शेष नारायण सिंह
मुंबई, २४ मार्च .सत्ता की राजनीति में बड़े पैमाने पर मंथन चल
रहा है .बीजेपी के नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में
धमाकेदार इंट्री ली हैं .आम तौर पर माना जा रहा है की बीजेपी वाले उनको ही
आगे करके कांग्रेस के खिलाफ मोर्चेबंदी करेंगे .हिंदुत्व का राजनीतिक
इस्तेमाल उत्तर प्रदेश में ही शुरू हुआ था. बाद में नरेंद्र मोदी ने उसका
गुजरात में सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया . मुसलमानों का खौफ पैदा करके वहाँ के
हिंदुओं को एक किया और लगातार चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया .आज पूरे
देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के उसी माडल को लागू करने की कोशिश की जा रही है .
बीजेपी के नेता अभी तो न नुकुर कर रहे हैं लेकिन ईमान है कि आने वाले वक़्त में
मोदी की ताक़त भारी पड़ेगी और धार्मिक ध्रुवीकरण को राजनीतिक हथियार के रूप
में इस्तेमाल करने की राजनीति आर एस एस की मंजूरी के साथ लोकसभा २०१४ में इस्तेमाल
की जायेगी.
हिंदुत्व को
राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की बीजेपी की कोशिश में उत्तर प्रदेश में सबसे
बड़ी अड़चन मुलायम सिंह यादव की पार्टी रही है.अगर कहा जाए कि लाल कृष्ण
आडवानी के हिंदुत्व के अभियान को मुलायम सिंह यादव ने रोक दिया था तो अतिशयोक्ति
नहीं होगी. हिंदुत्व के राजनीतिक इस्तेमाल की उनकी मंशा के खिलाफ मुलायाम सिंह
यादव चट्टान की तरह खड़े हो गए थे . उसका उनको राजनीतिक लाभ भी मिला. पिछले बीस
वर्षों में कई बार उत्तर प्रदेश में सरकार बनी और केन्द्र में भी रक्षा मंत्री तक
की पोजीशन तक पंहुचे .उन्होंने हमेशा कहा है कि लाल कृष्ण आडवानी इतिहास की गलत
व्याख्या करते हैं .खास तौर पर अयोध्या की
बाबरी मसजिद के बारे में तो लाल कृष्ण आडवानी की हर बात को मुलायम सिंह यादव ने
गलत बताया है लेकिन लखनऊ की एक सभा में उन्होंने ऐलान किया कि लाल कृष्ण आडवानी कभी झूठ नहीं बोलते . उस
सभा में मुलायाम सिंह यादव के प्रशंसक
इकठ्ठा हुए थे लेकिन जब मुलायम
सिंह यादव
ने आडवाणी की तारीफ़ के पुल बांधना शुरू किया तो उन लोगों को अपने कानों
पर
विश्वास ही नहीं हुआ .मुलायम
सिंह यादव ने कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी जैसे
बड़े नेता ने उनसे कहा है कि वह चाहते
हैं कि सूबे में सपा की सरकार चले लेकिन
उप्र में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है। बकौल
मुलायम 'यदि आडवाणी ऐसा कह रहे हैं तो
हमें
निश्चित समीक्षा करनी चाहिए। आडवाणी कभी झूठ नहीं बोलते।'
मुलायम सिंह
यादव के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक भूलवश दिया गया बयान नहीं
मानते.
ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी
में बीजेपी को लेकर गंभीर विचार मंथन चल
रहा है .अभी कुछ दिन पहले पार्टी के दूसरे
सबसे महत्वपूर्ण नेता राम गोपाल यादव
ने बीजेपी के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी
वाजपेयी की तारीफ़ की थी और कहा था
कि अगर उनकी सरकार के ऊपर २००२ के गोधरा के बाद
के नर संहार का दाग न
लगा होता तो वे डॉ मनमोहन सिंह से बहुत अच्छे प्रधान मंत्री
थे. उन्होंने कहा था
कि अटल जी और डॉ मनमोहन
सिंह में कोई तुलना नहीं की जा सकती .
इसके अलावा भी समाजवादी पार्टी और
बीजेपी के बीच बढ़ रही नजदीकियां और भी अवसरों पर देखी गयी हैं . राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान लोकसभा में सपा और भाजपा के बीच
नए समीकरणों के संकेत दिखे। मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के
सामने दोनों दलों के बीच दूरी कम करने का
एक फार्मूला पेश किया .बीजेपी के देशभक्ति,
सीमा और भाषाई मुद्दों से शत-प्रतिशत सहमति जताते हुए मुलायम सिंह ने
कहा कि यदि मुसलिम और कश्मीर मुद्दे पर वे अपनी नीति बदल लें तो उनके-हमारे बीच की
दूरी कम हो जाएगी। जवाब में राजनाथ ने दोनों दलों के बीच दूरियां होने की बात को
नकारते हुए भविष्य में साथ आने के संकेत भी दे दिए. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर
बुधवार को विपक्ष की तरफ से चर्चा की शुरुआत करते हुए राजनाथ ने किसानों, गरीबों की बात की तो वह मुलायम सिंह यादव बहुत प्रभावित हुए . मुलायम सिंह
ने राजनाथ की ओर मुखातिब होकर कहा कि देशभक्ति, सीमा मामलों
और भाषा पर हमारी व बीजेपी की नीति एक ही है बीच की दूरी कम हो जाएगी .उनकी इस बात
पर बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उठकर हमारे और आपके बीच में दूरी कहां है?
अगली बार निश्चित तौर पर आप हमारे साथ होंगे। मुलायम ने भी जोर देकर
दोबारा कहा, मैं फिर कह रहा हूं और इस सदन में कह रहा हूं कि
भाजपा अपनी नीति बदल रही है।
उत्तर प्रदेश की
राजनीति में सत्ता की इस करवट का मतलब समझ में आना शुरू तो हो गया है लेकिन आने
वाले दिनों में इसके संकेत और साफ़ हो जायेगें .और अगर यह तय हो गया कि समाजवादी
पार्टी और बीजेपी के बीच दोस्ती बढ़ रही है तो उत्तर प्रदेश में राजनीति का खेल
बिलकुल बदल जाएगा
वस्तुतः यह परिवर्तन भाजपा मे नहीं सपा मे हो रहे हैं और इसके कारण अंदरूनी हैं। इस वक्त सपा मे शिव पाल जी और आजम खाँ साहब एक ओर हैं और राम गोपाल जी व अखिलेश जी दूसरी ओर। मुलायम सिंह जी यह सब जानते व समझते हैं और इसी लिए अपने बाद की राजनीति तय करते जा रहे हैं एवं भाजपा से नजदीकी उसी प्रक्रिया मे है। वह समझ रहे हैं कि उनके बाद सपा मे दो राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। तब अखिलेश को सत्ता मे कैसे बनाए रखा जाएगा उसी कड़ी मे अटल जी व आडवाणी जी की प्रशंसा हो रही है। राजनाथ जी ने तो एक रस होने की बात कह ही दी है।
ReplyDeleteहमने यह अनुमान 16 मार्च 2012 को ही दे दिया था।
http://krantiswar.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html
तीसरा भाव पराक्रम और जनमत का है जिसका स्वामी होकर चंद्रमा अष्टम भाव मे चला गया है जो सरकार के स्थाईत्व हेतु शुभ नहीं है।
सातवें भाव (जो सहयोगियों,राजनीतिक साथियों एवं पार्टी नेतृत्व का है )का स्वामी मंगल चतुर्थ भाव (जो लोकप्रियता व मान-सम्मान का है )मे सूर्य की राशि मे स्थित है । यह स्थिति शत्रु बढ़ाने वाली है इसी के साथ-साथ सातवें भाव मे मंगल की राशि मे 'राहू' स्थित है जो कलह के योग उत्पन्न कर रहा है।
ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के मध्य काल तक पार्टी मे अंदरूनी कलह-क्लेश और टकराव बढ़ जाएँगे। ये परिस्थितियाँ पार्टी को दो-फाड़ करने और सरकार गिराने तक भी जा सकती हैं। निश्चय ही विरोधी दल तो ऐसा ही चाहेंगे भी। ग्रहों के आईने मे अखिलेश सरकार