शेष नारायण सिंह
झारखण्ड में अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है . उनकी ताजपोशी की जो खबरें आ रही हैं , वे दिल दहला देने वाली हैं . समझ में नहीं आता ,कभी साफ़ छवि के नेता रहे अर्जुन मुंडा इस तरह के खेल में शामिल कैसे हो रहे हैं . जहां तक नैतिकता वगैरह का सवाल है , आज की ज़्यादातर राजनीतिक पार्टियों से उसकी उम्मीद करने का कोई मतलब नहीं है . यह कह कर कि झारखण्ड चुनावों के दौरान बी जे पी ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और शिबू सोरेन के भ्रष्टाचार से जनता को मुक्ति दिलाने का वायदा किया था , वक़्त बर्बाद करने जैसा है . बी जे पी जैसी पार्टी से किसी नैतिकता की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. लेकिन जिस तरह की लूट की योजना बनाकर नितिन गडकरी ने अर्जुन मुंडा को मुख्य मंत्री बनाने की साज़िश रची है उस से तो भ्रष्ट से भ्रष्ट आदमी भी शर्म से पानी पानी हो जाएगा. पता चला है कि खदानों के धंधे में शामिल कुछ लोगों के पैसे के बल पर विधायकों की खरीद फरोख्त हुई है . और सब कुछ नितिन गडकरी के निजी हस्तक्षेप की वजह से संभव हो सका है . झारखण्ड में बी जे पी विधायक दल के नेता रघुबर दास के साथ जो व्यवहार हुआ है ,उस से पार्टी के टूट जाने का ख़तरा भी बना हुआ है . पता चला है कि नितिन गडकरी के बहुत करीबी कहे जाने वाले और उनके ही नगर नागपुर के तीन व्यापारियों ने मुख्य भूमिका निभाई है. अजय संचेती, तुलसी अग्रवाल और नरेश ग्रोवर नाम के यह व्यापारी नितिन गडकरी के ख़ास माने जाते हैं . दिल्ली का एक साहूकार, सेठिया भी खेल में शामिल बताया जा रहा है . नरेश ग्रोवर ने ही चम्पई सोरेन, सीता सोरेन ,टेकलाल महतो और साइमन मरांडी को दिल्ली में नितिन गडकरी के मकान पर जाकर मिलवाया था .दिल्ली वाले सेठिया ने अर्जुन मुंडा की ताजपोशी की तैयारी के पहले जो भी विधायक दिल्ली लाये गए, सबके जहाज के टिकट और दिल्ली में पांच सितारा होटलों में रहने का इंतज़ाम किया. उपाध्याय नाम का एक खदान मालिक भी इसी काम में लगा हुआ है . नितिन गडकरी की इस टीम के व्यापारी कोई लल्लू पंजू टाइप लोग नहीं है . यह लोग पार्टी अध्यक्ष की ओर से लोगों को निर्देश भी दे देते हैं . मसलन अजय संचेती नाम के नागपुर के व्यक्ति ने ही रघुबर दास को फोन करके कहा था कि वे बी जे पी विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा दे दें जिसके बाद अर्जुन मुंडा को नेता चुना जा सके. रघुबर दास ने उसे डांट दिया था और कहा था कि वे गडकरी जी से बात करेगें. कुछ देर बाद ही गडकरी जी का फोन आ गया और इस्तीफ़ा हो गया. शिबू सोरेन की पिछली सरकार में भी नितिन गडकरी नागपुर के इन व्यापारियों की मदद करते रहते थे. लोग बताते हैं कि उपाध्याय नाम के खदान मालिक के लिए गडकरी पहले भी सिफारिश करते रहते थे. अब विभागों को लेकर बहस चल रही है . शिबू सोरेन के बेटे , हेमंत सोरेन उप मुख्य मंत्री बनेगें. उनकी ख्याति भी अपने पिता से कम नहीं है . वे उन विभागों पर नज़र रखे हुए हैं जो मालदार माने जाते हैं लेकिन अर्जुन मुंडा और उनकी ताजपोशी में मदद करने वाले व्यापारी लोग इस बात पर अड़े हुए हैं कि खदान , बिजली और पुलिस का कंट्रोल अर्जुन मुंडा के पास ही रहेगा क्योंकि असली ताक़त तो इन्हीं विभागों से आती है . वैसे भी कांग्रेस की मदद से राज कर चुके मधु कोड़ा ने खानों के ज़रिये ही अरबों बनाया था.
राजनीति में शुचिता की बात करने वाली बी जे पी की पोल तो खैर उस वक़्त ही खुल गयी थी जब केंद्र में जोड़ गाँठ कर एक सरकार बनायी गयी थी जिसके दौरान सरकारी संपत्ति की लूट का भारतीय रिकार्ड बना था लेकिन अब तक यह माना जाता था कि बी जे पी वाले पहले से तय करके लूट करने के उद्देश्य से किसी सरकार को स्थापित नहीं करेगें . अजीब बात है कि अब वही हो रहा है और इस खेल में वे लोग मुख्य भूमिका निभा रहे हैं जो भारतीय जनता पार्टी के नेता नहीं हैं . इस बात में दो राय नहीं है कि दिल्ली में जमे हुए आडवाणी गुट के नेता लोग नितिन गडकरी को हाशिये पर लाने और उन्हें मजाक का विषय बना देने के चक्कर में रहते हैं लेकिन यह शायद पहली बार हो रहा है कि बिना पार्टी पदाधिकारियों को भरोसे में लिए बिचौलियों की मदद से मधु कोड़ा का उत्तराधिकारी तैनात किया जा रहा है . ज़ाहिर है अर्जुन मुंडा की हर गलती पर अडवानी गुट की नज़र रहेगी और मौक़ा मिलते ही उन्हें भी मधु कोड़ा के स्तर पर पंहुचा दिया जाएगा. इस बात की भी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि नितिन गडकरी का भी वही हाल किया जा सकता है जो दिल्ली दरबार के भाजपाइयों ने बंगारू लक्ष्मण का किया था .
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Saturday, September 11, 2010
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