Thursday, September 22, 2011

आर एस एस ने आडवाणी को प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से अलग किया

शेष नारायण सिंह

नई दिल्ली,२१ सितम्बर. लाल कृष्ण आडवाणी ने बीजेपी की तरफ से २०१४ के लोक सभा चुनाव के वक़्त प्रधान मंत्री पड़ की दावेदारी से किनारा कर लिया है .आज सुबह नागपुर की यात्रा पर तलब किये गए आडवाणी ने आर एस एस को भरोसा दिला दिया है कि अब वे देश के सर्वोच्च पद के लिए दावेदारी नहीं करेगें . उनके इस बयान के बाद नई दिल्ली में बीजेपी के अंदर का राजनीतिक संघर्ष तेज़ हो गया है . इस संघर्ष के तार अहमदाबाद से भी सीधे तौर पर जुड़ गए हैं.आज जब दिल्ली में पार्टी की नियमित ब्रीफिंग में पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर से पूछा गया कि क्या आडवाणी के नागपुर के बयान के पीछे आर एस एस का दबाव था क्योंकि दिल्ली में आठ सितम्बर को जब उन्होंने अपनी रथ यात्रा का ऐलान किया था तो उन्होंने प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के सवाल को खुला छोड़ दिया था. आज नागपुर में उन्होंने साफ़ कहा कि उन्हें पार्टी, संघ और मीडिया से जितना प्यार मिला है वह प्रधान मंत्री पद से ज्यादा महत्वपूर्ण है.पार्टी प्रवक्ता ने अपना आग्रह नहीं छोड़ा और यही कहते रहे कि आडवाणी जी ने भ्रष्टाचार विरोधी यात्रा के ऐलान के समय जो कुछ दिल्ली में कहा था वही बात उन्होंने नागपुर में भी कही. लेकिन बीजेपी के अंदर की खबर रखने वाले बताते हैं कि अब बीजेपी की राजनीति में आडवाणी युग समाप्त हो गया है और आर एस एस के टाप नेताओं की मौजूदगी में आज यह बात नागपुर में बिलकुल पक्के तौर पर तय कर दी गयी है . इसीलिये आडवानी ने आज नागपुर में कहा कि मैं पार्टी के साथ बना हूँ औअर यह उनके लिय एबहुत खुशी की बात है . उन्होंने साफ़ कहा कि वे प्रधान मंत्री नहीं बनना चाहते.बीजेपी प्रवक्ता ने आज स्पष्ट किया कि जिस रथयात्रा की घोषणा आडवाणी जी ने ८ सितम्बर को की थी , वह अभी रद्द नहीं की गयी है . लेकिन अभी उसके बारे में विस्तार से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
आडवाणी के इस बयान के बाद बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर उठापटक का दौर शुरू हो जाने की आशंका है . बीजेपी वालों को अनुमान है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार पूरी तरह से घिर चुकी है इसलिए अगले चुनाव में उसका जीतना असंभव है . उस खाली जगह को भरने के लिए बीजेपी के नए टाप नेता कोशिश कर रहे हैं . आडवानी के मैदान छोड़ देने के बाद यह रसाकशी और तेज़ हो जायेगी इस सम्बन्ध में जब कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बीजेपी में प्रधानमंत्री पद के कम से कम पांच दावेदार हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की आन्तरिक राजनीतिक उथल पुथल के बारे में वे कुछ नहीं कहना चाहते लेकिन उन्होंने बीजेपी का मजाक उडाना जारी रखा . बहरहाल बीजेपी में लाल कृष्ण आडवानी के नागपुर में दिए गए बयान के बाद सत्ता की दावेदारी का संघर्ष तेज़ हो गया है .

योजना आयोग और कांग्रेस के बीच गरीबी रेखा पर मतभेद

शेष नारायण सिंह

नई दिल्ली,२१ सितम्बर.बीजेपी ने आज सरकार के उस हलफनामे की सख्त निंदा की जिसमें कथित रूप से गरीबों की संख्या घटाने की साज़िश की गयी है . बीजेपी ने एक बयान जारी करके कहा कि यह उस गरीब व्यक्ति का अपमान है जो बढ़ती मंहगाई और भ्रष्टाचार का शिकार हो रहा है.गरीब को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के बजाय सरकार ने तथ्य को नकारने और गरीब व्यक्तियों की संख्या छिपाने का रास्ता चुना यह गरीबी दूर करना नहीं बल्कि गरीब को गरीब न मानना है. बीजेपी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू पी ए सरकार के इस गरीब विरोधी रवैये का सभी उपलब्ध मंचों पर विरोध करेगी. हालांकि कांग्रेस ने इस हलफनामे को अंतिम सत्य मानने से इनकार कर दिया और कहा कि योजना आयोग के पास इस मामले में सुझाव दिए जायेगें . कांग्रेस का दावा है कि यह सुझाव कोई भी दे सकता है . एक सीधे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी भी योजना आयोग को सकारात्मक सुझाव देगी.लगता है कि अर्थशात्र के विद्वान् योजना आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने कांग्रेस के पार्टी से गरीबी की रेखा की परिभाषा तय करने के पहले हरी झंडी नहीं ली थी.

योजना आयोग ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके कहा था कि देश के शहरी इलाकों में रह रहे लोग अगर ९६५ रूपये प्रति माह अपने परिवार के रख रखाव पर खर्च करते हैं तो वे गरीबी रेखा कि उपर मानेजायेगें जबकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले पारिवारों के पास अगर ७८१ रूपये खर्च करने के लिए उपलब्ध है तो वे गरीब नहीं माने जायेगें. बीजेपी का कहना है कि यह सरकार की गैर ज़िम्मेदार कोशिश है . बीजेपी का दावा है कि यह दिमागी दिवालियापन है और इस प्रकार का हलफनामा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की विफलता का प्रतीक है .

खाद्य सुरक्षा का कानून बनाकर गरीब आदमी के बीच लोकप्रिय बनने की कोशिश कर रही कांग्रेस के लिए योजना आयोग़ का यह हलफ़नामा बहुत मुश्किलें पैदा कर रहा है . आज जब कांग्रेस प्रवक्ता से इस बारे में जब सवाल किया गया तो तो उन्होंने साफ़ कहा कि अभी इस हलफनामे में सुधार किया जायेगा . हालांकि बात को बहुत घुमावदार तरीके से पेश किया गया लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता की बात से साफ़ था कि योजना आयोग ने उसके लिए मुश्किल पेश कर दी है . उनका कहना है कि बहुत ही सोच विचार के बाद यह आंकड़े उपलब्ध हुए हैं और योजना आयोग के बहुत ही काबिल लोगों ने इस हलफ नामे पर काम किया है . इसलिए इस पर सोच विचार के बाद कोई फैसला लिया जायेगा. कांगेस के सूत्रों का दावा है कि यह हलफनामा पार्टी को मुश्किल में डालने वाला है और बिना राजनीतिक क्लियरेंस के इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया गया है .

गोपालगढ़ में मुसलमानों को टार्गेट करने के मामले में कांग्रेस को रंज है आराम के साथ

शेष नारायण सिंह

नई दिल्ली, २१ सितम्बर .बीजेपी ने राजस्थान सरकार के इस्तीफे की मांग की है . पार्टी का आरोप है कि राजस्थान के भरतपुर जिले के गोपालगढ़ गांव में 14 सितंबर को पुलिस ने एक समुदाय के लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग की और लोगों की जान गयी . कांग्रेस के राशिद अल्वी इस मामले की जांच के लिए गोपाल गढ़ गए थे और उन्होंने राज्य के गृह मंत्री को घटना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया . बीजेपी का आरोप है कि इतना बड़ा हादसा होने के बाद राजस्थान की पूरी सरकार को इस्तीफ़ा दे देना चाहिये . जब बीजेपी प्रवक्ता को बताया गया कि आप लोग गुजरात में हज़ारों मुसलमानों की हत्या के बाद भी नरेंद्र मोदी को दोषी नहीं मानते हैं तो उन्होंने कहा कि गोपालगढ़ में सीधे तौर पर राज्य सरकार का हाथ है . मानवाधिकार संगठन ,पी यू सी एल का आरोप है कि इस मामले में पुलिस का गैर ज़िम्मेदार रवैया ही सबसे ज्यादा चिंता की बात है . अजीब बात है कि पुलिस ने दो लोगों के आपसी विवाद में भाग लेते हुए एक खास समुदाय को निशाना बनाया.
गोपालगढ़ की इस घटना में आठ लोग मारे गए और अधिकारिक रूप से 23 लोग घायल हुए। जिन आठ मृतकों की शिनाख्त हुई है, वे सभी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। 23 लोग घायल हुए, इसमें से 19 लोग अल्पसंख्यक समुदाय के हैं. यदि पुलिस ने सही कदम उठाते हुए गोलीबारी की है, तो यह एक पहेली है कि मरने वाले सभी एक ही समुदाय के कैसे हो सकते हैं. शुरुआती जांच में पता चला है कि पुलिस ने 219 राउंड गोलियां चलाईं. गोलीबारी से पहले सिर्फ आंसू गैस के गोले छोड़े जाने का उल्लेख है लेकिन लाठीचार्ज या रबर बुलेट का कोई जिक्र नहीं आया है।
पीयूसीएल के अनुसार अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर उन्हें जलाया भी गया। यह जांच करने की जरूरत है कि यह किसने किया। गोलीबारी के बाद मस्जिद परिसर पुलिस के नियंत्रण में था . पी यू सी एल का आरोप हैं कि इस घटना के पीछे स्थानीय पुलिस के अलावा आरएसएस, बजरंग दल और विहिप के कार्यकर्ता शामिल हो सकते हैं। आरोप यह लगाया कि ये लोग घटना से पहले थाने में थे, जहां दोनों समुदाय के बीच समझौते के लिए बैठक चल रही थी तथा इन्हीं लोगों ने दबाव बनाकर कलेक्टर से फायरिंग के आदेश लिखवाए। इसकी भी जांच करवाए जाने की आवश्यकता है. यह भी पता चला है कि गोपालगढ की मस्जिद की दीवारों पर गोलियों के निशान थे. खून के निशान भी मिले हैं .मारने के बाद लोगों को घसीटा भी गया .

नई दिल्ली में आज कांग्रेस के प्रवक्ता ने इसे बहुत ही दुखद और दुभाग्यपूर्ण बताया लेकिन वे इस से आगे जाने को तैयार नहीं थे. जब पूछा गया कि यह मामला तो गुजरात जैसा ही है तो उन्होंने एतराज़ किया और कहा कि गोपाल गढ़ के मामले में अभी कोई सबूत नहीं हैं . गुजरात के मामले में तो सबूत सुप्रीम कोर्ट तक पंहुच चुके हैं . बहरहाल कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद मुसलमानों को टार्गेट करके मारने की इस घटना से सभ्य समाज में बहुत नाराज़गी है .