शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली, १५ अक्टूबर रतनगढ़ से जो ख़बरें आ रही हैं वे तो यह साबित कर दे रही हैं कि हैवानियत ने उस मंदिर के क्षेत्र में अपनी सारी कला का प्रदर्शन किया . देश के सबसे बड़े अंग्रेज़ी अखबार में खबर छपी है कि पुलिस वालों ने घायल बच्चों को नदी में फेंक दिया .जो बात हैरत अंगेज है वह यह कि यह बच्चे जब नदी में फेंके गए तो जिंदा थे . जो बच्चे नदी में फेंके गए थे उनमें से छः को तो दतिया की राजुश्री यादव ने बचा लिया और पांच बच्चों को उनके माता पिता के हवाले कर दिया . एक बच्ची अभी भी उनके पास है जो सारी रात रोती रही .उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि इउस बच्ची को कहाँ ले जाएँ . एक अन्य चश्मदीद ने बताया है कि उसने ट्रकों में भरकर पुलिस वालों को करीब पौने दो से लाशें ले जाते देखा ,उनको पता नहीं कि उन लाशों को कहाँ ले जाकर फेंक दिया गया . जब संवाददाता ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानोदेशक ने पूछा कि यह वहशत क्यों की गयी तो उन्होने इन आरोपों को खारिज नहीं किया बल्कि कहा कि इन आरोपों की जांच हो रही है और अगर कुछ गलत पाया गया तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जायेगी . नदी में बच्चों को फेंकने की और भी बहुत सारी ख़बरें आ रही हैं और सरकार की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है कि कि मामले को दबा दिया जाए .
यह शर्मनाक है .रतनगढ़ में हुए हादसे को किसी तरफ से देखें सरकार की अक्षमता सामने आती है . दतिया में २००६ में भी बीजेपी के शासन के दौरान रतनगढ़ में ही इसी जगह ५० से ज़्यादा लोग कुचले गये थे .लेकिन सरकार ने ऐसा कोई क़दम नहीं उठाया कि मंदिर की तरफ जाने वाले एक पुल के अलावा और कोई वैकल्पिक रास्ता बना दिया जाए . ज़रूरी यह था कि धार्मिक लोगों को सुरक्षित मंदिर तक पंहुचाने के लिए सरकार कोई और उपाय करती. लेकिन कुछ नहीं किया गया .इस तरह सरकार का बहुत ही गैरजिम्मेदार चेहरा सामने आता है .
राज्य के लोगों में तीर्थयात्रा की भावनाओं को भी शिवराज सरकार ने खूब हवा दिया है. ग्रामीण भारत में सबकी इच्छा होती है कि तीर्थदर्शन करे. मध्यप्रदेश की सरकार ने सरकारी खर्चे पर एक स्कीम चलाई है जिसमें ६० साल से अधिक के लोगों को तीर्थयात्रा के लिए सरकारी खजाने से मदद दी जाती है .मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना नाम की यह स्कीम गरीब आदमियों के ऊपर मुख्यमंत्री का एहसान लाद देने के उद्देश्य से चलाई गयी है . जब यह योजना शुरू हुई थी बीजेपी के कई नेताओं ने बताया था कि इस योजना के बाद ग्रामीण मध्यप्रदेश में कोई भी व्यक्ति शिवराज सिंह चौहान को हर बार मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहेगा . मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के कारण ग्रामीण इलाकों में तीर्थयात्रा के प्रति जो माहौल बना है उसके बाद किसी भी तीर्थस्थान पर जाने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है .. मध्यप्रदेश सरकार ने लोगों को तीर्थस्थानों तक जाने के लिए प्रेरित तो कर दिया लेकिन उसके लिए ज़रूरी सुविधाओं का विकास नहीं किया . यह बात बार बार उठायी जाती रही है लेकिन इस बार रतनगढ़ के हादसे के बाद यह और तेज़ी से रेखांकित हो गयी है . मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को चाहिए कि इन हादसों की जिम्मेदारी लें और नवंबर में अगर वे दुबारा मुख्यमंत्री बंटे हैं तो उनको चाहिए कि हर तीर्थस्थान पर बुनियादी सुविधाओं की स्थापना भी मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के एक कार्यक्रम के रूप में शुरू करें .