Wednesday, August 31, 2011
अरुण जेटली की प्रतिभा के सामने नतमस्तक हुई सरकार
शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली,३० अगस्त . अन्ना हजारे के अनशन से पैदा हुए संकट को हल करने में जब सरकार पूरी तरह से फेल हो गयी तो राज्य सभा में विपक्ष के नेता , अरुण जेटली ने संसद और देश की राजनीतिक व्यवस्था के सामने मौजूद संकट का हल निकालने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. पता चला है कि सत्ता पक्ष की ओर से कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने अरुण जेटली की हर सलाह को माना और आखिर में संकट का समाधान निकल सका और अन्ना हजारे के जीवन की रक्षा करने की कोशिश को गति मिली.सूत्र बताते हैं कि अरुण जेटली की प्रतिभा की ही ताक़त थी कि अन्ना हजारे से सीधा संपर्क करने का फैसला किया गया और केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख को प्रधान मंत्री के दूत के रूप में सक्रिय किया गया.
जब सरकार के केस को कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसे लोगों ने बहुत ही कठिन मुकाम पर लाकर छोड़ दिया तो प्रधानमंत्री की सलाह पर सलमान खुर्शीद ने समस्या का हल निकालने की कोशिश शुरू की. मुश्किल वक़्त में उन्होंने अपने सुप्रीम कोर्ट के वकील दोस्त दोस्त अरुण जेटली के मदद माँगी.दोनों सुप्रीम कोर्ट में साथ साथ वकालत कर चुके हैं और अच्छे मित्र के रूप में जाने जाते हैं . अरुण जेटली की सलाह पर ही अन्ना हजारे से डायरेक्ट संवाद स्थापित किया गया. जब अन्ना के टीम के लोग बात चीत से अलग कर दिए गए तो काम बहुत ही आसान हो गया . सूत्र बताते हैं कि उसके बाद अरुण जेटली की प्रतिभा ही हर मोड़ पर सरकार के काम आई. . योजना के अनुसार काम हुआ और प्रधान मंत्री, प्रणब मुखर्जी, विलासराव देशमुख,संदीप दीक्षित और राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस में किसी को भे योजना के भनक नहीं थी. बताया गया है कि अरुण जेटली ने अपने नेताओं को सब कुछ बता रखा था. अन्ना हजारे से लोकसभा में पेश किये जाने वाले सरकार के बयान के बारे में चर्चा हो चुकी थी लेकिन उनकी टीम के किसी व्यक्ति को कुछ नहीं मालूम था. संसद में चल रहे बहस के दिन का घटनाक्रम देखने से पता लगता है कि जब अन्ना हजारे की टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण सलमान खुर्शीद से मिलने गए तो उन्होंने लोकसभा में प्रस्तावित चर्चा की रूपरेखा उनको बता दी. सूत्रों का दावा है कि कानूनमंत्री को शायद यह पता नहीं था कि अन्ना हजारे ने सर्वोच्च स्तर पर हुई बातचीत को अपने सहायकों को नहीं बताया था. शायद इसीलिए प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल ने मीडिया में बहुत ही गुस्से में बयान दे दिया था. बहरहाल बाद में लोक सभा में सुषमा स्वराज और संदीप दीक्षित और राज्य सभा में अरुण जेटली ने बात को संभाल लिया . अन्ना के अनशन से उत्पन्न संकट का हल निकालने में राजनीतिक बिरादरी ने जो परिपक्वता दिखाई है उसे समकालीन भारतीय राजनीति में समझदारी का एक अहम मुकाम माना जाएगा.
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ठीक निष्कर्ष दिया है।
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