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Sunday, May 6, 2012

आतंकवाद रोधी संगठन बनाने की गृह मंत्री की कोशिश को लगा राजनीतिक ब्रेक




शेष नारायण सिंह 

नई दिल्ली,५ मई.. केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रिय प्रोजेक्ट, एन सी टी सी पर राजनीतिक ब्रेक लग गया है .सम्मलेन के बाद  गृह मंत्री ने घोषणा के एकी ३ मुख्य मंत्रियों ने एन सी टी सी का विरोध किया जबकि कुछ ने शर्तों के साथ समर्थन किया . उन्होंने यह भी कहा कि  कई मुख्य मंत्रियों ने उसका  समर्थन किया  .एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ़ किया कि एन सी  टी सी को आई बी के अधीन रखने का प्रस्ताव २००१ में गठित ग्रुप आफ मिनिस्टर्स ने  तय किया था. उन दिनों अटल बिहारी  वाजपेयी की सरकार थी.  यह दिलचस्प है कि  आज जिन तीन मुख्यमंत्रियों ने एन सी टी सी का सबसे ज्यादा विरोध किया वे ताल बिहारी वाजपेये एकी सरकार का हिस्सा रह चुके हैं.
 बैठक के बाद पत्रकारों को गृह मंत्री पी चिदंबरम ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि  आज की बैठक में हुई चर्चा के बाद सरकार विचार करेगी और फैसला  लेगी. उन्होंने कहा कि  एन सी टी सी के गठन के लिए उन्हें संसद की मंजूरी मिली हुई है. आज एन सी टी सी के बारे में हुए मुख्यमंत्रियों एक सम्मलेन के बाद यह तय माना जा रहा  है कि ३  फरवरी  को जिस तरह का नोटिफिकेशन गृह मंत्रलय ने एन सी टी सी की स्थापना के लिए जारी किया था उसमें बड़े पैमाने पर परिवर्तन होगा . हालांकि यह भी सच है कि  केंद्र सरकार एन सी टी  सी के अपने एजेंडे  को आगे बढाने में सफल हो जायेगी क्योंकि प्रधान मंत्री ने अपन भाषण में साफ़ कहा कि  यह बैठक एन सी टी सी को आपरेशनलाइज़ करने के लिए ही बुलाई गयी है.जानकार बताते है कि आज की बैठक के बाद जो बात सबसे ज्यादा बार चर्चा में आई वह एन सी टी सी  को इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधीन रखने को लेकर थी. लगता है कि एन सी टी सी को केंद्र सरकार को इंटेलिजेंस ब्यूरो से अलग करना ही पडेगा एकाध को छोड़कर सभी मुख्य मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद से लड़ना बहुत ज़रूरी है और मौजूदा तैयारी के आगे जाकर उस के बारे में कुछ किया जाना चाहिए .पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह ३ फरवारी वाला अपने वह नोटिफिकेशन वापस ले ले और एन सी टी सी की स्थापना ही न करे. प्रधान मंत्री को चाहिए कि वे राज्यों के मुख्य मंत्रियों से समय समय पर सलाह लेते  रहें और आतंकवाद से मुकाबला राज्यों को ही करने दें.
सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को रोकने के लिए सामान्य पुलिस की ज़रूरत नहीं होती . उसके लिए बहुत की  कुशल संगठन की ज़रुरत होती है और एन सी टी सी वही संगठन है 
आज की बैठक  में केंद्र सरकार के रुख से लगा कि  वह एन से टी सी में कुछ परिवर्तन कर सकती है .उसकी  कंट्रोल की व्यवस्था में तो कुछ ढील देने  को तैयार है लेकिन ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी की योजना  को वह पूरी तरह से रोकने की कोशिश करेगी  .काले रंग के कवर में तैयार किये गए अपने लिखित भाषण में गुजरात के मुख्य मंत्री  नरेंद्र मोदी ने आज की बैठक में केंद्र सरकार को हर तरह से घेरा .उन्होंने सवाल  उठाया कि क्या एक राष्ट्र के रूप में हम संवैधानिक व्यवस्थाओं  और केंद्र राज्य संबंधो की ज़रुरत  पर अब विश्वास नहीं करते . उन्होंने एन सी टी सी   सम्मलेन के बहाने पूरी तरह से राजनीतिक माहौल बनाया  और  मुद्दों को कांग्रेस बनाम बीजेपी  बनाने की कोशिश की. आतंकवाद के शिकार  हुए राज्य छत्तीसगढ़ एक मुख्य मंत्री रमन सिंह ने कहा  कि राष्ट्रीय स्तर पर सूचनाओं के  संकलन, आंकड़ों के रखरखाव ,इनके विश्लेषण सभी राज्यों के बीच इनके आदान प्रदान तथा सभी के सम्मिलित प्रयास से की जाने वाली कार्यवाही और मानिटरिंग के लिए एक  एजेंसी आवश्यक है .लेकिन उन्होंने ३ फरवरी के आदेश का विरोध किया और कहा कि  ऐसी महत्वपूर्ण संस्था संसद के अधिनियम के माध्यम से गठित की जाए तो ज्यादा  प्रभावी और स्थायी होगी तथा उत्तरदायी भी.
 
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव बैठक में खुद नहीं आये थे .  उन्होंने एक मंत्री को भेज दिया था. राज्य के मुख्य सचिव भी नहीं आये थे . लेकिन उनका भाषण सम्मलेन में बांटा  गया जिसमें उन्होंने  कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एन सी टी सी के लिए वर्तमान में जो व्यवस्था प्रस्तावित की गयी है वह सही नहीं है . एन सी टी सी को इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधीन कर दिया गया है और उसकी  राज्यों की इकाइयों को स्वतंत्र काम करने की व्यवस्था है . यह राज्य की पुलिस के काम में अतिक्रमण है . उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि एन सी टी सी मूलतः इंटेलिजेंस इकठ्ठा  करने और उसके विश्लेषण आदि पर ही ध्यान दे  . कार्रवाई का   काम अधिकार राज्य सरकार  ही करे. जहां ज़रूरी हो राज्य सरकार के अधिकारी  एन सी टी सी से सहयोग हासिल करे.
 
 दिन भर यही माहौल नज़र आया कि सभी मुख्य मंत्री  एन सी टी सी के सवाल पर सहमत हैं . ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी के   विरोध के कारणों की तरह तरह की व्याख्याएं होती रहीं.  . कई सरकारी अफसरों ने यह संकेत दिया कि मुख्य मंत्री लोग अपने तैयारशुदा भाषणों में  जो विरोध कर भी रहे हैं वह मुकामी नौकरशाही की चिंताएं हैं क्योंकि एन सी टी सी के आ जाने के बाद पुलिसिंग की उनकी क्षमता  पर भी सबकी नज़र रहा करेगी जहां अब तक उनका एकछत्र साम्राज्य  बना हुआ है..
प्रधान मंत्री ने अपने  भाषण में कहा कि केंद्र सरकार  राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है .राज्यों को पुलिस और इंटेलिजेंस व्यवस्था  को दुरुस्त करने  के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती रही है ,उन्होंने  कहा कि  एन सी टी सी की स्थापना ग्रुप आफ मिनिस्टर्स की सिफारिशों के बाद और उसी के आधार  पर की गयी है . हालांकि उन्होंने  आज इस बात का उल्लेख नहीं किया लेकिन यह ग्रुप आफ मिनिस्टर्स संसद पर आतंकवादी  हमलों के बाद वाजपेयी सरकार के दौरान बनाया गया था. कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ के बाद भी इंटेलिजेंस की सफलता के बाद वाजपेयी सरकार ने इस तरह की संस्था की बात शुरू की थी.
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि आतंकवाद कोई सीमा नहीं मानता इसलिए  उसको किसी एक राज्य की सीमा में बांधने का  कोई मतलब नहीं है .आतंकवाद अब कई रास्तों से आता है . समुद्र , आसमान, ज़मीन और आर्थिक आतंकवाद के बारे में तो सबको मालूम है लेकिन अब साइबर स्पेस में भी आतंकवाद है . उसको रोकना  किसी भी देश की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए . . इसलिए  अब तो हर तरह की  टेक्नालोजी का इस्तेमाल करके हमें अपने सरकारी  दस्तावेजों, और बैंकिंग क्षेत्र की सुरक्षा का  बंदोबस्त करना चाहिये . उन्होंने कहा कि हमारे देश की समुद्री  सीमा साढ़े सात हज़ार  किलोमीटर है जबकि १५ हज़ार किलोमीटर से भी ज्यादा अन्तर राष्ट्रीय बार्डर  है . आतंक का मुख्य श्रोत वही है .. उसको कंट्रोल करने में केंद्र सरकार की ही सबसे कारगर भूमिका हो सकती है उन्होंने कहा कि  इस बात की चिंता करने के ज़रुरत नहीं  कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकार छीन लेगी. बल्कि ज्यों ज्यों राज्यों के  आतंक से लड़ने का तंत्र मज़बूत होता  जायेगा . केंद्र सरकार अपने आपको  धीरे धीरे उस से अलग कर लेगी.