Wednesday, October 12, 2011

सरकारी अस्पताल की नर्स किसी मुख्यमंत्री की नौकर नहीं होती

शेष नारायण सिंह

मुंबई ,११ अक्टूबर . मुम्बई के दो सरकारी अस्पतालों की नर्सों ने अपने अस्पतालों के सामने प्रदर्शन किया और नारे लगाये. उनकी मांग थी कि उन्होंने सरकारी अस्पताल में काम करने के लिए नौकरी की है . वे किसी मंत्री के घर जाकर उसके किसी रिश्तेदार की देखभाल करने के लिए तैयार नहीं हैं.इस हड़ताल का फौरी कारण था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चह्वाण की सास जी का देखभाल करने के लिए मुंबई के कामा अस्पताल से कुछ नर्सों को उनके मालाबार हिल स्थित सरकारी आवास में भेज दिया गया था.

मुख्यमंत्री की बीमार सास की सेवा के लिए मुख्यमंत्री आवास पर तलब किये जाने से नर्सों में भारी गुस्सा है . कामा और आल्ब्लेस अस्पताल की जिन नर्सों को वहां भेजा गया था उन्होंने कहा कि अस्पताल के अफसर उनके ऊपर गैरकानूनी तरीके से दबाव डालते हैं . यह तरीका ठीक नहीं है . इन नर्सों के हड़ताल पर जाने के बाद तीन अन्य सरकारी अस्पतालों, जे जे ,सेंट जार्ज और जी टी अस्पताल की नर्सें भी उनके समर्थन में हड़ताल पर चली गयीं. नर्सों में इस बात को लेकर भारी नाराज़गी है कि उन्हें मंत्रियों के घर भेज दिया जाता है जब्कू उनकी ड्यूटी सरकारी अस्पताल में काम करने की है . उनका कहना है कि अस्पताल में चाहे कोई मंत्री आये या कोई सामान्य व्यक्ति , वे सबकी सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन मंत्रियों के घरों पर जाना उन्हें बर्दाश्त नहीं है.जो नर्सें मुख्यमंत्री आवास पर भेजी गयी थीं, उनका आरोप है कि वहां नर्सिंग जैसा कोई काम नहीं था . मुख्य मंत्री की सास जी को चलने में थोड़ी दिक्क़त होती है , बस उनको वाकर के सहारे टहलाने भर का काम करना था जिसे घर का कोई भी सदस्य या कोई भी प्रायवेट नर्स कर सकती थी. नर्सों को इस बात पर भी घोर एतराज़ है कि राज्य के संसाधनों का इस्तेमाल मुख्यमंत्री जी की सास के सामने शेखी बघारने के लिए किया जा रहा है .

महाराष्ट्र सरकारी नर्स फेडरेशन की जनरल सेक्रेटरी , कस्तूरी कदम का कहना है कि ५ अक्टूबर को जे जे ग्रुप आफ हास्पिटल्स के डीन, डॉ टी पी लाहने ने आदेश भेज दिया था कि तीन नर्सों को मुख्यमंत्री आवास पर काम करना है . यह नहीं बताया गया कि कब तक वहां रहना है . जो नर्सें वहां गयी थीं, उनको १२ घंटे की ड्यूटी करनी पड़ी. और वे देर से घर पंहुचीं .फेडरेशन ने सवाल उठाया है कि अगर उन नर्सों के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो कौन ज़िम्मेदार होता.

पता चला है कि सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों और नर्सों को इस तरह से मंत्रियों के घरों पर भेजना कोई नई बात नहीं है . यह तो अक्सर होता रहता है . उधर जे जे ग्रुप आफ हास्पिटल्स के डीन ,डॉ टी पी लाहने का दावा है कि नर्सों को मुख्य मंत्री निवास पर ड्यूटी के लिए भेजने में कोई गैर कानूनी काम नहीं किया गया है .इन नर्सों की ड्यूटी इसलिए लगाई गयी थी क्यंकि मुख्यमंत्री की सास की देखभाल का काम जिस प्राइवेट नर्स के जिम्मे था वह छुट्टी पर चली गयी थी. लेकिन नर्सों का आरोप है कि यह काम तो गैरकानूनी है लेकिन विरोध के स्वर कमज़ोर होने की वजह से अपनी चापलूसी को चमकदार बनाने के लिए अधिकारी इस तरह के काम करते रहते हैं . नर्सों की यूनियन की एक अन्य नेता, श्रीमती वायकर का कहना है कि १९६६ में भी एक बार मुख्यमंत्री आवास पर नर्सों की ड्यूटी लगा दी गयी थी . जब विरोध किया गया तब जाकर कानूनी स्थिति साफ़ हुई और बाद के कई वर्षों तक किसी भी अफसर की हिम्मत नर्सों को मंत्रियों के यहाँ भेजने की नहीं पड़ी अब जब मुख्यमंत्री की सास की सेवा के मामले में ज़बरदस्त विरोध कर दिया गया है , सब लोग ठीक हो जायेगें.

1 comment:

  1. yeh andolan police ko bhee karna chahiye ki wo neta logo ki suraksha nahi karange....
    ek sahi kadam.....


    jai baba banaras...

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