Thursday, September 8, 2011

इस बार दिल्ली पुलिस को बलि का बकरा बनाने की कोशिश

शेष नारायण सिंह नई दिल्ली ,७ सितम्बर .दिल्ली हाई कोर्ट के गेट नंबर ५ पर हुए धमाके ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं .धमाके के कारणों और अन्य बातों की जानकारे धीरे धीरे आये गी लेकिन एक बात लगभग पक्की है कि हाई कोर्ट पर हुआ धमाका सरकारी अलगरजी के कारण हुआ है .दिल्ली की सुरक्षा से सम्बंधित जिन लोगों से भी बात हुई ,सब का कहना है कि यह पूरी तरह से सरकारी असफलता का नमूना है .दिल्ली पुलिस को बलि का बकरा बनाने की तैयारी उसी वक़्त शुरू हो गयी जब गृहमंत्री ने लोकसभा में बयान दे दिया कि दिल्ली पुलिस को जुलाई में संभावित धमाके के बारे में बता दिया गया था . उसके बाद कई हलकों से यह खबर प्लांट करने की कोशिश की जा रही है कि हाई कोर्ट की पार्किंग में साढ़े तीन महीने हुए पहले धमाके के बाद दिल्ली पुलिस को सी सी टीवी और कैमरे लगाने को कहा गया था लेकिन उसने कोई परवाह नहीं की. दिल्ली पुलिस के एक ज़िम्मेदार सूत्र का दावा है कि दोनों ही बातें गलत हैं. लेकिन देश के गृहमंत्री के बयान को उनके अधीन काम करने वाला कोई भी अधिकारी ऐलानियाँ गलत नहीं बता सकता .ऐसा करने पर उसकी नौकरी जायेगी . लेकिन सच्चाई को बताने के लिए दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारियों ने नया तरीका निकाला है. सरकार ने दिल्ली पुलिस को जांच के दायरे से बाहर कर दिया है और एन आई ए को जांच का ज़िम्मा दे दिया है . पुलिस सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्री पी चिदंबरम का लोकसभा में दिया गया बयान बिलकुल सही नहीं है . गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस को दी गयी जिस चेतावनी की बात लोकसभा में की वह केंद्रीय खुफिया विभाग, आई बी से हर महीने आने वाली एक रूटीन चेतावनी मात्र है . जिसमें कहा गया था कि दिल्ली पुलिस को बहुत चौकन्ना रहना पड़ेगा क्योंकि सितम्बर में महत्वपूर्ण ठिकानों पर आतंकी हमले हो सकते हैं . अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की चेतावनी अमरीका पर हुए ११ सितम्बर २००१ के हमलों के बाद हर साल आती है . आई बी ने हाई कोर्ट पर हमले के बारे में कोई विशेष आशंका नहीं जताई थी. सी सी टी वी और कैमरों की बात पर दिल्ली पुलिस का कहना है कि हाई कोर्ट के रजिस्टार जनरल ने पी डब्ल्यू डी विभाग को मई के विस्फोट के तुरंत बाद ही दिल्ली पुलिस के सुझाव पर सी सी टी वी कैमरे लगाने के लिए कह दिया था. जब कि पी डब्ल्यू डी वालों का कहना है कि हाई कोर्ट में सी सी टी वी कैमरे लगाने के लिए टेंडर के ज़रिये प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी. और एक हफ्ते के अंदर कैमरे लग जायेगें.उनके अनुसार वे नियमानुसार ही काम कर सकते हैं . उनके पास कोई भी सामान बाज़ार से जाकर खरीद कर लाने के पावर नहीं है . हाँ अगर सरकार किसी काम को अर्जेंट समझती है तो वह वह विशेष पावर दे सकती है . मिसाल के तौर पर कामनवेल्थ गेम्स में सभी सरकारी विभागों एक पास अर्जेंट आधार पर खरीद करने के पावर थे . अधिकारियों को शक़ है कि गृहमंत्री का बयान आई बी वालों ने तैयार करके उन्हें दे दिया था . वह बयान आई बी एके किसी अफसर का बयान लग रहा था , देश के गृहमंत्री का तो बिलकुल नहीं . गृहमंत्री ने कुछ देर बाद जो बयान दिए वे मामले की गंभीरता के अनुरूप थे. उन्होंने कहा कि जांच का काम अब दिल्ली पुलिस के पास नहीं है , अब आतंकवादी मामलो की जांच के लिए बनाए गए ख़ास संगठन एन आई ए को जांच का ज़िम्मा दे दिया गया है . लगभग तुरंत ही एन आई ए के निदेशक, एस सी सिन्हा ने बताया कि उन्होंने जांच के लिए विशेष टीम बना दी है जिसका कमांड डी आई जी रैंक का एक आई पी एस अफसर करेगा. इस काम में सब की मदद ली जायेगी. उधर दिल्ली पुलिस के मौजूदा कमिश्नर की नेतृत्व क्षमता पर तरह तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं दिल्ली में फैले अपराधतंत्र का वे कुछ भी नहीं बिगाड़ पा रहे हैं. अन्ना हजारे और राम देव के मामले में भी उनकी लीडरशिप को बहुत ही लचर पाया गया था . वैसे भी दिल्ली में आजकल की पुलिस व्यवस्था बहुत ही कमज़ोर है , अपराधी बेलगाम हैं . चारों तरफ से सवालों में घिर चुकी दिल्ली पुलिस के अफसरों के आफ द रिकार्ड बयान केंद्र सरकार को बहुत ही मुश्किल में डाल सकते हैं .इस बीच हरकत-उल-जिहाद नाम के एक संगठन ने धमाके की ज़िम्मेदारी ली है लेकिन उसकी मेल जो अखबारों के दफ्तरों में आई है वह उसकी विश्वसनीयता पर शंका पैदा करती है . एक तो इस नाम का कोई आतंकवादी संगठन अब तक नोटिस में पूरी दुनिया में कहीं नहीं आया. वैसे इसका नाम हरकत-उल-जिहादे इस्लामी से मिलता जुलता है लेकिन ई मेल भेजने वाले का बिलकुल अलग है . साइबर पुलिस उसके सर्वर की जांच कर रही है .अफसरों को शक़ है कि कहीं यह ई मेल जांच से ध्यान हटाने के लिए तो नहीं भेज दिया गया . बहरहाल एन आई के निदेशक ने कहा है कि इस ई मेल को बहुत ही गम्भीरता से लिया जा रहा है . जांच करते वक़्त आतंक के हर पहलू पर गौर किया जा रहा है .