शेष नारायण सिंह
नरेंद्र मोदी से आठ घंटे चली पूछताछ के बाद कुछ लोग बहुत खुश हैं कि अब मोदी को २००२ के गुजरात नरसंहार के लिए उनके किये की सज़ा दिलाई जा सकेगी. जांच के लिए पेश होने के बाद जब मोदी बाहर निकले तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपने महान देश की न्याय व्यवस्था में पूरा भरोसा है और उनके साथ भी न्याय होगा.यह बात सभी कहते हैं और यह सच भी है . मोदी का गुनाह ऐसा है जिसे वे सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं जिन्हें उस दौर में गुजरात का नरसंहार देखने या उसे कवर करने का मौका लगा था .लेकिन सच्चाई यह है कि कहीं कुछ नहीं होने वाला है . कुछ जानकार तो यह कहते पाए गए हैं कि यह सारा आडम्बर मोदी को पाक-साफ घोषित करने की एक साज़िश है . बड़े नेताओं के खिलाफ राजनीतिक मजबूरी के कारण शुरू किये गए मामलों में अब तक किसी के दण्डित होने की जानकारी नहीं है .राजनीति में बड़ा पद पाने वाले बहुत सारे लोगों के ऊपर मुक़दमें चले लेकिन लगभग सभी बरी हो गए. इमरजेंसी के तुरंत बाद जिस तरह से सबूत मिलना शुरू हुए, सबको लगने लगा था कि इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी, जगमोहन, विद्या चरण शुक्ल, ओम मेहता, बंसी लाल, नारायण दत्त तिवारी जैसे सैकड़ों नेताओं और अफसरों को कानून की जंजीर पहना दी जायेगी. लेकिन कुछ नहीं हुआ. बाद में बोफोर्स तोप का सौदा हुआ जिसमें भी राजनीति के बड़े लोगों का नाम आया था लेकिन कुछ नहीं हुआ. पी वी नरसिंह राव जब प्रधान मंत्री थे तो तरह तरह के हेरा फेरी और ठगी के मामले उन पर दर्ज हुए लेकिन कुछ नहीं हुआ . जार्ज फर्नांडीज़ , बंगारू लक्ष्मण आदि को तहलका मामले में घूस का शिकार होते पूरी दुनिया ने देखा . जांच में कुछ नहीं निकला . जैन हवाला काण्ड में देश की सुरक्षा से समझौता किया गया था . और उसमें लाल कृष्ण आडवानी,शरद यादव, सीता राम केसरी, सतीश शर्मा, अरुण नेहरू, आरिफ मुहम्मद खान जैसे गैर कम्म्युनिस्ट पार्टियों के बहुत सारे नेता शामिल थे .लेकिन किसी के ऊपर चार्ज शीट तक दाखिल नहीं हुई अटल बिहारी वाजपयी के करीबी रिश्तेदार , भट्टाचार्य नाम के एक सज्जन थे , देश को लूट कर रख दिया लेकिन कहीं हुछ नहीं हुआ . बाबरी मस्जिद के विध्वंस के मामले में लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी उमा भारती, विनय कटियार आदि के खिलाफ संगीन आरोप हैं लेकिन सब मस्त हैं . प्रमोद महाजन और अरुण शोरी के ऊपर सरकारी कंपनियों को औने पौने दाम पर बेचने का आरोप लगा लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ. लालू प्रसाद, राबडी देवी, जगन्नाथ मिश्र, शिबू सोरेन,मायावती, मुलायम सिंह यादव आदि के ऊपर गंभीर आर्थिक अपराधों के आरोप हैं और सब के सब निश्चिन्त हैं . सब को मालूम है कि सब ठीक हो जाएगा, कहीं कुछ नहीं होने वाला नहीं है .
इसलिए इस बात में कोई शक़ नहीं हिया कि मोदी का कुछ बनने बिगड़ने वाला नहीं है . अगर उन लोगों की बात को मान लिया जाए कि मोदी को क्लीन चिट देने के लिए उनसे कड़ाई से पूछताछ का स्वांग किया गया तो बात बहुत ही आसान हो जाती है लेकिन अगर इस बात को न भी माना जाए और यह विश्वास किया जाए कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही जांच में किसी की हिम्मत हेरा फेरी करने की नहीं है तो भी मोदी जैसे ताक़तवर नेता के खिलाफ आरोप साबित कर पाना बहुत ही मुश्किल होगा. हमारी न्याय व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है , ईमानदार गवाह . हमने देखा है कि मुकामी गुंडों को सज़ा इस लिए नहीं हो पाती कि उनके खिलाफ गवाह नहीं मिलते. तो मोदी जैसे सत्ताधीश के खिलाफ कहाँ से गवाह आ जाएंगें . दुनिया जानती है कि फरवरी २००२ में किस तरह से गुजरात के कुछ शहरों में खून खराबा हुआ था और किस तरह मुसलमानों को चुन चुन कर मारा गया था . लेकिन मोदी न केवल खुले आम घूम रहे हैं बल्कि चुनाव भी जीत रहे हैं .. ज़ाहिर है कि सिस्टम में कहीं कोई खोट है जिसके चलते सत्ता के पदों पर बैठे राजनेता बरी हो जाते हैं . और जब किसी नेता पर बुरा वक़्त आता है तो बाकी लोग ,जो राज नेता, फंसे हुए नेता के खिलाफ रहते हैं , वे भी साथ साथ खड़े हो जाते हैं . ठीक वैसे है जैसे मौसेरे भाइयों के बीच होता है .जब एक भाई फंसता है तो उसका मौसेरा भाई उसे बचाने आ जाता है . मौसेरे भाइयों की यह मुहब्बत अपने देश की बहुत सारी कहावतों में भी संभाल कर रखी हुई है . वरना वली गुजरती की मज़ार को ज़मींदोज़ करने वाले को तो सज़ा कभी की मिल गयी होती .
इस लिए मोदी या किसी नेता के अपराधों के लिए उस से पूछ ताछ तक तो हो सकती है लेकिन उसे सज़ा नहीं दी जा सकती . अगर मोदी के अपराध की सज़ा उनको मिल गयी तो देश की जनता को भरोसा हो जाएगा कि कानून का राज सब पर चलता है वरना अभी तक तो लोग यही मानते हैं कि कानून की ताक़त को नेता लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं .
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Monday, March 29, 2010
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