Sunday, June 8, 2014

यू पी में बलात्कार की शिकार महिला जज भी ,सरकार की असंवेदनशीलता बरकरार

शेष नारायण सिंह 


उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार लगातार चर्चा में हैं .  बदायूं में पिछड़ी जाति की दो लड़कियों के साथ बलात्कार ,बहुत ही जघन्य तरीके से की गयी उनकी हत्या और उस हत्या के ज़रिये आतंक फैलाने की अपराधियों की मंशा , मानवता के इतिहास के उन नीचतम कार्यों में दर्ज होगी जिसको याद करके आने वाली  नस्लें हमारी पीढी के शासकों के नाम पर थूकेगीं.  उत्तर प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में एक ख़ास जाति के लोगों का दबदबा  है और उसी दबदबे के चलते इस जाति में अपराधी प्रवृत्ति के लोग आतंक फैला चुके हैं . आतंक के इस राज में देखा गया है कि पुलिस के कर्मचारी भी अपराधियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं . यह अक्षम्य है . बदायूं की घटना में पुलिस वाले भी शामिल थे . इस वारदात को मीडिया में खासी जगह मिल गयी.  शायद इसका कारण  यह था कि बहुत दिनों तक  उत्तर प्रदेश पर मीडिया का फोकस चुनाव की सरगर्मी के कारण रहा था और जब चुनाव से जुडी खबरें ख़त्म हो गयीं तो राजकाज में ज़िम्मेदारी से जुडी एक खबर को मीडिया ने अपनी ज़द में ले लिया और बलात्कार और ह्त्या की वे घटनाएं खबर बनने लगीं जो उत्तर प्रदेश में आमतौर पर रूटीन की घटनाएं बताकर टाल दी जाती हैं .
बदायूं की घटना के अलावा भी बहुत सी घटनाएं रोज़ ही उत्तर प्रदेश में हो रही हैं .बदायूं के बलात्कार और ह्त्या की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया में उत्तर प्रदेश पुलिस के एक बहुत बड़े अफसर ने दावा किया कि राज्य में अभी प्रतिदिन बलात्कार की चौदह घटनाएं होती हैं . उनका कहना  था कि राज्य बहुत बड़ा  है , आबादी बहुत है , इसलिए अगर उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन बलात्कार की बाईस घटनाएं हों तो अनुपात सही बैठेगा . इस गैरजिम्मेदार पुलिस अफसर की आपराधिक स्वीकारोक्ति को किस श्रेणी में रखा जाय यह बात समझ के बिकुल परे है. लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री भी कुछ कम  नहीं हैं . राज्य के हर कोने से आ रही बलात्कार  की घटनाओं और बिजली की कटौती से मचे हाहाकार के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव , मीडिया से मुखातिब हुए और जो ज्ञान उन्होंने दिया वह राजकाज के किसी भी जानकार की समझ में आने वाला नहीं हैं . उन्होने कहा कि ," मैंने बार बार कहा  है कि ऐसी घटनाएं केवल उत्तर प्रदेश में नहीं हो रही हैं . बंगलूरू में भी ऐसी  ही एक घटना हुयी , मध्यप्रदेश में एक बड़े मंत्री के रिश्तेदार की चेन उनके घर के सामने ही छीन ली गयी " मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या मीडिया ने उन खबरों को दिखाया . मुख्यमंत्री जी के इन सवालों का क्या जवाब हो सकता  है . सवाल उठता है कि अगर अन्य राज्यों में अपराध की घटनाएं हो रही हैं तो क्या उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को अपराध को बढ़ावा देने और उनपर काबू करने की कोशिश न करने का लाइसेंस मिल जाता है .
 उत्तर प्रदेश सरकार और उसके मुख्यमंत्री उस घटना के बारे में क्या कहेगें जो अभी अलीगढ से रिपोर्ट हुई है जिसमें अलीगढ की एक महिला  जज के अति सुरक्षित घर में घुसकर दो बदमाशों ने  बलात्कार की कोशिश की ,उनको कोई ज़हरीला पदार्थ पिलाया और जज साहिबा को मारा पीटा.अलीगढ़ में जहां वारदात हुई है वह राज्य सरकार की  सुरक्षा पुलिस ,पी ए सी की २४ घंटे की सुरक्षा का क्षेत्र हैं . जजेज कम्पाउंड नाम  की कालोनी में महिला जज का यह घर और उसमें रहने वाली बड़ी न्यायिक अधिकारी की इज्ज़त भी जब अपराधियों  से  महफूज़ नहीं है तो राज्य के गरीब आदमियों की बच्चियों का कौन रक्षक होगा .  
अभी दो साल पहले पूरे बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाने वाले राज्य के मुख्यमंत्री को शासन करने की ज़रुरत से दो चार होना पडेगा, हुकूमत का इक़बाल बुलंद करना पडेगा , अपराधी चाहे जिस जाति या धर्म का हो उसके मन में कानून की ताक़त का अहसास करना पड़ेगा और अगर ऐसा नहीं हो सका तो हुकूमत को अपने अस्तित्व के बारे में भी गंभीरता से सोचना पडेगा क्योंकि जब राजकाज ही सही तरीके से नहीं चला सकते तो स्पष्ट बहुमत को जनता वैसे ही अल्पमत में बदल सकती है जिस तरह से लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की पार्टी की राजनीतिक ताक़त को तबाह करके किया है .मुख्यमंत्री जी को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि केंद्र में अब एक ऐसी सरकार है जो उनकी पार्टी या उसके नेताओं की किसी तरह से भी रक्षा नहीं करने वाली है ,बल्कि उनकी सरकार की कोई भी बड़ी गलती उनकी सरकार को अस्तित्व के संकट में डाल सकती है ..

1 comment:

  1. प्रशासन की जवाबदेही निर्धारण बिना और आबादी पर अविलम्ब नियन्त्रण के प्रयास बिना देश को जंगलराज बनने से कोई नहीं रोक सकता।

    ReplyDelete