शेष नारायण सिंह
( डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में छप चुका है )
माओवादी आतंकवादियों के गढ़ में बड़ी रैली करके तृणमूल कांग्रेस की नेता और रेल मंत्री ममता बनर्जी ने साबित कर दिया है कि वे पश्चिम बंगाल में सत्ता के दर पर दस्तक दे रही हैं. रैली में उनके साथ मंच पर मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश मौजूद थे जिस से साबित होता है कि एन जी ओ सेक्टर पूरी तरह से ममता बनर्जी के साथ है.लेकिन राजनीतिक बिरादरी में ममत और माओवादियों के बीच बढ़ रही राजनीतिक निकटता को लेकर शंकाएं हैं .लोकसभा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों ने आरोप लगाया कि लाल गढ़ की रैली का इंतज़ाम पूरी तरह से माओवादियों के हाथ में था.और जो आदमी रैली का नेता था वह माओवादी आतंक से जुड़े अपराधों की जांच में पूछताछ का विषय है.माओवादियों को तृणमूल कांग्रेस का ख़ास सहयोगी बताते हुए मार्क्सवादी नेताओं ने सरकार से मांग की कि वह यू पी ए और माओवादी आतंकवाद के बीच के रिश्ते को साफ़ करे.कांग्रेस की औपचारिक लाइन चाहे जो हो लेकिन अनौपचारिक रूप से ममता बनर्जी के माओवादियों के रिश्ते की चर्चा से कांग्रेस में बहुत ज्यादा मतभेद हैं .प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने जब कहा कि माओवादी देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़े बड़ा ख़तरा हैं , तो वे अपनी निजी राय नहीं दे रहे थे. वास्तव में वे सरकार की नीति बता रहे थे. विपक्ष ने सवाल किया कि जिस संगठन को प्रधान मंत्री सबसे बड़ा ख़तरा बता चुके हैं , उनकी सरकार के रेल मंत्री को क्या उसके साथ एक ही मंच पर मौजूद रहना चाहिए.. आरोप यह भी लगा है कि जिन लोगों के ऊपर सी आर पी एफ के जवानों को क़त्ल करने के आरोप लगे हैं , उन्हें मंच पर बुलाना क्या राष्ट्र हित में है. तृणमूल कांग्रेस के नेता, सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि ममता बनर्जी लाल गढ़ में शान्ति और एकता के मिशन पर गयी थीं.. राजनीतिक बयानबाजी की बात तो अलग है लेकिन ममता बनर्जी का रवैया कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है .गृह मंत्री पी चिदंबरम और कांगेस महासचिव, दिग्विजय सिंह पहले ही एक doosre के खिलाफ मैदान ले चुके हैं और अब कांग्रेस के प्रवक्ता लोग अपनी पार्टी को लालगढ़ रैली से अलग रखने की koshish कर रहे हैं लेकिन इसमें दो राय नहीं है कि उनकी गति सांप छंछूदर की हो गयी है.उधर बाकी पार्टियों के लोग पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस अट्रोसिटीज़ को माओवादी संगठनों के मंच के रूप में पेश कर रहे हैं लेकिन तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस अट्रोसिटीज़ कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है. बी जे पी ने भी माओवादी आतंक को हल करने के सरकार के तरीकों पर सवाल उठाये हैं..
उधर माओवादियों के साथ सहानुभूति रखने वाली जमातें ममता को पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री के रूप में पेश करना शुरू कर चुकी हैं ..मेधा पाटकर ने लालगढ़ की रैली में ऐलान किया कि तृणमूल कांग्रेस ने वचन दिया है कि वह २०११ के बाद भी शोषण और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान जारी रखेगी ,इसलिए वे उनके साथ हैं. उनके साथ आये स्वामी अग्निवेश ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री को पूरी तरह से आराम करना चाहिए क्योंकि उसके बाद ममता बनर्जी का युग शुरू हो जाएगा.मेधा पाटकर ने माओवादी आतंकवादियों से भी अपील की कि उन्हें हथियार डाल देना चाहिए और शांतिपूर्वक अपनी मांगों को रखना चाहिए लेकिन बाकी राजनीतिक दलों के नेताओं को उनकी इस अपील में कोई दम नहीं नज़र आता क्योंकि माओवादियों की राजनीति का बुनियादी सिद्धांत ही सशस्त्र क्रान्ति है और वे उसी में लगे हुए हैं . अभी मेधा पाटकर और अग्निवेश जैसे लोग उन्हें समर्थन दे रहे हैं तो ठीक है लेकिन जब बात बढ़ जायेगी तो माओवादियों के प्रभाव वाले इलाकों में मेधा पाटकर के बिना भी राजनीति अच्छी तरह से चलाई जा सकती है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का आरोप है कि लालगढ़ इलाके के माओवादियों को फिर से संगठित होने और अन्य सुरक्षित स्थानों पर भेजने के उद्देश्य से लाल गढ़ में रैली का आयोजन किया गया था. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के आला नेता, सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस बात का जवाब देना होगा कि उनके सरकार की एक मंत्री उन्हीं माओवादियों के साथ मिलकर राजनीतिक गतिविधियों को संचालित कर रही है जिन माओवादियों को उन्होंने खुद देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा बताया था. ममता बनर्जी ने कहा था कि उसी लालगढ़ में वे बिना सुरक्षा के घूम रही हैं जहां, पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री की जाने की हिम्मत नहीं पड़ी थी. सीताराम येचुरी ने कहा कि जिन लोगों से आम लोगों को ख़तरा हो सकता है , ममता बनर्जी तो उनके साथ मिलकर राजनीति कर रही हैं . उन्होंने बुद्धिजीवियों की भी खिंचाई की और कहा कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में आतंक को उकसाया जा अरझा है अगर उस पर फ़ौरन रोक न लगाई गयी तो नतीजे भयानक हो सकते हैं ..जो भी हो माओवादी राजनीति के कारण देश में आतंरिक हलचल है और इसे दुरुस्त करने की सख्त ज़रुरत है .
Thursday, August 12, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)