संकेतों से लगता  है कि उनका  वही हश्र होने वाला  है जो बिहार विधानसभा चुनाव में हुआ था.
उत्तर प्रदेश में जो तीन पार्टियां मुकाबले में  हैं सभी मुसलमानों को अपने साथ लेने के चक्कर में हैं . मायावती  तो अपने दलित वोट में मुसलमानों  को शामिल करके जीत की योजना पर काम कर रही हैं . १०० से ऊपर टिकट देकर मायावती मुसलमानों को अपने साथ लेने का प्रयास बहुत गंभीरता से कर रही हैं .बीजेपी के बड़े नेता रविशंकर प्रसाद का बयान आया है  कि तीन तलाक़ के मुद्दे पर चुनाव बाद सरकार कुछ  करेगी . उनको मालूम है कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देगें लेकिन उनकी महिलाओं के वोट को आकर्षित करने की कोशिश जारी है . हालांकि उत्तर प्रदेश की राजनीति का हर जानकार बता देगा कि राज्य का मुसलमान उसी पार्टी को वोट देगा जो बीजेपी को हराने की स्थिति में हो. इसीलिये बीजेपी ने अब  योगी आदित्यनाथ ,विनय कटियार और वरुण गांधी जैसे  लोगों को प्रचार में लागाकर किसी तरह के ध्रुवीकरण की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है . क्योंकि उनको मालूम है कि अगर मुसलमान मायावती से छटकता है तो वह बीजेपी के पास नहीं जाएगा , वह सीधा अखिलेश-राहुल गठबंधन की तरफ जाएगा . और अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस और अखिलेश के ' काम बोलता है ' वाले वोट उत्तर प्रदेश में भी मोदी जी की पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं  .प्रधानमंत्री के मेरठ और अलीगढ के भाषणों में  अति उत्सुकता का कारण  यही है