.
शेष नारायण सिंह
केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि इस साल से महिलाओं
के आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों )को बैंकों से सात प्रतिशत
ब्याज दर पर क़र्ज़ मिलेगा .अभी किसानों को फसल के लिए बैंकों से सात
प्रतिशत के दर से क़र्ज़ मिलता है .स्कीम पूरे देश में लागू की जा रही है .
इस सारी योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( नैशनल रूरल लाइवलीहुड
मिशन ) के अधीन रखा गया है . केंद्रीय मंत्रिमंडल ने १ मई को हुई अपनी
बैठक में यह फैसला कर लिया था लेकिन कर्नाटक में चुनाव के कारण लागू
आचारसंहिता के प्रावधानों के कारण मतदान के बाद आज इसकी घोषणा की गयी
.केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, जयराम रमेश ने अपने कमरे में कुछ
पत्रकारों को बुलाकर सरकारी फैसले और योजना की जानकारी दी . ग्रामीण
विकास मंत्री ने यह भी बताया की अपने बजट भाषण में जिस महिला बैंक की
स्थापना की घोषणा वित्तमंत्री ने की थी , उस बैंक को राष्ट्रीय
ग्रामीण आजीविका मिशन की इस योजना के लिए पूरी तरह से समर्पित कर दिया
जाना चाहिए .जयराम रमेश ने वित्तमंत्री को एक चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि
जिस तरह से कृषि के लिए नाबार्ड की स्थापना की गयी है उसी तरह से
महिलाओं के बैंक की भी स्थापना की जाए जो पूरी तरह से महिलाओं के सेल्फ
हेल्प ग्रुपों के काम के लिए समर्पित हो .
जानकार बता रहे हैं कि २०१४ के चुनावों के पहले केंद्र सरकार कुछ ऐसे
कार्यक्रम लागू करना चाहती थी जिसके बाद यूं पी ए सरकार की गरीब के
हितैषी की छवि बन सके . इसी सिलसिले में सरकारी सब्सिडी और वजीफों को
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की योजना के तहत लागू किया गया था. केंद्र
सरकार संसद के बजट सत्र में ही खाद्य सुरक्षा बिल पास करवा लेना चाहती
थी जिसके बाद गरीबों को पूरे देश में केंद्र सरकार के सौजन्य से सस्ता
अनाज मिलता लेकिन बीजेपी ने संसद में हल्ला गुल्ला जारी रखकर कांग्रेस की
चुनावी लिहाज़ से मुफीद योजना को रोक दिया . इमकान है कि राष्ट्रीय
ग्रामीण आजीविका मिशन गरीब महिलाओं को लाभ पंहुचाएगा और उसके बाद केंद्र
सरकार की छवि एक कल्याणकारी सरकार के रूप में बनायी जा सकेगी कांग्रेस को
.इसका फायदा आगामी चुनावों में भी मिल सकता है .
ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज जिस योजना का ऐलान किया है उसमें
कई परते हैं . देश के १५० जिलों में महिलाओं के आत्मसहायता समूहों (
सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) को बैंको से सात प्रतिशत रेट पर क़र्ज़ मिलेगा . अभी
क़र्ज़ का रेट ग्यारह से चौदह प्रतिशत के बीच है . ऐसा करने में बैंको को
जो घाटा होगा उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी . यानी बैंकों को सब्सिडी
दी जायेगी इस योजना की एक ख़ास बात यह है की अगर महिलाओं के आत्मसहायता
समूह समय से क़र्ज़ वापस कर देगें तो ब्याज दर चार प्रतिशत ही रह जायेगे .
इस योजना में देश के सभी ८२ नक्सल प्रभावित जिले शामिल किये गए हैं .
मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ के जिलों की संख्या सबसे ज्यादा है . चौदह जिले
मध्य प्रदेश के हैं और दस जिले छत्तीसगढ़ के शामिल किये गए हैं लेकिन अब
कुछ नए जिले बन गए हैं लिहाज़ा छत्तीसगढ़ के वे दस जिले अब चौदह जिले हो गए हैं .
पहले चरण के इन एक सौ पचास जिलों में ब्याज की सब्सिडी का सारा बोझ
केंद्र सरकार उठायेगी . बाकी चार सौ तिहत्तर जिलों में भी महिलाओं के
आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) को बैंको से क़र्ज़ सात प्रतिशत
के रेट से ही मिलेगा लेकिन उसको लागू करने का तरीका अलग होगा . वहां
ब्याज की सब्सिडी का ७५ प्रतिशत केंद्र सरकार देगी जबकि २५ प्रतिशत भार
राज्य सरकारों को उठाना पडेगा .इस योजना में इस साल १६५० करोड़ रूपये का
खर्च आयेगा जिसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा १४०० करोड़ रूपये होगा.
बाकी २०० करोड़ राज्य सरकारों को लगाना होगा
अब तक महिलाओं के आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) की सदस्यता
के लिए बी पी एल कार्ड धारकों को ही योग्य माना जाता था लेकिन अब यह नहीं
होगा . ग्राम पंचायत गरीब महिलाओं की पह्चान करेगी और जिसे महिला को
ग्राम पंचायत सदस्यता के लिए योग्य चिन्हित कर देगी वह महिलाओं के
आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) का सदस्य बन सकेगी .
इस स्कीम को लागू करने के लिए एक सोसाइटी बनायी जायेगी जिसके अध्यक्ष
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री होगें . यह सोसाइटी केंद्र सरकार से अलग
एक स्वायत्त संगठन के रूप में काम करेगी . अभी देश में महिलाओं
के आत्मसहायता समूहों की संख्या २५ लाख है हैं जिनकी सदस्य संख्या तीन
करोड़ है . सरकार का लक्ष्य है की अगले पांच साल में महिलाओं के
आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) की संख्या साठ लाख हो जायेगी
और सदस्यों की संख्या सात करोड़ तक पंहुच जायेगी .
शेष नारायण सिंह
केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि इस साल से महिलाओं
के आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों )को बैंकों से सात प्रतिशत
ब्याज दर पर क़र्ज़ मिलेगा .अभी किसानों को फसल के लिए बैंकों से सात
प्रतिशत के दर से क़र्ज़ मिलता है .स्कीम पूरे देश में लागू की जा रही है .
इस सारी योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( नैशनल रूरल लाइवलीहुड
मिशन ) के अधीन रखा गया है . केंद्रीय मंत्रिमंडल ने १ मई को हुई अपनी
बैठक में यह फैसला कर लिया था लेकिन कर्नाटक में चुनाव के कारण लागू
आचारसंहिता के प्रावधानों के कारण मतदान के बाद आज इसकी घोषणा की गयी
.केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, जयराम रमेश ने अपने कमरे में कुछ
पत्रकारों को बुलाकर सरकारी फैसले और योजना की जानकारी दी . ग्रामीण
विकास मंत्री ने यह भी बताया की अपने बजट भाषण में जिस महिला बैंक की
स्थापना की घोषणा वित्तमंत्री ने की थी , उस बैंक को राष्ट्रीय
ग्रामीण आजीविका मिशन की इस योजना के लिए पूरी तरह से समर्पित कर दिया
जाना चाहिए .जयराम रमेश ने वित्तमंत्री को एक चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि
जिस तरह से कृषि के लिए नाबार्ड की स्थापना की गयी है उसी तरह से
महिलाओं के बैंक की भी स्थापना की जाए जो पूरी तरह से महिलाओं के सेल्फ
हेल्प ग्रुपों के काम के लिए समर्पित हो .
जानकार बता रहे हैं कि २०१४ के चुनावों के पहले केंद्र सरकार कुछ ऐसे
कार्यक्रम लागू करना चाहती थी जिसके बाद यूं पी ए सरकार की गरीब के
हितैषी की छवि बन सके . इसी सिलसिले में सरकारी सब्सिडी और वजीफों को
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की योजना के तहत लागू किया गया था. केंद्र
सरकार संसद के बजट सत्र में ही खाद्य सुरक्षा बिल पास करवा लेना चाहती
थी जिसके बाद गरीबों को पूरे देश में केंद्र सरकार के सौजन्य से सस्ता
अनाज मिलता लेकिन बीजेपी ने संसद में हल्ला गुल्ला जारी रखकर कांग्रेस की
चुनावी लिहाज़ से मुफीद योजना को रोक दिया . इमकान है कि राष्ट्रीय
ग्रामीण आजीविका मिशन गरीब महिलाओं को लाभ पंहुचाएगा और उसके बाद केंद्र
सरकार की छवि एक कल्याणकारी सरकार के रूप में बनायी जा सकेगी कांग्रेस को
.इसका फायदा आगामी चुनावों में भी मिल सकता है .
ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज जिस योजना का ऐलान किया है उसमें
कई परते हैं . देश के १५० जिलों में महिलाओं के आत्मसहायता समूहों (
सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) को बैंको से सात प्रतिशत रेट पर क़र्ज़ मिलेगा . अभी
क़र्ज़ का रेट ग्यारह से चौदह प्रतिशत के बीच है . ऐसा करने में बैंको को
जो घाटा होगा उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी . यानी बैंकों को सब्सिडी
दी जायेगी इस योजना की एक ख़ास बात यह है की अगर महिलाओं के आत्मसहायता
समूह समय से क़र्ज़ वापस कर देगें तो ब्याज दर चार प्रतिशत ही रह जायेगे .
इस योजना में देश के सभी ८२ नक्सल प्रभावित जिले शामिल किये गए हैं .
मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ के जिलों की संख्या सबसे ज्यादा है . चौदह जिले
मध्य प्रदेश के हैं और दस जिले छत्तीसगढ़ के शामिल किये गए हैं लेकिन अब
कुछ नए जिले बन गए हैं लिहाज़ा छत्तीसगढ़ के वे दस जिले अब चौदह जिले हो गए हैं .
पहले चरण के इन एक सौ पचास जिलों में ब्याज की सब्सिडी का सारा बोझ
केंद्र सरकार उठायेगी . बाकी चार सौ तिहत्तर जिलों में भी महिलाओं के
आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) को बैंको से क़र्ज़ सात प्रतिशत
के रेट से ही मिलेगा लेकिन उसको लागू करने का तरीका अलग होगा . वहां
ब्याज की सब्सिडी का ७५ प्रतिशत केंद्र सरकार देगी जबकि २५ प्रतिशत भार
राज्य सरकारों को उठाना पडेगा .इस योजना में इस साल १६५० करोड़ रूपये का
खर्च आयेगा जिसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा १४०० करोड़ रूपये होगा.
बाकी २०० करोड़ राज्य सरकारों को लगाना होगा
अब तक महिलाओं के आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) की सदस्यता
के लिए बी पी एल कार्ड धारकों को ही योग्य माना जाता था लेकिन अब यह नहीं
होगा . ग्राम पंचायत गरीब महिलाओं की पह्चान करेगी और जिसे महिला को
ग्राम पंचायत सदस्यता के लिए योग्य चिन्हित कर देगी वह महिलाओं के
आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) का सदस्य बन सकेगी .
इस स्कीम को लागू करने के लिए एक सोसाइटी बनायी जायेगी जिसके अध्यक्ष
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री होगें . यह सोसाइटी केंद्र सरकार से अलग
एक स्वायत्त संगठन के रूप में काम करेगी . अभी देश में महिलाओं
के आत्मसहायता समूहों की संख्या २५ लाख है हैं जिनकी सदस्य संख्या तीन
करोड़ है . सरकार का लक्ष्य है की अगले पांच साल में महिलाओं के
आत्मसहायता समूहों ( सेल्फ हेल्प ग्रुपों ) की संख्या साठ लाख हो जायेगी
और सदस्यों की संख्या सात करोड़ तक पंहुच जायेगी .

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