शेष नारायण सिंह
पिछले दिनों गीता को कर्नाटक के स्कूलों में ज़बरदस्ती पढाये जाने की एक खबर पर मैंने टिप्पणी की थी. उस टिप्पणी को कुछ मित्रों ने छाप दिया . उसके बाद गाली देने वालों की फौज उस पर टूट पड़ी . मुझे लगता है कि किसी ने यह देखने की तकलीफ नहीं उठायी थी कि उसमें लिखा क्या है. कर्नाटक के एक मंत्री ने कहा था कि जो लोग गीता को नहीं मानते वे देश छोड़कर चले जाएँ. दूसरी बात उसने कही थी कि गीता एक महाकाव्य है . मैंने बस यह कहा था कि यह दोनों ही बातें गलत हैं. वास्तव में महाभारत महाकाव्य है और गीता महाभारत का एक अंश है. मैंने गीता को पढ़ा है और मैं जानता हूँ कि योगेश्वर कृष्ण ने गाली गलौज को कभी सही बात नहीं माना . उन्होंने दुर्योधन को हमेशा घटिया आदमी माना क्योंकि वह गाली गलौज करता रहता था .उसी बात को मैंने रेखांकित कर दिया था . गाली देने वालों ने ऐसा माहौल बनाया कि मैं गीता के अध्ययन का ही विरोध कर रहा था. मैं यह मानता हूँ कि गीता को बार बार पढने के बाद इंसान धीर गंभीर हो जाता है,गाली गलौज नहीं करता .
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जो गीता और उसके उद्देश्य को नहीं समझते उन पोंगापंथियों को उसका महत्व भी मालूम नहीं है वे गाली-गुफ्तार को ही धर्म कह कर जनता को मूर्ख बनाते हैं। 'रोटी खाओ घी शक्कर से,दुनियो लूटो मक्कर से'-जिनका लक्ष्य हो एनएसई समझदारी की उम्मेद नहीं की जा सकती है।
ReplyDeleteलोंग पूरा पढते नहीं बस आंशिक पढ़ कर धारणा बना लेते हैं ...
ReplyDeleteपूरी बात जानकर ही राय बनानी चाहिए ....आप सही हैं
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