शेष नारायण सिंह
भारतीय जनता पार्टी की पूरी कोशिश है कि अपने ख़ास लोगों, नीरा राडिया और बी एस येदुरप्पा का कोई भी नुक्सान न होने पाए .बीजेपी की यह अदा मुझे बहुत पसंद आ गयी. कर्नाटक के राज्यपाल ने जब बीजेपी के नेता और मुख्य मंत्री को भ्रष्टाचार की ऐसी गलियों में घेर लिया जहां उनके बचने की संभावना बहुत कम रह गयी तो , बीजेपी ने अपनी वही पुरानी वाली चाल चल दी. बेंगलूरू में चर्चा है कि राज्यपाल हटाओ वाला खेल लगा दिया जाएगा . इसके पहले बीजेपी यह काम कई बार कर चुकी है . जब स्पेक्ट्रम घोटाले में बीजेपी के नेता ही फंसने लगे और सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ ऐलान कर दिया कि स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच २००१ से होगी तो बीजेपी वालों ने कहा कि उसे बाद में देख लेगें ,अभी तो फिलहाल मनमोहन सिंह को धमका कर भागने को मजबूर करते हैं .ज़ाहिर है कि २००१ से जांच होने पर प्रमोद महाजन के अलावा अरुण शोरी , अनंत कुमार और रंजन भट्टाचार्य के नाम भी उछ्लेगें . शायद इसीलिये स्पेक्ट्रम राजा के नाम से कुख्यात पूर्व संचार मंत्री के खिलाफ उनके सुर भी थोड़े पतले पड़ रहे हैं क्यों कि अब पता चल चुका है कि स्पेक्ट्रम राजा के गैंग की सबसे बड़ी लठैत , नीरा राडिया के तो मूल सम्बन्ध बीजेपी वालों से ही हैं .आज एक अखबार में खबर छपी है कि नीरा रादिया ने बीजेपी की वाजपेयी सरकार के दौर में नागरिक उड्डयन विभाग के बारे में बहुत सारी इकठ्ठा की थी और उसको अपने विदेशी मुवक्किलों को बेचा था . जानकार बताते हैं कि जब नीरा राडिया पर शिकंजा कसने लगा तो उसने ही बीजेपी में अपने लोगों को आगे कर दिया कि अब इस सरकार को गिराने का वक़्त आ गया है . वास्तव में सारा घोटाला तो नीरा राडिया के फोन टेप होने से जुडा हुआ है . राजा तो एक बहाना है . यहाँ यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि राजा पाक साफ़ है . माननीय राजी जी तो चोरकट हैं ही . नामी अखबार " हिन्दू " में राजा और प्रधान मंत्री के पत्र छपने के बाद साफ़ हो गया है कि राजा ने खेल लम्बा किया था . आजकल बीजेपी के आन्दोलन की दिशा बिलकुल मुड़ गयी है . अब बीजेपी वाले राजा का नाम नहीं ले रहे हैं . अब निशाने पर प्रधान मंत्री हैं . अखबार के पर्दा फाश से साफ़ हो चुका है कि राडिया के सबसे ख़ास दोस्त बीजेपी के नेता अनंत कुमार हैं ,जबकि आडवाणी गुट के बाकी लोग भी राडिया के पक्ष में काम कर चुके हैं . आज अखबार में छपी सूचना से पता चला है कि आडवाणी ने गृहमंत्री के रूप में राडिया के दरबार में हाजिरी लगाई थी . अब बीजेपी वाले कहते हैं कि वह रादिया नहीं, किसी स्वामी जी का कार्यक्रम था. मामला अगर इतना गंभीर है तो यह पक्का है कि बीजेपी वाले राडिया गैंग का कोई नुकसान नहीं होने देगें . इसी अखबार ने दावा किया है कि राडिया ने पहले महाराष्ट्र सरकार में भी बड़े काम करवाए थे जब नितिन गडकरी वहां मंत्री थे. इसलिए अब रहस्य से पर्दा उठ रहा है कि बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व सारा खेल राडिया को बचाने के लिए कर रहा है . और बीजेपी की जांची परखी रणनीति भी सामने आ रही है कि अगर कोई प्रधान मंत्री या कोई अन्य बड़ा नेता बीजेपी की मर्जी के खिलाफ कोई काम करेगा तो उसके खिलाफ अभियान इतना तेज़ कर दिया जाएगा कि वह खुद मुश्किल में पड़ जाएगा .यह काम बीजेपी के आला नेता पहले भी कर चुके हैं . जब प्रधान मंत्री के रूप में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू कर दीं तो बीजेपी ने उन्हें पैदल करने का मन बना लिया . लेकिन ऐलानियाँ मंडल का विरोध करने की हिम्मत नहीं थी , तो मंदिर के नाम पर आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की साम्प्रदायिक यात्रा कर दी. विश्वनाथ प्रताप सिंह कहीं के नहीं रह गए. जब मुलायम सिंह यादव मज़बूत पड़ने लगे और पिछड़ों के नेता बनने के ढर्रे पर चल निकले तो मायावती और कांशी राम को ललकार कर उनको पैदल कर दिया .विश्वनाथ प्रताप सिंह वाले खेल में तो बहुत ही अजीब तथ्य सामने आये . राम विलास पासवान और शरद यादव ने वी पी सिंह को घेर कर इमोशनल ब्लैकमेल के ज़रिये मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करवाईं थीं , बाद में यह दोनों ही बीजे पी के बहुत ख़ास हो गए, वी पी सिंह अपनी बाकी ज़िंदगी कमंडल के घाव चाटते रहे. इस बार भी यही लग रहा है कि नीरा राडिया और उसके गैंग को बचाने के लिए बीजेपी का आला नेतृत्व कुछ भी करेगा जबकि कर्नाटक में बी एस येदुरप्पा को बचाने के लिए भी वही तरीका अपनाया जा रहा है जिसका इस्तेमाल करके राडिया को बचाया जाने वाला है . वहां भी हंसराज भरद्वाज को हटाने का अभियान चल चुका है. बस बीजेपी के लिए मुश्किल यह है कि इस बार मुकाबला विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे कमज़ोर आदमी से नहीं है . मुकाबले में सोनिया गाँधी की राजनीतिक कुशलता खडी है जिसने बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के कई बहादुरों को पैदल किया है
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Saturday, December 25, 2010
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