Saturday, August 13, 2011

सरकार अन्ना हजारे को अनशन स्थल से उठा भी सकती है .




शेष नारायण सिंह

नई दिल्ली,११ अगस्त. अन्ना हजारे के १६ अगस्त को प्रस्तावित अनशन से केंद्र सरकार में अंदर तक घबडाहट है लेकिन इस बार सरकार उनसे दो दो हाथ करने के मूड में है.हालांकि सरकार में यह भी बातें चर्चा में हैं कि राम देव वाले रामलीला मैदान वाले आन्दोलन के तरह कोई गलती न हो . मीडिया के लिए बनाए गए मंत्रियों के ग्रुप की ब्रीफिंग में आज गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अगर अनशन के दौरान अन्ना हजारे की तबियत बिगड़ी तो उन्हें अनशन की जगह से उठा कर उनकी जान बचाने की कोशिश की जायेगी. जब गृह मंत्री इस तरह की बात करता है तो उसका मतलब अन्ना के एटीम के हर सदस्य की समझा में ज़रूर आ गया होगा.सरकार ने आज अन्ना हज़ारे के प्रस्ताविर अनशन को बेतुका बताया और कहा कि जब लोकपाल बिल संसद की स्थायी समिति के विचार के लिए पेश किया जा चुका है ,तो उस पर रचनात्मक सुझाव दिए जाने चाहिए , दबाव की राजनीति से बचना चाहिए . गृह मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में सब को अपना विरोध व्यक्त करने की आज़ादी है लेकिन वक़्त ही बताएगा कि विरोध सही था कि नहीं . हालांकि सरकार अब अन्ना को हीरो बनने से रोकने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है . आज दिल्ली के एक अखबार में खबर लीक की गयी है कि अन्ना हजारे की टीम के कुछ सदस्यों के एन जी ओ को कई विदेशी दूतावासों से धन मिलता है . उनेक साथियों के कुछ संगठनों को दुनिया के बहुत बड़े बैंकों से भी पैसा मिलता है .लीमैन ब्रदर्स नाम के बैंक का नाम भी अखबार में छपा है . उनके साथियों के एन जी ओ को दान देने वालों में दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वाल मार्ट का नाम भी अखबार में छपा है . सूत्रों ने बताया कि सरकार ने खुसफुस अभियान के ज़रिये यह भी दिल्ली के सत्ता के गलियारों में फैला रखा है कि अन्ना हजारे की टीम के सदस्य जजों को तो लोकपाल के जांच के दायरे में लेने की बात करते हैं लेकिन वे एन जी ओ के भ्रष्टाचार की जांच को लोकपाल से बाहर रखना चाहते हैं . जब यह लोग बुधवार को संसद के एसमिति में हाज़िर हुए थे तो उन्होंने आग्रह किया था कि एन जी ओ को उस जांच से बाहर रखा जाए. गौर करने की बात यह है कि अन्ना हजारे और रामदेव के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से शुरुआती मोर्चा संभालने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी मांग की थी कि रामदेव को धन देने वालों की जांच भी की जानी चाहिये .

अन्ना हजारे के खिलाफ तो सरकार के पास कुछ नहीं है लेकिन उनके साथियों की तरकीबों को मजाक का विषय बनाने के एकापिल सिब्बल की कोशिश आज भी जारी रही. जब गृह मंत्री से पूछा गया कि राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र अमेठी में ९५ प्रतिशत लोग अन्ना को सही मानते हैं तो उन्होंने कहा कि चांदनी चौक के सर्वे के बाद जो बात कपिल सिबल ने कही थी मैं भी वही कहता हूँ . मुझे ताज्जुब है कि यह रिज़ल्ट १०० प्रतिशत क्यों नहीं है .गृह मंत्री ने यह भी आभास देने की कोशिश की कि सरकार अन्ना हजारे के प्रस्तावित अनशन से परेशान नहीं है . वह दिल्ली पुलिस के स्तर का मामला है और उसे उसी स्तर पर हल कर लिया जाएगा. सरकार के अंदर के सूत्र बताते हैं कि आन्दोलन को हल्का करके पेश करने का काम पब्लिक के लिए है . वैसे सरकार पूरी तरह से मन बना चुकी है कि इस बार अन्ना हजारे के साथियों की कमजोरियों को पब्लिक करके उनके आन्दोलन की हवा निकालने की पूरी कोशिश की जायेगी . दिल्ली के एक बड़े अखबार में उनके साथियों के एन जी ओ को मिलने वाली रक़म का संकेत देकर सरकार ने अपने इरादों की एक झलक दिखा दी है . ज़ाहिर है जब अखबारों और टी वी चैनलों में विदेशी दान की बातें आयेंगीं तो टीम अन्ना रक्षात्मक मुद्रा में तो हो ही जायेगी.