सवाल. कर्नाटक में बीजेपी का शासन मजबूती से कायम हुआ था . बी एस येदुरप्पा बहुत ही ज्यादा मजबूती से जमे हुए थे . बीजेपी से हटकर आपके पक्ष में कब महौल बनना शुरू हुआ. ?
जवाब .जब जनता दल ( एस ) और बीजेपी की संयुक्त सरकार बनी थी तो बीस बीस महीने के लिए सत्ता के बंटवारे की बात हुयी थी . एच डी देवेगौडा ने अपने बेटे कुमारस्वामी को तो मुख्यमंत्री बनवा दिया लेकिन जब बी एस येदुरप्पा का नंबर आया तो तिकड़म करके उनको सत्ता से दूर रखा. उसके बाद जनता की सहानुभूति येदुरप्पा के साथ हो गयी . जब दोबारा चुनाव हुआ तो बीजेपी को सरकार बनाने का अवसर मिला. लोगों की सहानुभूति येदुरप्पा के साथ थी . और उसी सहानुभूति के बल पर वे जीत गए लेकिन सत्ता में आते ही येदुरप्पा ने भ्रष्टाचार का राज स्थापित कर दिया और जनता से पूरी तरह से कट गये. बेल्लारी में रेड्डी भाइयों ने खनिज सम्पदा की लूट मचा दी, येदुरप्पा खुद भी उस से होने वाले लाभ में शामिल थे . यहाँ तक की केंद्र में भी बीजेपी के कुछ नेताओं तक लाभ पंहुच रहा था. कर्नाटक में भ्रष्टाचार के शासन के खिलाफ माहौल बन रहा था . इसी बीच लोकायुक्त की रिपोर्ट आ गयी जिसके बाद सारी दुनिया को मालूम हो गया की येदुरप्पा एक भ्रष्ट मुख्यमंत्री थे . सुप्रीम कोर्ट ने भी भ्रष्टाचार पर काबू करने के लिए संविधान में प्रदत्त तरीकों का इस्तेमाल किया . नतीजा यह हुआ कि बीजेपी और येदुरप्पा भ्रष्टाचार के पर्यायवाची बन गए . . चारों तरफ से येदुरप्पा के इस्तीफे की मांग हो रही थी लेकिन दिल्ली में बैठे बीजेपी के वे नेता जिनको खनिज माफिया से लाभ मिलता था,मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई भी ऐक्शन लेने को तैयार ही नहीं थे. . उसी के बाद हमने विधान सभा के अन्दर धरना दिया . मीडिया ने इस धरने को रिपोर्ट किया . हम सी बी आई जांच की मांग कर रहे थे . जनार्दन रेड्डी ने धमकाया कि अगर हिम्मत है तो बेल्लारी आइये . उसी के बाद मैने बंगलूरू से बेल्लारी की पदयात्रा कॆ. ३२५ किलोमीटर की यह दूरी सोलह दिन में तय की गयी और खनन माफिया और उनके समर्थक मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया .उसके बाद मैंने राज्य के अन्य इलाकों में भी यात्राएं की .हिंदुत्व की प्रयोग्शाला कहे जाने वाले इलाके तटीय कर्नाटक में भी यात्रा की और बीजेपी के भ्रष्ट शासन के खिलाफ माहौल बना तो भ्रष्टाचार की प्रतिनिधि सरकार के जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.
सवाल- आप पुराने समाजवादी हैं . कांग्रेस की आलाकमान कल्चर में न आप का कैसे एडजस्टमेंट हो गया . कांग्रेस के स्थापित नेताओं ने आपको कैसे स्वीकार किया ?
जवाब-- हमारी पार्टी की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी हैं . उनकी इच्छा थी की कर्णाटक को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जाये. इसीलिये उन्होंने मुझे कांग्रेस में शामिल किया था . जब राहुल गांधी ने जयपुर चिंतन शिविर में कहा कि ईमानदार पार्टी कार्यकर्ताओं को आगे महत्व दिया जायेगा तो मुझे अंदाज़ लाग गया था कि आने वाले समय में कांग्रेस में मेरे जैसे मेहनत करने वाले लोगों को महत्व मिलेगा .
सवाल . क्या आपको वादा किया गया था कि अगर कांग्रेस को सत्ता मिलेगी तो आपको मुख्यमंत्री बनाया जायेगा. ?
जवाब . बिलकुल नहीं . लेकिन विपक्ष के नेता के रूप में मुझे कम करने का मौक़ा देकर कांग्रेस आलाकमान ने मुझे पर्याप्त सम्मान दे दिया था . जहां तक मुख्यमंत्री पद की बात है मैंने उसके बारे में सोचकर कोई काम नहीं किया था. हाँ यह पक्का था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने देश के सामने जिस तरह की कांग्रेस की राजनीति का वादा किया था उसमें मेहनत करने वाले को अपने आप बढ़त मिल जाती है .
सवाल .. कर्नाटक की राजनीति में जातियों की बहुत प्रमुखता रही है . आपने वोक्कालिगा और लिगायत न होते हुए भी किस तरह से जातियों के जंगल से निकल कर सफलता पायी . ?
जवाब --कर्नाटक विधानसभा के चुनावों ने इस बार साबित कर दिया है कि जनता जातियों के बंधन से बाहर निकल चुकी है .इस चुनाव में कांग्रेस को सभी जातियों के वोट मिले हैं और सभी जातियों के नेता कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर मौजूद हैं . इन चुनावों में लिंगायत जाति के पचास विधायक जीतकर आये हैं जिनमें से २९ कांग्रेस के हैं , बीजेपी में केवल दस विधायक लिंगायत हैं . बी एस येदुरप्पा की पार्टी के केवल ६ विधायक चुने गए हैं . वोक्कालिगा जाति के ५३ विधायक हैं। जिनमें से बीस कांग्रेस के पास हैं . अपने आपको वोक्कालिगा नेता बताने वाले देवेगौडा की पार्टी में केवल १८ विधायक वोक्कालिगा है . अनुसूचित जाति के ३५ विधायकों में से १७ कांग्रेस में हैं . अनुसूचित जनजाति के १९ विधायकों में से ११ कांग्रेस में हैं . ओबीसी विधायकों के संख्या ३६ है जिनमें से २७ कांग्रेस में हैं , ११ मुसलमान जीतकर आये हैं जिनमें से ९ कांग्रेस में हैं . ईसाई ,जैन और वैश्य समुदाय के सभी विधायक कांग्रेस के साथ हैं .इस तरह से किसी ख़ास जाति का नेता बनने की राजनीति करने वालों को कर्नाटक की जनता ने कोई महत्व नहीं दिया है .
सवाल. विधानसभा में कांग्रेस को मिली जीत , बीजेपी और येदुरप्पा के खिलाफ नेगेटिव वोट है . ऐसा बहुत सारे लोग कहते रहते हैं . क्या इस जीत को आप लोकसभा के अगले साल होने वाले चुनावो में भी जारी रख सकेगें .?
जवाब....यह नेगेटिव वोट नहीं है . हम इसको आगे भी जारी रखेगें और लोकसभा चुनाव २०१४ में कम से कम बीस सीटें जीतेगें .
सवाल. अपनी जीत से आगे भी राजनीतिक जीत सुनिश्चित करने के लिए क्या आप कुछ ज़रूरी क़दम उठायेगें ?
जवाब ... हम उठा चुके हैं . विधान सभा में दिए गए अपने पहले भाषण में ही मैं ऐलान कर दिया कि अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के सारे क़र्ज़ माफ़ कर दिए गए हैं . यह वह क़र्ज़ है जो इन समुदायों के लिए बनाए गए सरकारी कारपोरेशन की और से इन लोगों पर बकाया था. मेरे ऊपर आरोप लगा कि इस तरह से तो सरकारी खज़ाना ही खाली हो जाएगा लेकिन मैंने साफ़ कह दिया की कोई भी इंसान शौकिया क़र्ज़ नहीं लेता. मेरे एक साथी ने कह दिया कि जब बड़ी बड़ी कंपनियों को इनकम टैक्स में हज़ारों करोड़ की छूट दी जाती है तो वह भी तो सरकारी खजाने से ही जाती है लेकिन उसके खिलाफ कोई नहीं लिखता . इसी तरह से जब मैंने फैसला किया की राज्य के ९८ लाख बी पी एल परिवारों को एक रूपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से प्रति महीने के हिसाब से ३० किलो चावल दिया जाएगा तो बीजेपी ने हल्ला मचाया . . मीडिया ने भी कहा कि करीब ४ हज़ार करोड़ रूपये सालाना का जो नुक्सान होगा उसकी भरपाई कहाँ से होगी . मेरा मानना है कि कर्णाटक का बजट एक लाख बीस हज़ार करोड़ का है . और अगर उस में से चार हज़ार करोड़ गरीब भी भूख मिटाने की लिए दे दिया जाएगा तो उसमें कोई परेशानी नहीं होने चाहिए
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