शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली, १४ जून. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने दावा किया है कि पार्टी करोड़ों मेहनतकशों , मजदूर वर्ग ,किसान समुदाय,बुद्धिजीवियों,मध्यवर्गो
सी पी आई ने कहा है कि भारत और विश्व दोनों में पूंजी वाद गहरे संकट में है.संकट वित्तीय है और आर्थिक गिरावट का है..जनता के पैसे के ट्रस्टी सरकार .पूंजी पतियों को बड़े बड़े पैकेज दे रही है .और आम जनता को पूंजीवादी निजाम को कायम रखने के लिए आर्थिक बोझ के नीचे दबाया जा रहा है .कार्यक्रम में लिखा है कि पूंजीवाद का पतन हो रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि निकट भविष्य में पूंजीवाद ख़त्म हो जाएगा . उसके पास बहुत ताक़त है . वैज्ञानिक क्रान्ति, सूचना क्रान्ति और कारोप्रेट मीडिया पर उसका क़ब्ज़ा है . पूंजीवादी निजाम को बहुत साल तक कायम रखने में इन सारी ताक़तों का इस्तेमाल किया जा सकता है . लेकिन अगर एक क्रांतिकारी पार्टी हो तो उसे उखाड़ फेंकने के काम को जल्दी किया जा सकता है . सी पी आई का मानना है कि पूंजीवादी ताक़तों की प्रतिनधि मौजूदा सरकार विकास को सकल घरेलू उत्पाद के भाषा में नापती हैं . यह ठीक नहीं है . विकास का पैमाना इंसानी खुश हाली होनी चाहिए. गरीबी सामने खडी है लेकिन सरकार आंकड़ों की बाजीगरी के चलते उसको ढंकने की कोशिश करती है और देश के कारोप्रेट घरानों,, नौकरशाहों, और भ्रष्ट राजनेताओं को लाभ पंहुचाया जा रहा है.
सी पी आई को अब पता चल गया है कि जनवाद और समाजवाद के संघर्ष में जाति के सवाल को टालना नहीं चाहिए था. .पार्टी को यह जानकारी देर से ही सही मिल गयी है कि भारत का समाज वर्गों और जातियों में बँटा हुआ है. . एन जी ओ सेकटर के धंधों पर भी कम्युनिस्ट पार्टी ने ज़बरस्त प्रहार किया है . ड्राफ्ट कार्यक्रम में लिखा है कि वर्ग भेद को कमज़ोर करने और वर्ग संघर्ष के महत्व को कम करने के मकसद से कुछ एन जी ओ इन पहचानों को बढा चढा कर सामने रखते हैं और पहचान की राजनीति का खेल खेलते हैं .इस बात पर जोर देना होगा कि शोषक और शोषित वर्गों के बीच के संघर्ष सामाजिक क्रान्ति की मुख्य शक्ति होते हैं . लेकिन वास्तविक सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए जातीय भाषाई और अन्य पहचानों पर भी ध्यान देना चाहिए .
ए बी बर्धन ने कहा कि अपने देश में जो क्रान्ति आयेगी वह हिंसक नहीं होगी क्योंकि अपने यहाँ संसदीय प्रणाली मौजूद है लेकिन बूर्जुआजी की ताक़तों को भी चाहिए कि आम आदमी के संघर्ष को सरकारी ताक़त से कुचलने की कोशिश न करें क्योंकि उस हालत में संघर्ष को हिंसक भी होना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा लोक सभा में ३५२ सदस्य करोडपति हैं . वे करोड़पतियों के हित की ही बात करेगें . इसलिए चुनाव प्रणाली में सुधार का काम भी तुरंत किया जाना चाहिए .