शेष नारायण सिंह
पिछले साठ साल में जितने दंगे हुए, सब के बाद फायदा प्रापर्टी डीलरों का ही हुआ. १९४६ का लाहौर का दंगा हो या २०१० का हैदराबाद का .हर दंगे की तरह , मार्च में हैदराबाद में हुआ दंगा भी निहित स्वार्थ वालों ने करवाया था. नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ताओं ने पता लगाया है कि २३ मार्च से २७ मार्च तक चले दंगे में ज़मीन का कारोबार करने वाले माफिया का हाथ था. यह लोग बी जे पी, मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन और टी डी पी के नगर सेवकों को साथ लेकर दंगों का आयोजन कर रहे थे . सिविल लिबर्टीज़ मानिटरिंग कमेटी,कुला निर्मूलन पुरता समिति, पैट्रियाटिक डेमोक्रेटिक मूवमेंट, चैतन्य समाख्या और विप्लव रचैतुला संगम नाम के संगठनों की एक संयुक्त समिति ने पता लगाया है कि दंगों को शुरू करने में मुकामी आबादी का कोई हाथ नहीं था. शुरुआती पत्थरबाजी उन लोगों ने की जो कहीं से बस में बैठ कर आये थे. कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि वे लोग अपने साथ पत्थर भी लाये थे और किसी से फोन पर लगातार बात कर के मंदिरों और मस्जिदों को निशाना बना रहे थे . करीब एक हफ्ते तक चले इस दंगे में ३६ मस्जिदें और ३ मंदिरों पर हमला किया गया. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ईद मिलादुन्नबी के मौके पर करीब एक महीने पहले मुसलमानों ने मदनपेट मोहल्ले में कुछ बैनर लगाए थे . २३ मार्च को जब हिन्दुओं ने राम नवमी का आयोजन किया तो उन्होंने मुसलमानों एक बुजुर्गों से कहा कि बैनर हटवा दें . तय हुआ कि शाम तक हटवा दिए जायेंगें लेकिन मुकामी बी जे पी नगर सेवक झगड़े पर आमादा था. उसने मुसलमानों के झंडों के ऊपर अपने झंडे लगवाने शुरू कर दिए . फिर पता नहीं कहाँ से बसों में बैठकर आये कुछ लोगों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. जवाबी कार्रवाई में मुसलमानों की हुलिया वाले कुछ नौजवानों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. वे भी बाहर से ही आये थे. मोहल्ले के लोगों की समझ में नहीं आया कि हो क्या रहा है . लेकिन तब तक बी जे पी के कार्यकर्ता मैदान ले चुके थे . उधर से एम आई एम वाले नेता ने भी अपने कारिंदों को ललकार दिया , वे भी पत्थर फेंकने लगे. चारों तरफ बद अमनी फैल गयी . बी जे पी और मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन के कार्यकर्ताओं ने अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया. एक बार अगर मामूली साम्प्रदायिक झड़प को भी अफवाहों की खाद मिल जाए तो फिर दंगा शुरू हो जाता है , यह बात सभी जानते हैं .बहर हाल हैदराबाद में दंगा इस हद तक बढ़ गया कि कई दिन तक कर्फ्यू लगा रहा .
कमेटी के जांच से पता चला है कि दंगा शुद्ध रूप से प्रापर्टी डीलरों ने करवाया था क्योंकि उनकी निगाह शहर की कुछ ख़ास ज़मीनों पर थी. इन प्रापर्टी डीलरों में हिन्दू भी थे और मुसलमान भी. और यह सभी धंधे के मामले में एक दूसरे के साथी भी हैं . यहाँ तक कि इनके व्यापारिक हित भी साझा हैं .हैदराबाद में साम्प्रदायिक तल्खी उतनी नहीं है जितनी कि उत्तर भारत के कुछ शहरों में है . शायद इसी लिए प्रापर्टी डीलरों ने पत्थरबाजी करने वालों को बाहर से मंगवाया था . कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जो लोग पत्थर फेंक रहे थे वे देखने से भी हैदराबादी नहीं लगते थे . नागरिक अधिकार के ल;इए संघर्ष करने वाले कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि हैदराबाद में पहली बार किसी दंगे में इतनी बड़ी संख्या में मस्जिदें और मंदिर तबाह किये गए हैं . इन् पूजा स्थलों की ज़मीन अब बाकायदा इसी भूमाफिया की निगरानी में है . कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक बी जे पी का नगर सेवक, सहदेव यादव और तेलुगु देशम पार्टी का मंगलघाट का नगरसेवक राजू सिंह मुख्य रूप से दंगे करवाने में शामिल थे . इन्हें इस इलाके के उन प्रापर्टी डीलरों से भी मदद मिल रही थी जो चुनाव में मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन के लिए काम करते हैं .
जैसा कि आम तौर पर होता है कि दंगे में हत्या और लूट का तांडव करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती , यहाँ भी लोगों को यही शक़ है. लेकिन पिछले दिनों कुछ ऐसे मामले आये हैं जहां दंगाइयों को कानून की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा और उन्हें सज़ा हुई, आज़ादी के बाद से अब तक हुए दंगों में लाखों लोगों की जान गयी है . मरने वालों में हिन्दू, मुसलमान,सिख और ईसाई सभी रहते हैं लेकिन कुछ मामलों को छोड़ कर कभी कार्रवाई नहीं होती. आन्ध्र प्रदेश में आजकल कांग्रेस की सरकार है . दिल्ली में कांग्रेसी नेता आजकल मुसलमानों के पक्ष धर के रूप में अपनी छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें चाहिए कि अपने मुख्य मंत्री को सख्त हिदायत दें कि हैदराबाद में मार्च में हुए दंगों की बाकायदा जांच करवाएं और जो भी दोषी हों उन्हें सख्त सज़ा दिलवाएं . अगर ऐसा हो सका तो भविष्य में दंगों में हाथ डालने के पहले नेता लोग भी बार बार सोचेंगें . वरना यह दंगे एक ऐसी सच्चाई हैं जो अपने देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा बना कर खडी है . इन दंगों पर सख्त रुख की इस लिए भी ज़रुरत है कि बी जे पी वाले फिर से हिन्दुत्व की ढपली बजाना शुरू कर चुके हैं . यह देश की शान्ति प्रिय आबादी के लिए बहुत ही खतरनाक संकेत है . क्योंकि जब १९८६ में बी जे पी ने हिन्दुत्व का काम शुरू किया था तो पूरे देश में तरह तरह के दंगें हुए थे , आडवानी की रथ यात्रा हुई थी और बाबरी मस्जिद को तबाह किया गया था. वह तो जब बी जे पी वालों की सरकार दिल्ली में बनी तब जाकर कहीं दंगे बंद हुए थे ..इस लिए अगर नेताओं के हाथ में कठपुतली बनने वाला दंगाई पार्टियों का छोटा नेता अगर जेल जाने की दहशत की ज़द में नही लाया जाता तो आर एस एस की दंगे फैलाने की योजना बन चुकी है और राष्ट्र को चाहिए कि इस से सावधान रहे .
Showing posts with label लाहौर. Show all posts
Showing posts with label लाहौर. Show all posts
Friday, April 23, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)