शेष नारायण सिंह
बाढ़ के करण पकिस्तान में भारी तबाही आ गयी है . एक करोड़ घर तबाह हो गए हैं और करीब ५ करोड़ लोग बेघर हो गए हैं . इन लोगों को फ़ौरन मदद की ज़रुरत है .क्योंकि वे आसमान के नीचे रातें बिता रहे हैं . उनका सब कुछ लुट गया है . पंजाब और सिंध के सूबे भारी तबाही की चपेट में हैं . सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं ,उसके पास इतना धन नहीं है कि इन परेशान लोगों की मदद की जा सके. इनको किसी तरह की नार्मल ज़िंदगी मुहैया कराने के लिए कम से कम पांच हज़ार करोड़ रूपये की फौरी ज़रुरत है लेकिन अभी विदेशों और संयुक्त राष्ट्र की ओर से इसकी आधी रक़म का भी इंतज़ाम नहीं हो सका है . दुनिया के बाकी देश पाकिस्तान में सरकारों को गैर ज़िम्मेदार मानते रहे हैं इसलिए बहुत सारे दानदाता मदद के लिए नहीं आ रहे हैं . सुनामी के लिए अमरीका सहित पश्चिमी देशों ने भारी मदद की थी लेकिन अब वे भी हाथ खींचते नज़र आ रहे हैं . भारत ने आर्थिक सहायता का प्रस्ताव किया था लेकिन पाकिस्तान सरकार के लिए भारत से मदद लेने में राजनीतिक परेशानी है ,इसलिए उसने संयुक्त राष्ट्र के ज़रिये मदद भेजने की बात की है . पाकिस्तान सरकार में शीर्ष स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से पश्चिम के देश कोई भी मदद करने में संकोच कर रहे हैं . सरकार इतनी बड़ी तबाही को संभाल पाने के लिए बिलकुल सक्षम नहीं है . पाकिस्तान के बहुत सारे शहरों से नौजवान लड़के लडकियां निकल पड़े हैं अपने देश के खस्ताहाल लोगों की मदद करने लेकिन उन्हें गावों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उनकी मुसीबत यह है कि सरकार की ओर से देहाती इलाकों में तैनात मुकामी कर्मचारी कहीं नज़र ही नहीं आ रहे हैं जिसके वजह से मदद के काम में किसी तरह का कोई सामंजस्य नहीं है. पाकिस्तान के अपने राजनेताओं का व्यवहार बहुत ही गैरजिम्मेदाराना है . वे एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाते फिर रहे हैं . आपदा के शुरुआती दिनों में पाकिस्तानी राष्ट्रपति,आसिफ अली ज़रदारी की विदेश यात्रा के औचित्य पर रोज़ ही चर्चा हो रही है जो कि पूरी तरह से बेमतलब है . इस वक़्त तो पाकिस्तान की लगभग एक तिहाई आबादी बहुत बड़ी मुसीबत से गुज़र रही है और पाकिस्तानी राजनेता अपनी सियासत को चमक देने में लगा हुआ है . पाकिस्तानी राजनेताओं के इसी गैरजिम्मेदार आचरण के कारण संपन्न देशों के लोग बेमतलब सवाल पूछ रहे हैं . बी बी सी और सी एन एन टेलिविज़न ने पाकिस्तानी अवाम की मुसीबत को बहुत ही गंभीरता से लिया है .वे लगातार अपनी बुलेटिनों में पाकिस्तानी तबाही की तस्वीरें दिखा रहे हैं और बाकी दुनिया से अपील कर रहे हैं कि पाकिस्तानी सरकार के भ्रष्टाचार को कुछ वक़्त के लिएय नज़र अंदाज़ करके संयुक्त राष्ट्र और अन्य स्वयंसेवी संगठनों के ज़रिये पाकिस्तान की मुसीबत में पड़ी जनता को बचाने की कोशिश करें . इस सारे मामले में अमरीकी सरकार का रुख बहुत ही अमानवीय है . हालांकि वह अब तक सबसे बड़ा दानदाता देश है लेकिन जो अमरीका पाकिस्तान की फौज़ को तालिबान और अल कायदा के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए अरबों डालर की मदद कर रहा है उसकी तरफ से कुछ सौ करोड़ रूपये की मदद इतनी बड़ी मुसीबत के दौर में बहुत ही गलत बात लगती है . अमरीका को यह मालूम होना चाहिए कि पाकिस्तानी सेना के जो जवान उसके हित में काम कर रहे हैं और अफगानिस्तान, वजीरिस्तान, बलोचिस्तान और सूबा-ए-सरहद में अपनी जान हथेली पर लेकर अपने ही मुल्क के लोगों को मार रहे हैं , वे पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों से आते हैं . पाकिस्तानी फौज़ का एक बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तानी पंजाब के उन गावों से भर्ती किया जाता है जहां इस वक़्त बाढ़ की तबाही फैली हुई है. अमरीका उनकी भी कोई मदद नहीं कर रहा है .
बी बी सी टेलिविज़न पर एक बहस में पश्चिम के कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह कहते पाए गए कि पाकिस्तान की सरकारें हमेशा से ही गैर ज़िम्मेदार रही हैं और वे परमाणु बम बना रही हैं . इसलिए उनको सहायता देने का कोई मतलब नहीं है . पश्चिमी देशों के इन तथाकथित बुद्धिजीवियों की यह सोच बिलकुल वहशियाना है . क्या इस बात को सही ठहराया जा सकता है कि कि पाकिस्तानी सरकार और फौज बहुत ही भ्रष्ट संगठन हैं ,इसलिए वहां के लोगों को प्राक्रतिक आपदा की हालात में मरने के लिए छोड़ दिया जाए. पूरी दुनिया के देशों से अपील की जानी चाहिए कि इस वक़्त मुसीबत पाकिस्तानी सरकार पर नहीं आई है , मुसीबत पाकिस्तानी अवाम पर आई है. सब को चाहिए कि पाकिस्तानी सरकार की बे-ईमान नीतियों, भ्रष्टाचार और नाकाबिलियत को कुछ देर के लिए भुला दें और वहां की अवाम को मुसीबत के वक़्त अकेला न छोड़ दें . पाकिस्तान में जो करीब पांच करोड़ लोग मुसीबत ही हद से गुज़र रहे हैं वे सब इंसान हैं और अच्छे इंसान हैं . मान लिया कि पाकिस्तान सरकार बे-ईमान है लेकिन बाढ़ के शिकार लोग इस सरकार में शामिल नहीं हैं , वे इस सरकार की गलत नीतियों के शिकार हैं और पूरी दुनिया को इनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए . हालांकि यह भी सच है कि इस मुसीबत की घड़ी में भी पाकिस्तानी अवाम को बरगलाने की हुक्मरान की कोशिश जारी है . आज ही खबर है कि पाकिस्तानी सेना सीमा पर भारतीय चौकियों पर रह रह कर गोलियां चला रही है जिस से वहां के अखबारों में ख़बरों का स्पेस फौज की इन ख़बरों से घिर जाए . इसके बावजूद भी पाकिस्तानी जनता के प्रति सब को सहानुभूति रखना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान की सरकार और जनता में ज़मीन आसमान का फर्क है
Sunday, August 22, 2010
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