शेष नारायण सिंह
बस्तर में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हुए माओवादी हमले की चारों तराफ से निंदा हो रही है . कांग्रेस तो इस हमले का पीड़ित पक्ष है और बीजेपी पहली बार किसी बर्बरतापूर्ण हमले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश न करने की अपील करती नज़र आ रही है .बीजेपी में हडकंप है और घबडाहट का आलम यह है कि उनकी महत्वाकांक्षी जेलभरो योजना स्थगित कर दी गयी . बीजेपी के गंभीर नेता माओवादी हमले को आतंकवादी कार्रवाई बता रहे हैं और उस से राजनीतिक स्तर पर निपटने की चर्चा हो रही है . बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और बड़े नेता लाल कृष्ण आडवानी ने माओवादी आतंकवाद का राजनीतिक हल तलाशने की कोशिश शुरू कर दिया है .
जहां तक माओवादियों को कम्युनिस्ट कहने की बात है उसका हर स्तर पर खंडन हो चुका है और सबको मालूम है कि कि माओवादी केवल आतंकवादी हैं , और कुछ नहीं . देश की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी छत्तीसगढ़ में हुए माओवादी हमले की निन्दा की है . मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए बर्बरतापूर्ण हमले की निंदा की है .पार्टी ने कहा है कि इस हमले के बाद छत्तीसगढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष सहित और भी कई नेता और कार्यकर्ता मारे गए हैं . इस बर्बरतापूर्ण घटना ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ माओवादी किस तरह से आतंक से परिपूर्ण हिंसक आचरण करते हैं.पार्टी ने छत्तीसगढ़ सरकार के गैरजिम्मेदार रुख का ज़िक्र किया है और कहा है सरकार ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में सुरक्षा के ज़रूरी क़दम नहीं उठाये . छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादियों से लड़ने के नाम पर निर्दोष आदिवासियों की हत्या करवाई और जब माओवादियों का मुकाबला कारने की बात आयी तो अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया .
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( एम-एल ) ने भी माओवादियों के हमले की निंदा की है और उनके काम को एक दिग्भ्रमित राजनीति का नतीजा बताया है . लेफ्ट फ्रंट की अन्य पार्टियों ने भी इस हमले की निंदा की है . ज़ाहिर है छत्तीसगढ़ सहित कई अन्य राज्यों में आतंक के ज़रिये राजनीति कर रहे माओवादी किसी भी तरह से कम्युनिस्ट नहीं हैं और उनकी सभी राजनीतिक पार्टियों की तरफ से निंदा की जा रही है . ऐसी स्थिति में अति दक्षिणपंथी ताक़तों की उस कोशिश को भी नाकाम किया जाना चाहिए इसमें नरेंद्र मोदी जैसे लोग माओवादियों को कम्युनिस्ट बताकर देश के लोकतांत्रिक वामपंथी आंदोलन को तबाह करने की योजना पर काम शुरू कर चुके हैं . देश में सही राजनीतिक परंपरा को विकसित करने के उद्देश्य से इन लोगों की अराजकतावादी राजनीति को रोका जाना चाहिए .
कांग्रेस के युवा संगठनों के नेता बीजेपी की छत्तीसगढ़ सरकार को बरखास्त कारने की मांग शुरू कर चुके हैं . छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अजीत जोगी भी रमण सिंह सरकार क बर्खास्त करने की मांग कर चुके हैं . लेकिन सबको मालूम है कि किसी राज्य सरकार को बर्खास्त करके इतनी खतरनाक और बराबर समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता .रायपुर की शोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी राजनीतिक अडवेंचर की भावना को कोई महत्व नहीं दिया . प्रधानमंत्री के साथ रायपुर से लौटकर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने पत्रकारों से बताया कि छत्तीसगढ़ में माओवादियों का हमला लोकतंत्र को कमज़ोर करने की साजिश का नतीजा है .उन्होंने कहा कि आतंक का सहारा लेकर माओवादी लोकतंत्र को कमज़ोर करना चाहते हैं क्योंकि अगर खुले आम चुनाव प्रचार करने पर आतंक का साया पड़ जाएगा तो किसी भी हालत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं चल सकती. इस बीच छत्तीसगढ़ एक मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आत्नकवादी हमले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन की घोषणा कर दी है .