Friday, May 4, 2012

संसद में राम गोपाल यादव --उनकी पार्टी परिणामी ज्येष्ठता के खिलाफ है लेकिन आरक्षण की समर्थक



 शेष नारायण सिंह 


नई दिल्ली,३ मई. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से  नौकरियों में परिणामी ज्येष्ठता के मुद्दे पर आज समाजवादी पार्टी ने  राज्य सभा में बहुजन समाज पार्टी को घेरने की कोशिश की. समाजवादी पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में परिणामी ज्येष्ठता  का नियम लागू रहा तो अगले दस वर्षों में उत्तर प्रदेश में किसी भी विभाग का मुख्य अधिकारी सामान्य या ओ बी सी श्रेणी से हो  ही नहीं सकेगा. उन्होंने कहा कि  समाजवादी पार्टी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का समर्थन करती है , सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के मामलों में वर्तमान सरकारी नीति का समर्थन करती है  लेकिन उनकी पार्टी परिणामी ज्येष्ठता के उत्तर प्रदेश सरकार  पदोन्नति वाले नियम ८ ए का विरोध करती है .

बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश मिश्र ने आज राज्य सभा में अल्पकालिक चर्चा के माध्यम से सरकारी नौकरियों में परिणामी ज्येष्ठता के विषय में चर्चा  की शुरुआत की.  भोजन के अवकाश के पहले का लगभग पूरा समय उन्हें  मिला और उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों के हवाले से ऐसा माहौल बनाया जैसे सुप्रीम कोर्ट के २७ अप्रैल को  एम नागराज के  केस  में फैसला आ जाने के बाद देश से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों का आरक्षण ही समाप्त हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं  है . हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकारी नौकरियों  में पदोन्नति के समय के  आरक्षण को ख़त्म कर दिया गया है .  सतीश मिश्रा की पार्टी  की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रधान मंत्री को इस सम्बन्ध में एक पत्र लिखा है कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जान जाति के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को पिछले १८ वर्षों की सेवा में प्रोन्नति के समय मिलने वाले आरक्षण और वरिष्ठता की सुविधा को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक २७-०४-२०१२ ने एम नागराज के केस  के निर्णय के अंतर्गत असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है . मायावती ने लिखा है कि इस निर्णय का दूरगामी परिणाम केवल उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के  कर्मचारियों  पर ही नहीं बल्कि पूरे देश के ऐसे सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर पडेगा . उन्होंने अपनी चिट्ठी में दावा किया कि इस फैसले के बाद पूरे देश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जान नाती के अधिकारियों और कर्मचारियों में रोष व्याप्त है .  अपने भाषण में सतीश मिश्रा ने भी दावा किया था कि मायावती के आग्रह पर पूरे देश का  अनुसूचित जाति का आदमी गुस्से में है . मायावती के पहल के बारे में जानकारी मिलने पर लोग शांत हैं . लेकिन अगर  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद  संविधान में संशोधन न किया गया तो ठीक नहीं होगा.
समाजवादी पार्टी ने मायावती के पत्र में लिखी हुई बातों को गलत बताया और आरोप लगाया कि ऐसा माहौल बनाने की  कोशिश की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरक्षण ही ख़त्म हो जाएगा. पार्टी के नेता , राम गोपाल यादव ने बताया कि किसी भी तरह की अफवाह नहीं  फैलाई जानी चाहिये . आरक्षण में कोई परिवर्तन नहीं होने जा रहा  है . सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उसका कहीं कोई विरोध नहीं किया गया है . उन्होंने कहा कि  समाजवादी पार्टी  ने उत्तर प्रदेश की पूर्व सरकार के उस फैसले का विरोध  किया  था जिसमें उन्होंने नियमावली में नया  नियम , ८ए जोड़कर परिणामी ज्येष्ठता का प्रावधान कर दिया था . जिसके चलते एक ही साथ सर्विस में आने वाले सामन्य और ओ बी सी  श्रेणी के कर्मचारी को पदोन्नति के अवसर बहुत कम हो गए थे. उन्होंने कहा कि  आज उत्तर प्रदेश में रिज़र्वेशन पूरी  तरह से लागू है , कहीं कोई बैकलाग  नहीं है . इसके लिए मुलायम सिंह यादव की सरकार ने १९९४ में यह नियम बना दिया था कि अगर कोई अधिकारी आरक्षण के काम में कोताही करेगा तो उसे सज़ा दी जायेगी .राम गोपाल यादव के  भाषण के दौरान सदन में ही मौजूद मायावती ने  कहा कि वह हमने दबाव डाल कर करवाया था. संसद के  कई सदस्यों से बात करने से ऐसा लगा कि  लोग बहुजन समाज पार्टी की तरफ से ऐसा माहौल बनाने से असंतुष्ट थे जिसमें यह कहा जा रहा था कि जैसे आरक्षण ही ख़त्म हो रहा हो.उन्होंने कहा कि किसी को भी ऐसा माहौल नहीं बनाना  चाहिये जिस से लगे कि आरक्षण ख़त्म हो रहा है . सच्चाई यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर करने के लिए अगर किसी पार्टी का एजेंडा पूरे देश पर थोपा गया तो ठीक नहीं होगा.बहस में कांग्रेस , सी पी एम  समेत कई और पार्टियों के नेता भी चर्चा में शामिल हुए लेकिन सभी आरक्षण के पक्ष में बोलते रहे .  जबकि सच्चाई यह है कि  उत्तर प्रदेश की सरकार परिणामी ज्येष्ठता का विरोध करती है , आरक्षण का नहीं .