शेष नारायण सिंह
अभी प्राकृतिक गैस की कीमत 4.२ डालर प्रति एम बी टी यू की फिक्स का गयी है जो ३१ मार्च २०१४ तक जारी रहेगी। पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट के ज़रिये संशोधित मूल्य ६.७ डालर प्रति एम बी टी यू तय करने की सिफारिश की है .एम बी टी यू गैस के माप की यूनिट है और एक हज़ार क्यूबिक फीट की ऊर्जा वाली गैस को एक एम बी टी यू के बराबर माना जाता है . अगर यह कीमतें लागू हो जाती हैं तो सरकारी कंपनियों को यो तुरंत लाभ होगा लेकिन रिलायंस को इंतज़ार करना पडेगा क्योंकि उसे यह लाभ अप्रैल २०१४ से मिलना शुरू होगा. वित्त , उर्वरक और विद्युत् मंत्रालय के अफसर इस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मंहगाई के मार झेल रही देश की जनता के सामने मंहगाई का पहाड़ खड़ा हो जाएगा क्योंकि उसके बाद रासायनिक खाद, बिजली और बिजली से पैदा होने वाली हर चीज़ की कीमत बढ़ जायेगी जो आम आदमी के ऊपर तो भारी बोझ होगा ही लेकिन सरकार के लिए भी इसे राजनीतिक रूप से संभाल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा .
गुरुदास दासगुप्ता ने आरोप लगाया है कि हर मंत्रालय से आ रहे विरोध के बावजूद वीरप्पा मोइली इस बढ़ोतरी को लागू करने पर आमादा हैं . कैबिनेट नोट से भी आगे जाकर वे गैस की कीमतों में वृद्धि इस तरह से करना चाहते हैं कि रिलायंस को लगातार लाभ मिलता रहे . उन्होंने सुझाव दिया है कि गैस की कीमतें मौजूदा ४.२ डालर प्रति एम बी टी यू से बढ़ाकर ८ डालर प्रति एम बी टी यू कर दिया जाए, लेकिन यह कीमत केवल एक साल तक वैध रहेगी , दूसरे साल मोइली साहब यह कीमतें १० डालर प्रति एम बी टी यू , तीसरे साल १२ डालर प्रति एम बी टी यू और चौथे और पांचवें साल १४ डालर प्रति एम बी टी यू करना चाहते हैं .पेट्रोलियम सचिव और अन्य अधिकारियों ने मंत्री की मनमानी और तर्कहीन वृद्धि के प्रस्ताव का विरोध किया है . वीरपा मोइली उन अफसरों पर दबाव डाल रहे हैं कि वे उस फ़ाइल पर दस्तखत कर दें जिसमें उनकी मूल्यवृद्धि की सिफारिशें लिखी हुयी हैं . अगर वीरप्पा मोइली की बात मान ली गयी तो ७६००० हज़ार करोड़ रूपये की फालतू सब्सिडी सरकारी खजाने पर पड़ेगी और उसका लाभ सबसे ज़्यादा रिलायंस को ही मिलेगा .