Sunday, April 21, 2013

जयपुर चिंतन की राहुल गांधी की बातों को बेकार मानते हैं बड़े कांग्रेसी नेता



शेष नारायण सिंह

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जयपुर  चिंतन शिविर में जितनी बातें की थीं,लगता  है कि कांग्रेस के नेता हर उस बात को बेमतलब साबित कर देगें .उन्होंने जयपुर में अपने भाषण में बहुत जो देकर कहा था कि  “ हम टिकट की बात करते हैंजमीन पे हमारा कार्यकर्ता काम करता है यहां हमारे डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बैठे हैंब्लॉक प्रेसिडेंट्स हैं ब्लॉक कमेटीज हैं डिस्ट्रिक्ट कमेटीज हैं उनसे पूछा नहीं जाता  हैं .टिकट के समय उनसे नहीं पूछा जातासंगठन से नहीं पूछा जाताऊपर से डिसीजन लिया जाता है .भईया इसको टिकट मिलना चाहिएहोता क्या है दूसरे दलों के लोग आ जाते हैं चुनाव के पहले आ जाते हैं,  चुनाव हार जाते हैं और फिर चले जाते हैं और हमारा कार्यकर्ता कहता है भईयावो ऊपर देखता है चुनाव से पहले ऊपर देखता हैऊपर से पैराशूट गिरता है धड़ाक! नेता आता हैदूसरी पार्टी से आता है चुनाव लड़ता है फिर हवाई जहाज में उड़ के चला जाता है।“ कर्नाटक विधान सभा के ५ मई वाले चुनाव के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल ( सेकुलर ) को छोड़कर आये लोगों को टिकट दे दिया गया है . कर्नाटक में यह माहौल है कि कांग्रेस की टिकट पाने वालों के लिए विधानसभा पंहुचना आसान हो जाएगा . शायद इसीलिये अन्य पार्टियों से लोग दौड पड़े हैं और कांग्रेस में भी अपने उपाध्यक्ष की राय को ठंडे बस्ते में डालकर एन केन प्रकारेण सरकार बनाने की आतुरता के चलते ऐसे लोगों को टिकट देने की मजबूरी है . जयपुर में राहुल  गांधी ने कहा था कि उनकी पार्टी के ज़मीनी नेताओं में भी चुनाव जीतने  योग्यता होती है लेकिन पार्टी के पुराने नेता लोग उनकी बात को उतना महत्त्व नहीं दे रहे हैं जितना देना चाहिए था. बीजेपी छोड़कर आने वाले लोगों को भी कांग्रेस ने टिकट देने में संकोच नहीं किया है . अभी कल तक बीजेपी की कर्नाटक सरकार में कृषि और सहकारिता मंत्री रहे शिवराज तंगाडगी को भी टिकट दे दिया गया है.  वे कनकगिरि सीट से पार्टी के उम्मीदवार होंगें
राहुल गांधी ने जो और भी बातें कहीं थीं उनको भी नज़रंदाज़ किया जा  रहा है . मसलन उन्होने बहुत ही सख्त भाषा में कहा था कि कुछ नेताओं को मुगालता होता है कि वे जिस पार्टी में जाते हैं वह जीत जाती है . कांग्रेस भी उनको इज्ज़त देती है . उनके भाषण में शब्दशः कहा गया था कि , “जो हमारे ही लोग हमारे खिलाफ खड़े हो जाते हैं चुनाव के समय इंडिपेंडेंट खड़े हो जाते हैं जो इंडिपेंडेंट को खड़ा कर देते हैं उनके खिलाफ एक्शन लेने की जरुरत है।“  कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने ऐसे बहुत सारे लोगों को टिकट दे दिया है जो पिछले वर्षों में बार बार कांग्रेसी उमीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं , खिलाफ जाकर पार्टी बना चुके हैं लेकिन मौजूदा कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि वे चुनाव जीत सकते हैं और उनको भी टिकट दे दिया गया है .
राहुल गांधी ने यह भी  कहा है कि पार्टी को चाहिए कि उन लोगों को टिकट न दे जिनकी आपराधिक छवि है . कर्नाटक में टिकटों के बँटवारे को लेकर इस सलाह की भी धज्जियां उड़ाई गयी हैं . और आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों ,डी के शिवकुमार,एम कृष्णप्पा,और सतीश जरकीहोली को टिकट दे दिया  गया है .जयपुर में राहुल गांधी ने  कांग्रेस कार्यकर्ता को इज्ज़त देने की बात पर भी बहुत जोर दिया था . उन्होंने कहा था , “ सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की इज्जत होनी चाहिए और सिर्फ कार्यकर्ता की इज्जत नहींनेताओं की इज्जतनेताओं की इज्जत का मतलब क्या हैकि अगर नेता ने अच्छा काम किया हैअगर नेता जनता के लिये काम कर रहा है चाहे वह जूनियर नेता हो या सीनियर नेता होजितना भी छोटा होजितना भी बड़ा हो अगर वो काम कर रहा है तो उसे आगे बढ़ाना चाहिएअगर वो काम नहीं कर रहा है तो उसको कहना चाहिए भईया आप काम नहीं कर रहे हो और अगर 2-3 बार कहने के बाद काम नहीं किया तो फिर दूसरे को चांस देना चाहिए” लेकिन नौजवानों को कोई महत्व नहीं दिया  गया है . अन्य राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में यूथ कांग्रेस के कार्यकाल के राहुल गांधी के पुराने साथियों को महत्व दिया गया था .कर्नाटक में यूथ कांग्रेस वालों ने बीस लोगों को टिकट देने की सिफारिश की थी लेकिन एकाध को छोड़कर किसी को टिकट नहीं दिया  गया है .कर्नाटक राज्य के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रिजवान अरशद भी उम्मीदवार थे लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उनको टिकट नहीं दिया . खबर है कि वे बहुत नाराज़ हैं और पार्टी से इस्तीफे की  धमकी दे रहे हैं . उनके शुभचिंतक उनको समझा रहे हैं कि इस्तीफ़ा देना ठीक नहीं  होगा क्योंकि राज्य में जैसा माहौल है कि  उसमें कांग्रेस की सरकार बन सकती है और अगर पार्टी में बने रहे तो सत्ताधारी पार्टी की युवा शाखा के मुखिया के रूप में तो रुतबा रहेगा ,बेशक विधायक बनने का मौक़ा हाथ से निकल चुका है
कार्यकर्ताओं की इज्ज़त के बारे में राहुल गांधी के बयान की और भी दुर्दशा की गयी है. देश में कांग्रेस समेत सभी सरकारी पार्टियों की सबसे बड़े कमजोरी यह है कि पार्टियों के  बड़े नेताओं के रिश्तेदार पार्टी से मिलने वाले फायदे के सबसे बड़े लाभार्थी बन जाते हैं . ज़ाहिर है मंत्रियों और पार्टी के बड़े नेताओं के रिश्तेदार होने के कारण वे हमेशा आम कार्यकर्ता से ज़्यादा मज़े ले रहे होते हैं . लेकिन जब टिकट का मौक़ा आता है तो उनको टिकट दे दिया जाता है और आम कार्यकर्ता फिर मुंह ताकता रह जाता है .कर्नाटक में भी इस बार यह हुआ है .कई बड़े नेताओं के बच्चों या कुनबे वालों को टिकट दे दिया गया है . पूर्व मुख्यमंत्री धरम सिंह के बेटे अजय सिंह . केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खार्गे के पुत्र प्रियांक खार्गे  , पूर्व रेलमंत्री सी के जाफर शरीफ के पौत्र रहमान शरीफ और दामाद सैयद यासीन , एस शिवाशंकरप्पा और उनके बेटे एस एस मल्लिकार्जुन ,  एम कृष्णप्पा और उनके प्रिय कृष्णा आदि को पक्षपातपूर्ण तरीके से टिकट दे दिया गया है .
कांग्रेस ने राहुल  गांधी की एक और इच्छा का विधिवत अनादर किया है . राहुल गांधी की बड़ी  इच्छा है कि जो लोग बार बार भारी वोटों से चुनाव हार जाते हैं उनको टिकट न दिया जाए और उनकी जगह पर नए लोगों  को महत्व दिया जाए. कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए तो यह दिशानिर्देश भी तय किया था . नियम बनाया गया था कि जो लोग  पिछले दों चुनावो में  १५ हज़ार से ज्यादा वोटों से हारे होंगें उनको इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा लेकिन ऐसे लोगों को टिकट दिया गया है . बासवराज रायारादी, कुमार बंगारप्पा  और एस नयमगौड़ा इस श्रेणी में प्रमुख हैं .  
इस तरह से साफ़ देखा जा सकता है कि कांग्रेस ने जयपुर चिंतन में कही गयी बातों को पहले ही अवसर पर दरकिनार  करना शुरू कर दिया है .जयपुर में राहुल गांधी की बातों से कांग्रेस  की राजनीति को एक नई दिशा  मिलने की उम्मीद जताई गयी थी. हालांकि यह भी सच है कि बीजेपी के उम्मीदवार को प्रधानमंत्री पद पर स्थापित कर देने के लिए व्याकुल पत्रकारों ने उस भाषण का खूब मजाक उडाया था और उन लोगों का भी मजाक उडाया था जो राहुल गांधी को गंभीरता से ले रहे थे लेकिन इस बात में दो राय नहीं है कि उस भाषण से उम्मीदें बंधी थीं .उन्होंने कहा था कि  सत्ता के बहुत सारे केन्द्र बने हुए हैं .बड़े पदों पर जो लोग बैठे हैं उन्हें समझ नहीं है और जिनको समझ और अक्ल है वे लोग बड़े पदों पर पंहुच नहीं पाते .ऐसा सिस्टम  बन गया है कि बुद्दिमान व्यक्ति महत्वपूर्ण मुकाम तक पंहुच ही  नहीं पाता.आम आदमी की आवाज़ सुनने वाला कहीं कोई नहीं है .उन्होंने कहा कि  अभी ज्ञान की इज्ज़त नहीं होती बल्कि  पद की इज्ज़त होती है . इस व्यवस्था को बदलना पडेगा.  ज्ञान  पूरे देश में जहां भी होगा उसे आगे लाना पडेगा. ऐसे लोगों को  आगे लाने का  एक मौक़ा चुनाव का  टिकट होता है . कर्नाटक  विधानसभा चुनाव के टिकटों के बँटवारे के मामले में कांग्रेस यह मौक़ा गँवा चुकी है 

1 comment:

  1. ये सिर्फ खुद को पोषित कर रहे हैं.. नेता चाहे किसी भी दल का हो उसकी किसी बात पर भरोसा करने लायक नहीं है. ये कहते कुछ और हैं और करते कुछ और ही हैं.. ये वक्त आधारभूत समस्याओं पर ध्यान देने का है ना कि चुनाव में वोट किस पार्टी को देने का मन बनाने का है... अगर कोई नेता कोई नुमाइंदा देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है तो उसे सत्ता के किसी भी पद पर आसीन होने का हक़ नहीं है और सही बात तो ये है कि लोकतंत्र में आस्था रखने लायक अब ऐसी कोई भी बात नहीं रहीं जो इसे पूर्णत:लोकतात्रिक बता सके.

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