शेष नारायण सिंह
डॉ मनमोहन सिंह को बीजेपी ने चारों तरफ से घेर लिया है .उन पर आरोप है कि उन्होंने २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले को शुरू में ही न रोक कर गलती की . उससे देश का करीब पौने दो लाख करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है .संसद के अंदर सरकार को घेरने में जुटी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से दस सवाल पूछकर सदन से बाहर भी उन्हें घेरने की शुरुआत कर दी है। गडकरी ने कहा है कि जब तक उन्हें इन सवालों के जवाब नहीं मिल जाते, वह संसद नहीं चलने देंगे। नितिन गडकरी के सवाल बहुत ही बुनियादी स्तर के हैं लेकिन सवाल तो हैं और मीडिया में चर्चित हो रहे हैं . २ जी स्पेक्ट्रम के घोटाले में सरकार की ज़िम्मेदारी बड़ी है और इसमें दो राय नहीं कि सरकार ने गलती की है .जो लोग गठबंधन सरकार की मजबूरी की बात कर रहे हैं , उनकी बात भी बिल्कुल गलत है. क्या किसी वैद ने बताया है कि कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार चलती ही रहनी चाहिए .तथाकथित गठबंधन धर्म का यही मतलब तो बताया जा रहा है कि सरकार चलाते रहने के लिए ए राजा की कारगुजारियों को बर्दाश्त किया गया . किसने कहा था सरकार चलाने के लिए . इसी गठबंधन धर्म का सहारा लेकर बीजेपी ने भी केंद्र और उत्तरप्रदेश में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़े थे. अब कांग्रेस ने उनका भी रिकार्ड तोड़ दिया है .२ जी घोटाला बहुत बड़ा है .इसमें डी एम के के आला नेता का परिवार पूरी तरह डूबा हुआ लगता है . उनके परिवार के एक कार्यकर्ता के रूप में दिल्ली में ए राजा तैनात थे . उन्होंने अपने चेन्नई वाले मालिकों के हुक्म से लूटपाट की और सारा माल मालिकों तक पंहुचाया . भ्रष्टाचार के किसी भी प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर पैसे का योगदान होता है . उसमें आर्थिक अपराध के मुक़दमे बनते हैं . यह देश का दुर्भाग्य है कि लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां सत्ता में रहने के बाद लूटमार करती हैं . जब एक पार्टी लूटमार कर रही होती है तो विपक्षी पार्टियां दूसरी तरफ देखने लगती हैं . और जनता का पैसा बर्बाद होता रहता है . राजनीतिक बिरादरी के स्विस बैंकों के खाते भरते रहते हैं और अपने मुल्क की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मुसीबतों का सामना करता रहता है. लेकिन जब किसी भ्रष्टाचार के मामले में राजनीतिक अवसर दिखता है तो विपक्षी पार्टियां टूट पड़ती हैं . ऐसा पहला बड़ा मौक़ा बोफर्स तोप घोटाला था . हालांकि उस घोटाले में राजीव गाँधी के शामिल होने के कोई साबूत नहीं थे लेकिन उनको एक भ्रष्ट आदमी के रूप में पेश करने में विपक्षी पार्टियां सफल हो गयीं. उनके कुछ करीबी लोग उस घोटाले में शामिल थे, उनको बचाने के चक्कर में राजीव गाँधी उलझते गए .जब १९८९ का चुनाव आया ,तो राजीव गाँधी बोफर्स के अभियुक्त के रूप में पेश किये गए और जनता की अदालत में उन्हें सज़ा सुना दी गयी. दूसरी बार विपक्ष ने सुखराम के टेलीकाम घोटाले में राजनीतिक अवसर देखा . करीब ३७ दिन तक बीजेपी ने लोकसभा का सत्र नहीं चलने दिया लेकिन सुखराम वाले केस में बीजेपी को वह फायदा नहीं हुआ जो १९८९ वाले बोफर्स केस में हुआ था. १९९६ के चुनाव में हालांकि कांग्रेस हार गयी लेकिन बीजेपी वहीं रह गयी जहां थी. शायद इसलिए कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की राजनीतिक क्षमता का पता चल चुका था , वह एक भ्रष्ट पार्टी के रूप में पहचानी जाने लगी थी . बाद में जब सुखराम को बीजेपी ने अपनी पार्टी में भर्ती कर लिया तो सबको पता चल गया कि भ्रष्टाचार के पैमाने पर बीजेपी और कांग्रेस में कोई भेद नहीं है. २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी बीजेपी को वही बोफर्स वाला चांस दिख रहा है इसलिए सीधे प्रधानमंत्री को घेरे में लिया जा रहा है . २००४ में जब कांग्रेस ने डॉ मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया था तो बीजेपी के हाथ से सोनिया गाँधी पर हमला करने का एक बड़ा हथियार छिन गया था . पार्टी ने कोशिश की कि डॉ मनमोहन सिंह को एक कमज़ोर प्रधानमंत्री के रूप में पेश करके सोनिया गाँधी को घेरा जायेगा लेकिन मनमोहन सिंह बीजेपी के हर नेता से मज़बूत साबित हुए . लोकसभा में भी उन्होंने बार बार यह साबित किया कि वे बीजेपी के मीडिया पोषित नेताओं से बहुत बड़े हैं. हारकर बीजेपी ने स्वीकार किया कि डॉ मनमोहन सिंह बड़े नेता हैं और उनको भी हमले का निशाना बनाया जाना चाहिए . बीजेपी की मुश्किल यह है कि उसकी अपनी छवि एक निहायत ही भ्रष्ट राजनीतिक जमात की बन चुकी है और डॉ मनमोहन सिंह को पूरी दुनिया में एक ईमानदार राजनेता के रूप में जाना जाता है . ऐसी हालत में उन्हें भ्रष्ट साबित कर पाना कम से कम बीजेपी के लिए तो बहुत ही मुश्किल होगा . लेकिन राजनीति की अपनी शर्तें होती हैं . बीजेपी को अब मालूम है कि अगर मनमोहन सिंह को न घेरा गया तो बीजेपी का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. २ जी के पहले कामनवेल्थ के घोटाले में बीजेपी ने राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की थी लेकिन उसमें तो बीजेपी वाले कांग्रेसियों से बड़े गुनाहगार के रूप में उभर रहे हैं. अब तक जिन दो बड़े ह्तेकों का खुलासा आया है ,उसमें बीजेपी के नेताओं या उनके रिश्तेदारों के नाम प्रमुखता से आये हैं . शायद इसीलिये अब बीजेपी ने २ जी वाला मामला पकड़ा है .उसमें उनकी पार्टी के लोग तो नहीं शामिल हैं लेकिन जो उद्योगपति फंस रहे हैं वे बीजेपी वाले ही हैं .न . जो भी हो आने वाला वक़्त राजनीतिक आचरण के हिसाब से बहुत ही दिलचस्प होने वाला है
Friday, November 19, 2010
भ्रष्टाचार का घेरा प्रधानमंत्री के मोहल्ले तक पंहुचा
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सर, अब जनता पास कोई विकल्प नहीं बचा है. भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी कांग्रेस का बेहतर विकल्प के रूप में उभरने वाली बीजेपी भी सत्ता के चार मैनेजरों के चक्कर में फंस चुकी है. दो तो पीएम इन वेटिंग की लिस्ट में आ गए हैं. डंके की चोट पर घोटाला दर घोटाला कर रही और हिंदुओं पर अनाप-शनाप बयान देने वाली कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब भी नहीं दे पाने में भी असमर्थ हैं हो गए हैं बीजेपी वाले. इनके चारों मैनेजर किसी भी राज्य का विधानसभा चुनाव भी अपने दम पर नहीं जितवा सकते अब. उत्तर प्रदेश में तो सूर्य प्रताप शाही को कोई जानता है औऱ न नितिन गडकरी को. सबसे चर्चित चर्चित चेहरे और इस समय बीजेपी में सबसे ज्यादा जनाधार रखे वाले नेता नरेंद्र मोदी को चारों मैनेजरों ने गुजरात तक ही सीमित कर रखा है.
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