शेष नारायण सिंह
भ्रष्टाचार अपने देश के सामाजिक ताने बाने में बुरी तरह से घुस चुका है . घूस में की गयी चोरी को बाकायदा कमाई कहा जाता है . अंग्रेजों के दौर में संस्था का रूप हासिल करने वाली संस्कृति को आज़ादी के बाद नौकरशाही ने घूस की संस्कृति में बदल दिया . आज़ादी के संघर्ष में शामिल नेताओं के जाने के बाद जो नेता राजनीति में आये उनके लिए घूस एक मौलिक अधिकार की शक्ल ले चुका था . नेता जब घूसखोर होगा तो अफसरों और सरकारी कर्मचारियों को घूसजीवी बनने से रोक पाना नामुमकिन है.घूस में मिली रक़म के बल पर लोग ऐशो आराम की ज़िंदगी बसर करते हैं और कहीं चूँ नहीं होती. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में ऐसे लोग मुख्य सचिव बना दिए जाते हैं जिनको महाभ्रष्ट के रूप में मान्यता मिल चुकी होती है. नेताओं के बच्चों की शादियों में करोड़ों रूपये खर्च किये जाते हैं और कोई नहीं पूछता कि यह पैसा कहाँ से आया . अब तक भ्रष्टाचार वही माना जाता रहा है जो पकड़ लिया जाय और मुक़दमा कायम हो जाय. आम तौर पर इन मुक़दमों में अभियुक्त बच ही निकलता है . भ्रष्टाचार के कारणों की जांच नहीं की जाती . लेकिन अब हालात बदल रहे हैं .बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने इस दिशा में पहला क़दम उठा लिया है . उन्होंने बिहार स्पेशल कोर्ट्स एक्ट २०१० के तहत अफसरों की उन संपत्तियों को ज़ब्त करना शुरू कर दिया है जो घूस की कमाई से खरीदी गयी हैं .इस मामले में पहला शिकार पकड़ा भी जा चुका है और उसकी ४४ लाख रूपये की संपत्ति सरकारी कब्जे में ली जा चुकी है . ज़ाहिर है कि अगर अफसरों में यह डर समा गया कि घूस से बनायी गई संपत्ति बाद में भी सरकारी कब्जे में आ जायेगी तो घूस के प्रति मोह कम होगा. अगर उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह का काम शुरू हो जाय तो भ्रष्टाचार पर निर्णायक काबू पाने की दिशा में कदम उठाया जा सकता है . नीतीश कुमार ने दूसरा अहम काम भी किया है .उन्होंने विधायकों को मिलने वाली उस रक़म को भी रद्द करने का फैसला कर लिया है जो विधायक निधि के नाम पर क्षेत्र के विकास के लिए दी जाती है . इसी रक़म से विधायक लोग अपने चेलों को पालते हैं, विधायक निधि से कमीशन लेते हैं और भ्रष्टाचार का माहौल बनांते हैं . उसी निधि से अफसर भी अपना हिस्सा लेते हैं और सरकारी पैसे को पूरी तरह से नंबर दो का बना देते हैं . कुछ सम्मान जनक अपवाद भी हैं . एक उदाहरण तो अरुण शोरी का ही है . उत्तर प्रदेश से राज्य सभा का सदस्य बनने के बाद उन्होंने सरकार से अनुमति मांग कर अपनी सांसद निधि को आई आई टी कानपुर में एक महत्वपूर्ण प्रयोगशाला बनाने के लिए दे दिया . ६ साल के कार्यकाल में उन्हें १२ करोड़ रूपये मिलने थे ,कुछ सरकारी मदद लेकर एक संस्था की स्थापना हो गयी लेकिन इस तरह के उदाहरण बहुत कम हैं . ज़्यादातर लोग तो विकास निधि को अपनी नंबर दो की कमाई ही मानते हैं . इसकी उत्पत्ति भी बहुत ही अजीब तरीके से हुई थी. सांसदों को अपने साथ रखने के चक्कर में भ्रष्ट प्रधान मंत्री पी वी नरसिम्हा राव ने सांसद निधि को शुरू किया था . बाद में विधायकों के लिए भी राज्य सरकारों ने व्यवस्था कर दी .अब तो भ्रष्टाचार का माहौल बनाने में इसी निधि का सबसे अहम योगदान है . बिहार में इस घूस की जननी को ख़त्म करने की शुरुआत हुई है . उम्मीद की जानी चाहिए कि बाकी देश में भी यह उदाहरण लागू किया जायेगा. एक अन्य मुख्य मंत्री ने भी भ्रष्टाचार की जड़ों में मट्ठा डालने की एक आइडिया का ज़िक्र किया है . भोपाल में चुनाव सुधारों के लिए आयोजित एक बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री , शिवराज सिंह ने बहुत बुनियादी बात कही. उन्होंने कहा कि संसद का जो ऊपरी सदन है , वह भ्रष्टाचार के लिए आजकल बहुत बड़ी खाद का काम करने लगा है . देखा गया है कि राज्य सभा में अब वे सारे लोग पंहुच रहे हैं जो पैसा देकर टिकट लेते हैं और विधायकों को पैसा देकर उनकी वोट खरीदते हैं . शराब के व्यापारी ,सत्ता के दलाल , अन्य बे-ईमानी का काम करने वाले लोग राज्य सभा में पंहुच रहे हैं और ऐलानियाँ ऐसा काम कर रहे हैं जो किसी भी कीमत पर सही नहीं है. आम आदमी के विरोध में जो भी नीतियाँ बन रही हैं, यह लोग उसे समर्थन दे रहे हैं.शिवराज सिंह ने कहा कि राज्य सभा को ही ख़त्म कर देना चाहिए . लोक सभा जनहित और राष्ट्र हित के सभी फैसले लेने के लिए सक्षम है . ज़ाहिर है कि यह विचार मौलिक परिवर्तन की बात करता है और भ्रष्टाचार के प्रमुख कारणों को दबा देने की ताक़त रखता है . इस बात में दो राय नहीं कि भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए राजनीतिक पहल के एज़रूरत है और निहित स्वार्थ वाले उसका पूरी तरह से विरोध करेगें . लेकिन अगर भ्रष्टाचार पर सही तरीके से हमला किया गया तो देश के विकास को बहुत बड़ी शक्ति मिल जायेगी.
Showing posts with label पहल. Show all posts
Showing posts with label पहल. Show all posts
Monday, December 13, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)