Showing posts with label सुधीर ढवले. Show all posts
Showing posts with label सुधीर ढवले. Show all posts

Saturday, January 8, 2011

दलित नेता और विद्रोही के संपादक सुधीर ढवले को पुलिस ने बिनायक सेन किया

शेष नारायण सिंह


महाराष्ट्र पुलिस ने भी छत्तीसगढ़ पुलिस की तरह गरीबों के अधिकार की लड़ाई लड़ने वालों की धरपकड़ शुरू कर दी है . इस सिलसिले में दलित अधिकारों के चैम्पियन और मराठी पत्रिका , 'विद्रोही ' के संपादक सुधीर ढवले को गोंदिया पुलिस ने देशद्रोह और अनलाफुल एक्टिविटीज़ प्रेवेंशन एक्ट की धारा १७,२० और ३० लगाकर गिरफ्तार कर लिया . उन पर आरोप है कि वे आतंकवादी काम के लिए धन जमा कर रहे थे. ,और किसी आतंकवादी संगठन के सदस्य थे. पुलिस ने उनको नक्सलवादी बताकर अपने काम को आसान करने की कोशिश भी कर ली है .अभी पिछले हफ्ते गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया था कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान को तेज़ किया जाए. सबको मालूम है कि जब पुलिस के ऊपर आला अफसरों का दबाव पड़ता है तो वे सबसे आसान पकड़ उन वामपंथियों को मानते हैं जो गरीब आदमियों के बीच काम कर रहे हों . छत्तीसगढ़ में डॉ बिनायक सेन ऐसे ही शिकार थे और अब महाराष्ट पुलिस ने वही कारनामा कर दिखाया है .सुधीर ढवले ने वर्धा में रविवार को अंबेडकर-फुले साहित्य सम्मलेन को संबोधित किया था और गिरफतारी के समय ट्रेन से वापस मुंबई जा रहे थे. उन्हें गिरफ्तार करके १२ जनवरी तक पुलिस हिरासत में रखा जाएगा.

गोंदिया की पुलिस ने दावा किया है कि कुछ लोगों ने उसे बता दिया था कि सुधीर ढवले किसी नक्सलवादी संगठन के राज्य स्तर के पदाधिकारी हैं . और उनके पास एक कम्प्युटर है जिसमें सारा नक्सलवादी साहित्य रखा हुआ है .सुधीर का कम्प्युटर भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है . सुधीर की गिरफ्तारी को सभ्य समाज के लोग किसी भी विरोधी आवाज़ को कुचल देने की सरकारी साज़िश का हिस्सा मान रहे हैं सुधीर सुधीर ढवले कोई लल्लू पंजू सड़क छाप नेता नहीं है .महाराष्ट्र में दलित अधिकारों के लिए चल रहे आन्दोलन के चोटी के नेता हैं . महाराष्ट्र में जाति के विनाश के लिए चल रहे आन्दोलन में वे बहुत ही आदर के मुकाम पर विराजमान हैं . २००६ में जब खैरलांजी में दलितों की सामूहिक ह्त्या की गयी थी तो महाराष्ट्र के नौजवानों में बहुत गुस्सा था . उसके बाद ६ दिसंबर २००७ को डॉ अंबेडकर के महापरिनिर्वाण के दिन रिपब्लिकन जातीय अन्ताची चालवाल की स्थापना करके सुधीर ढवले ने जाति के विनाश के डॉ अंबेडकर के अभियान को आगे बढ़ाया था. यह आन्दोलन आज मुंबई में एक मज़बूत आन्दोलन है . इस बात में दो राय नहीं है कि वे सरकार के लिए असुविधाजनक हमेशा से ही रहे हैं . .महाराष्ट्र में चल रहे उस आन्दोलन की अगुवाई भी वे कर रहे थे जिसमें मुंबई और महाराष्ट्र के सभ्य समाज के लोग डॉ बिनायक सेन की गिरफ्तारी के खिलाफ लामबंद हो गए थे. सुधीर की गिरफ्तारी के बाद मुंबई के संस्कृति कर्मियों के बीच बहुत गुस्सा है . फिल्मकार आनंद पटवर्धन ने कहा कि सुधीर धावले बहुत ही भले आदमी है .उनको भी उसी तर्ज़ पर पकड़ा गया है जिस पर बिनायक सेन को पकड़ा गया था. फिल्मकार सागर सरहदी ने भी सुधीर ढवले के एगिराफ्तारी को गलत बताया है .