शेष नारायण सिंह
नयी दिल्ली, २९ मार्च. ब्रिक्स देशों का चौथा शिखर सम्मलेन आज संपन्न हो गया. इस अवसर पर रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने ऐलान किया कि वे भारत , ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता देने की कोशिश का समर्थन करते हैं .. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी देश को दूसरे देश के आतंरिक मामलोंमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं दिया जा सकता है और सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना चाहिए . उन्होंने सीरिया और अफगानिस्तान में बातचीत के ज़रिये शान्ति पूर्ण हल तलाशने की बात को भी बहुत ही जोर देकर कहा . साफ़ था कि उन्होंने ब्रिक्स देशों की उस मंशा को रेखांकित किया कि सीरिया के मामले में अमरीका को दखल नहीं देना चाहिए . भारत के प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने शिखर सम्मलेन के सार्वजनिक सत्र की शुरुआत करते हुए कहा था कि उदारीकरण के दौर में अर्थ व्यवस्था का विकास बहुत ही संतुलित होना चाहिए . इसके लिए ज़रूरी है कि आतंकवाद को हर कीमत पर रोका जाए. . उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच आपसी समझदारी की बहुत ज़्यादा संभावनाएं हैं . उनको हर हाल में इन इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए. . उन्होंने कहा कि भारत में अगले दस साल तक प्रति वर्ष एक करोड़ रोज़गार उपलब्ध कराना है . और भारत इस दिशा में पूरी कोशिश कर रहा है .उन्होंने सदस्य देशों से अपील की कि इस दिशा में वे अपने अनुभवों से भारत की मदद करें .डॉ मनमोहन सिंह ने ब्रिक्स देशों के लिए एक दस सूत्री कार्यक्रम की रूपरेखा भी दी.
ब्राजील की राष्ट्रपति दिलमा रूसेव ने कहा कि उनका देश बिलकुल अलग है , और उसकी समस्याएं भी अलग हैं लेकिन ब्रिक्स के मंच से उन्हें बहुत उम्मीदें हैं . उन्होंने कहा कि वे अपने देश में आमदनी के न्याय पूर्ण वितरण की योजना पर काम कर रही हैं .लेकिन कुछ देशों के अनावश्यक दखल के कारण उनकी अर्थव्यवस्था पर उल्टा असर पड़ता है . उनका इशारा अमरीका की तरफ था. उन्होंने इस बार पर भी खुशी जताई कि ब्रिक्स बैंक की स्थापना के बाद आपसी कारोबार के लिए डालर के इस्तेमाल की पाबंदी ख़त्म हो जायेगी. क्योंकि यूरो और डालर मुद्रा बाज़ार में असंतुलन फैला रहे हैं और आर्थिक विस्तारवाद की नीति का पालन कर रहे हैं . . उन्होंने कहा कि ज़रूरी है ब्रिक्स देश अपने घरेलू बाज़ार का विकास करें और आर्थिक तानाशाही से बचने की दिशा में आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि निर्यात को कमज़ोर किये बिना अपने देशों के आतंरिक बाज़ार का विस्तार किया जाना चाहिए.. उन्होंने कहा कि इरान के परमाणु कार्यक्रम को ज़बरदस्ती नहीं रोका जाना चाहिए क्योंकि ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भरता सभी देशों का अधिकार है और उसकी रक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऊजा के क्षेत्र में आत्म निर्भरता भी उतनी ही ज़रूरी है जितनी कि भूख के खिलाफ चल रही जंग को जीतना .
चीन के राष्ट्रपति हु जिंताओ ने बार बार लोकतांत्रिक तरीकों की बात की और आपसी भरोसे का माहौल विकसित करने की ज़रुरत को भी महत्व दिया . दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने इस बात पर बाकी ब्रिक्स देशों का आभार जताया कि दक्षिण अफीका कोअपने संगठन का सदस्य बनाकर उन पर और अफ्रीका पर अहसान किया है . उन्होंने उम्मीद जताई कि नए आर्थिक कार्यक्रमों के लागू होने के बाद उनके देश और अन्य अफ्रीकी देशों के ढांचागत विकास को ताक़त मिलेगी.
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