Showing posts with label वरुण गांधी. Show all posts
Showing posts with label वरुण गांधी. Show all posts

Sunday, July 26, 2009

क्या शरीफ हो गए वरुण?

बीसदिन जेल में रहने के बाद वापस लौटे वरुण गांधी ने आगे से अहिंसा के रास्ते पर चलने का $फैसला किया है। पीलीभीत में पर्चा दाखि़ल करने गए वरुण गांधी ने कहा कि अब अहिंसा ही उनका धर्म है। भारतीय परंपरा में प्रायश्चित्त का बहुत महत्व है क्योंकि प्रायश्चित्त करने वाला अपने पुराने पाप से छुट्टïी पा जाता है। अभी एक महीने से थोड़ा ज्यादा वक़्त हुआ जब वरुण गांधी लोगों के हाथ काटने पर आमादा थे।

लेकिन अब वे अहिंसा की बात कर रहे हैं। समझ में नहीं आता कि 20 दिन में ही यह क्रांतिकारी सुधार कैसे आ गया। पीलीभीत की सभा में वरुण गांधी ने कहा था कि उनके जेल जाने के बाद उनकी मां बहुत रोईं। बेटे के जेल जाने से बहुत दुखी थीं। हो सकता है कि अपनी मां के आंसुओं को देखकर वरुण गांधी ने बर्बरता की जि़न्दगी तर्क करने का फै़सला कर लिया हो। लेकिन मां के आंसुओं में भी उनकी व्यापारिक बुद्घि उनके साथ रही। उन्होंने पीलीभीत की जनता से अपील कर डाली की उनकी माता जी के आंसुओं के बदले उन्हें लोकसभा सदस्य बनाकर भेज दें।

यहां यह सवाल पूछना ज़रूरी है कि उनकी माता और पिता के दंभ और जि़द के चलते जिन हज़ारों लोगों को इमरजेंसी में जेल भेजा गया, उनके आंसुओं की भी कोई $कीमत है क्या? वरुण गांधी के अहिंसक होने की बात पर विश्वास करने के कोई ख़ास कारण तो नहीं हैं, लेकिन अगर मान भी लिया जाय तो इस बात की पूरी संभावना है कि एटा जेल में मच्छरों ने भी वरुण को हृदय परिवर्तन के लिए बाध्य किया हो। जानकार बताते हैं कि वरुण गांधी और उनकी माता जी की मूल योजना यह थी कि पीलीभीत में उनकी गिरफ्तारी होगी और अगले दिन ज़मानत हो जाएगी।

जेल यात्रा का तमगा लेकर वरुण गांधी बी जे पी के पोस्टर बालक बनकर चल पड़ेंगे, प्रचार अभियान में और चुनाव ख़त्म होने तक हीरो बन जायेंगे। उनको क्या पता था कि मायावती उनको जेल में ठूंस देगी और ऐसी धाराओं में जिनमें ज़मानत ही नहीं होती। यह तो शायद मच्छरों और उनकी माता जी के आंसुओं का असर था कि बेचारे वरुण ने बार बार मा$फी मांगी और जेल से जान बचाकर भागे। सुप्रीम कोर्ट में मा$फी मांगने के बाद वरुण गांधी को एटा और पीलीभीत में भी माफ़ी मांगनी पड़ी तब जाकर कहीं खुली हवा में सांस ले सके।तीसरी बात जो एक बर्बर राजनेता को अहिंसक बना सकती है वह है कि उसके जेल जाने के पहले के कारनामों के प्रायोजकों का रवैया।

आर एस एस और बी जे पी वाले वरुण गांधी को नरेंद्र मोदी और प्रवीन टोगडिय़ा की श्रेणी का नेता बनाना चाहते थे लेकिन जब संघ परिवार ने देखा कि वरुण तो अब लंबे वक्त के लिए अंदर गए तो उन लोगों ने पल्ला झाड़ लिया। इस बात से भी मां बेटे दुखी बताए जाते हैं। जो भी हो अगर अपने को अहिंसक बताकर वे लोगों को गाफिल करने की साजि़श नहीं कर रहे हैं तो उनके लिए अच्छी बात है। और अगर ऐसा होता है तो उनकी मां के आंसू और मच्छरों का ही योगदान एक हिंसक व्यक्ति को अहिंसा के रास्ते पर जाने के बारे में महत्वपूर्ण होगा।