Showing posts with label कैश फार वोट. Show all posts
Showing posts with label कैश फार वोट. Show all posts

Wednesday, July 20, 2011

क्या कैश फार वोट केस में अमर सिंह और लाल कृष्ण आडवाणी की भी जांच होगी ?

शेष नारायण सिंह

लोक सभा में पिछली लोकसभा में जो दृश्य देखा गया वह उसके पहले कभी नहीं देखा गया था. कुछ संसद सदस्य हज़ार हज़ार के नोटों के बण्डल उपाध्यक्ष जी के सामने लहरा रहे थे . बाद में पता चला कि वह रूपये उनका समर्थन खरीदने के लिए उनके पास समाजवादी पार्टी के तत्कालीन नेता अमर सिंह ने भेजे थे.पिछली लोकसभा में अमरीका के साथ परमाणु समझौते वाला बिल पास कराने के लिए उस वक़्त की यू पी ए सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था.आरोप है कि उस काम के लिए कि सरकार ने सांसदों की खरीद फरोख्त की थी. बीजेपी वाले खुद लोक सभा में हज़ार हज़ार के नोटों की गड्डियाँ लेकर आ गए थे और दावा किया था कि यूपीए के सहयोगी और समाजवादी पार्टी के नेता ,अमर सिंह ने वह नोट उनके पास भिजवाये थे, बाद में एक टी वी चैनल ने सारे मामले को स्टिंग का नाम देकर दिखाया भी था. बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने स्वीकार भी किया था कि उनके कहने पर ही उनकी पार्टी के सांसद वह भारी रक़म लेकर लोकसभा में आये थे . सारे मामले की जे पी सी जांच भी हुई थी और जे पी से ने सुझाव दिया था कि मामला गंभीर है लेकिन जे पी सी के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि आपराधिक मामलों की जांच कर सके . इसलिए किसी उपयुक्त संस्था से इसकी जांच करवाई जानी चाहिए . जिन लोगों की गहन जांच होनी थी , उसमें बीजेपी के नेता, लाल कृष्ण आडवाणी के विशेष सहायक सुधीन्द्र कुलकर्णी का भी नाम था . कमेटी की जांच के नतीजों के मद्दे नज़र लोकसभा के तत्कालीन अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने आदेश भी दे दिया था कि गृह मंत्रालय को चाहिए कि सारे मामले की जांच करे .लोक सभा के महासचिव ने दिल्ली पुलिस को एक चिट्ठी लिख कर जानकारी दी थी जिसे प्राथामिकी के रूप में रिकार्ड कर लिया गया था . लेकिन कहीं कोई जांच नहीं हुई .जब पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को हडकाया तो जाकर मामला ढर्रे पर आया. अमर सिंह के तत्कालीन सहायक संजीव सक्सेना से पुलिस हिरासत में पूछ ताछ चल रही है .अमर सिंह के ड्राइवर की तलाश की जा रही है लेकिन आडवाणी के सहायक और एक अन्य व्यक्ति जिसके लिए लोक सभा की कमेटी ने जांच का आदेश दिया था , अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं . दिल्ली में सत्ता के गलियारों में जो सवाल पूछे जा रहे हैं ,वे बहुत ही मुखर हैं . सवाल यह है कि क्या सक्सेना और कुलकर्णी टाइप प्यादों की जांच करके ही न्याय हो जाएगा या अमर सिंह और आडवाणी की भी जांच होगी. इसके अलावा कैश फार वोट की राजनीति का लाभ सबसे ज्यादा तो कांग्रेस को मिला था .क्या उनके भी कुछ नेताओं को जांच के दायरे में लिया जायेगा.क्योंकि यह मानना तो बहुत ही मुश्किल है कि कुलकर्णी, सक्सेना या हिन्दुस्तानी अपने मन से संसद सदस्यों को करोड़ों रूपये दे रहे थे. मार्च में जब विकीलीक्स के दस्तावेजों में बात एक बार फिर सामने आई तो बीजेपी वालों को फिर गद्दी नज़र आने लगी थी . आर एस एस के मित्र टेलीविज़न एंकरों ने जिस हाहाकार के साथ मामले को गरमाने की कोशिश की वह बहुत ही अजीब था. बीजेपी ने भी अपने बहुत तल्ख़-ज़बान प्रवक्ताओं को मैदान में उतारा था और मामला बहुत ही मनोरंजक हो गया था . लेकिन बाद में सब कुछ शांत हो गया .यह चुप्पी हैरान करने वाली थी . जानकार बताते हैं कि उस वक़्त बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को अंदाज़ हो गया था कि अगर सही जांच होगी तो अमर सिंह के सहायक और आडवानी के सहायक तक ही मामला सीमित नहीं रहेगा .सब को मालूम है कि लोकसभा में नोटों की गड्डियाँ लहराए जाने के बाद ही लाल कृष्ण आडवाणी ने संसद भवन परिसर में ही टी वी चैनलों को बताया था कि बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने अपनी पार्टी के सांसदों को नोटों के बण्डल लोकसभा में लाने की अनुमति दी थी. इस इक़बालिया बयान के बाद लोकसभा में नोटों के बण्डल लहराए जाने के मामले में की गयी साजिश में सक्सेना, कुलकर्णी और अमर सिंह के अलावा आडवानी की भूमिका की भी जांच होना जरूरी है .अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर उम्मीद बनी है कि सही जांच होगी . लेकिन जांच का उद्देश्य असली ज़िम्मेदार लोगों को भी पकड़ना होना चाहिए , प्यादों की जांच करके मामले की लीपा पोती की दिल्ली पुलिस और सरकार की हर कोशिश को खारिज किया जाना चाहिए .