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Thursday, May 19, 2011

वोटों के चक्कर में महिलाओं की इज्ज़त से खेल रहे हैं राहुल गाँधी

शेष नारायण सिंह

कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी, ज़रुरत से ज्यादा बोल गए हैं . अफवाहों को सूचना मानकर उन्होंने एक बहुत बड़ी राजनीतिक गलती की है . ग्रेटर नोयडा के एक गाँव में पुलिस अत्याचार के बाद ७४ लोगों के मारे जाने की बात करके उन्होंने न केवल अपने अज्ञान का प्रदर्शन किया है ,बल्कि ग्रामीण भारत की अपनी समझ को बहुत ही बचकाने स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है.यह सच है कि उन्हें ग्रामीण लोगों की सामाजिक संरचना की समझ नहीं है . उनको बताने वाले बहुत सारे लोग हैं लेकिन उनको बताने वालों की समझ भी अब शक़ के घेरे में है. ७४ लोगों के मारे जाने वाली उनकी बात को खैर कोई नहीं मानेगा. सरकारी तौर पर उसका खंडन भी कर दिया गया है . गाँव के लोग भी उनकी इस बात का मजाक उड़ा रहे हैं. सवाल पूछे जा रहे हैं कि जब भट्टा पारसौल और उसके आस पास के गाँवों के सारे लोग अपने घरों में मौजूद हैं तो क्या मारने के लिए ७४ लोगों को पुलिस वाले कहीं और से लाये थे. उपलों के बीच लोगों जला दिए जाने का उनका दावा हास्यास्पद भी नहीं है . बिलकुल तरस खाने लायक है .लेकिन इससे भी घटिया काम राहुल गांधी ने किया है. बिना सच को जाने समझें उन्होंने महिलाओं और लड़कियों के बलात्कार की बात कर दी. जबकि गाँव से जो जानकारी मिल रही है ,उसके हिसाब से कहीं कोई रेप नहीं हुआ . अगर राहुल गांधी को ग्रामीण सामाजिक संरचना की मामूली जानकारी भी होती तो वे मुंह उठा कर किसी गाँव की महिलाओं के रेप की बात को इतनी गैरजिम्मेदारी से न कहते . शायद उन्हें मालूम नहीं कि उनकी इस बात से उस इलाके के लोगों को कितनी तकलीफ हुई है . रेप के साथ जिस तरह की नकारात्मक बातें जुडी हैं , उसके चलते रेप की बात को लोग खुले आम नहीं करते. लेकिन राहुल गांधी ने रेप की बेबुनियाद बात को प्रचारित करके महिलाओं को अपमान का विषय बना दिया है. होना यह चाहिये था कि अगर उन्हें उन गावों में किसी रेप की बात का पता चला था तो उसकी सच्चाई को समझने की कोशिश करते और फिर इतने नाजुक मसले पर कोई टिप्पणी करते. लेकिन अपने वोटों को पक्का करने के चक्कर में राहुल गाँधी इतनी जल्दी में हैं कि औरतों की आबरू जैसे विषय को भी बहुत ही छिछोरपन के साथ उठा रहे हैं . उन्हें भट्टा पारसौल की महिलाओं के बारे में हल्की टिप्पणी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए