Tuesday, April 17, 2012

देश की आतंरिक सुरक्षा और कुछ गैरजिम्मेदार मुख्यमंत्री

शेष नारायण सिंह

नई दिल्ली, १६ अप्रैल. आतंरिक सुरक्षा पर मुख्य मंत्रियों के सम्मलेन में प्रधान मंत्री ने स्वीकार किया है कि देश की आतंरिक सुरक्षा की हालत बहुत ठीक नहीं है . उन्होंने कहा कि वामपंथी आतंकवाद सबसे खतरनाक है . देश की आतंरिक सुरक्षा को सबसे ज्यादा ख़तरा वामपंथी आतंकवाद से ही है. प्रधान मंत्री की मौजूदगी में गृह मंत्री ने दावा किया कि पिछले एक साल में हिंसक घटनाएं तो कम हुई हैं लेकिन आतंकवादियों का विस्तार हो रहा है . अब वे पहले से ज्यादा भूभाग पर सफलता पूर्वक काम चला रहे हैं. राज्य सरकारों को इस संकट से निपटने के लिए सभी उपाय करना चाहिए . केंद्र सरकार ने एक बार फिर साफ़ कर दिया कि राज्यों की आतंरिक सुरक्षा हर हाल में राज्यों का काम है . केंद्र की भूमिका उनको सुविधाएं देने और पुलिस व्यवस्था को आधुनिक बनाने में उनकी कोशिश को मज़बूत करना है प्रधान मंत्री के इस बयान से साफ़ लगा कि वे कुछ राज्यों के मुख्य मंत्रियों की उस शंका को संबोधित कर रहे है जिसमें राज्यों के कार्य क्षेत्र में केंद्र के हस्तक्षेप का विरोध किया गया है .

नई दिल्ली में आज आयोजित आन्तरिक सुरक्षा पर मुख्य मंत्रियों के सम्मलेन में वामपंथी आतंकवाद के कारण पैदा हो रही समस्याओं पर सारा ध्यान लगा रहा .आज के एजेंडा में सीमापार से आने वाले आतंकवादियों को काबू में करने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई लेकिन इस बात पर चिंता जताई गयी कि अब पाकिस्तानी आतंकवादी खुद काम न करके भारतीय नागरिकों को ही आतक के काम में इस्तेमाल कर रहे हैं .पी चिदंबरम ने कहा कि आतंक के इस नए मोड्यूल से सुरक्षा की चिंताएं बढ़ गयी हैं .. वामपंथी आतंकवाद भी आज की चर्चा का बहुत ही अहम मुद्दा रहा .. आपराधिक न्याय व्यस्था को ठीक करने की बात की गयी . एजेंडा की घोषणा करते हुए केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि हालांकि न्याय का प्रशासन गृह मंत्रालय का विषय नहीं है लेकिन सरकार की कोशिश होगी कि इस दिशा में में मुख्य मंत्रियो के सम्मलेन में चर्चा हो और आपराधिक जांच की प्रक्रिया को गतिशील बनाने की कोशिश की जाये.. सीमा पार से आने वाले आतंकवाद को काबू में करने के लिए समुद्र तट और अंतर राष्ट्रीय सीमा पर चौकसी की बात को भी प्रमुखता से विचार विमर्श के दायरे में लिया गया .
गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि हालांकि २०११ में आतंकवादी हिंसा के घटनाएं कम हुई हैं लेकिन यह बहुत संतुष्ट होने की बात नहीं है क्योंकि वामपंथी आतंकवाद के एजदें और ज्यादा राज्यों में फैल रही हैं . सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि आतंकवादियों के पास जो हथियार है आतंकवादियों की मारक क्षमता बहुत ज्यादा बढ़ रही है . २०११ में जम्मू कश्मीर में आतंकी कमज़ोर पड़े हैं . उत्तर पूर्व में भी उनको काबू करने की कोशिश की गयी है लेकिन वामपंथी आत्नाक्वाद अभी भी चुनौती बना हुआ है . नीतिगत गत रूप से फैसला लिया गया है कि आतंक के जो संगठन और मोड्यूल हैं उनको ही तबाह किया जाए. . इस दिशा में बहुत अच्छी प्रगति भी हुई है .लेकिन चिंता की बात यह है कि रोज़ नए नए रस्ते खुल रहे हैं . नेपाल और बंगलादेश के रास्ते भी अब आतंकवादी बड़ी संख्या में प्रवेश करने लगे है . उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि कई बार ऐसा होता है कि आतंक के चक्कर में गिरफ्तार लोगों को बचाने के लिए कुछ समूह आगे आ जाते है . आतंकवादियों एक पक्ष में भी मानवधिकार की बातें की जाती हैं उन्होंने संतोष जताया कि सरकार के तरफ से भी लोकत्रांत्रिक तरीकों से ही हालत को सुलझाने की कोशिश की जाती है . इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों में कोई मतभेद नहीं है .
गृह मंत्री ने अपने भाषण में वामपंथी आतंकवाद का उल्लेख कई बार किया और कहा कि दो राज्यों की कानून व्यवस्था को तो वामपंथी आतंकवादी बुरी तरह चुनौती दे रहे हैं जबकि ३राज्यों में ख़तरा बढ़ रहा है . इन राज्यों को हर तरह का सहयोग किया जाएगा . उन्होंने बताया कि असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में भी माओवादियों से ख़तरा पैदा हो गया है . इस पर काबू करने की हर कोशिश की जायेगी. .
गृह मंत्री ने इस बात पर भी चिंता जताई कि कुछ राज्य आतंकवाद से लड़ने के लिए बनायी जाने वाली ढांचागत सुविधाओं को बनाने में कोताही बरत रहे हैं . उन्होंने कहा कि पिछले साल इस मद में जो रक़म मिली थी उसमें से ३०० करोड़ रूपये वापस कर दिए गये थे. सरकार की तरफ से हर स्तर पर अपील की गयी कि आतंकवाद से लड़ने के लिए जो भी ज़रूरी हो , किया जाए.