शेष नारायण सिंह
बाबरी मस्जिद की ज़मीन का फैसला आ गया है . इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना आदेश सुना दिया है .फैसले से एक बात साफ़ है कि जिन लोगों ने एक ऐतिहासिक मस्जिद को साज़िश करके ज़मींदोज़ किया था , उनको इनाम दे दिया गया है . जो टाइटिल का मुख्य मुक़दमा था उसके बाहर के भी बहुत सारे मसलों को मुक़दमे के दायरे में लेकर फैसला सुना दिया गया है. ऐसा लगता है कि ज़मीन का विवाद अदालत में ले जाने वाले हाशिम अंसारी संतुष्ट हैं. हाशिम अंसारी ने पिछले २० वर्षों में अपने इसी मुक़दमे की बुनियाद पर बहुत सारे झगड़े होते देखे हैं .शायद इसीलिये उनको लगता है कि चलो बहुत हुआ अब और झगड़े नहीं होने चाहिए . लेकिन यह फैसला अगर न्याय की कसौटी पर कसा जाए तो कानून के बहुत सारे जानकारों की समझ में नहीं आ रहा है कि हुआ क्या है . सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ए एम अहमदी पूछते हैं कि अगर टाइटिल सुन्नी वक्फ बोर्ड की नहीं है तो उन्हें एक तिहाई ज़मीन क्यों दी गयी और अगर टाइटिल उनकी है तो उनकी दो तिहाई ज़मीन किसी और को क्यों दे दी गयी. उनको लगता है कि यह फैसला कानून और इविडेंस एक्ट से ज़्यादा भावनाओं और आस्था को ध्यान में रख कर दिया गया है .इसलिए यह फैसला किसी हाई कोर्ट का कम किसी पंचायत का ज्यादा लगता है . अगर कोर्ट भी भावनाओं को ध्यान में रख कर फैसले करने लगे तो संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का क्या होगा. हाई कोर्ट का फैसला सब की भावनाओं को ध्यान में रख कर किया गया फैसला लगता है .
जहां तक फैसले के कानूनी पक्ष का सवाल है ,वह तो कानून के ज्ञाता तय करेगें. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जीलानी के बयान के बाद यह लगभग तय है कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में जाएगा जहां देश के चोटी के विधिवेत्ता मौजूद हैं . वहां पर इस फैसले और अन्य कानूनी पहलुओं की जांच होगी . उसके बाद जो भी फैसला आयेगा वह सब को मंज़ूर होगा क्योंकि उसके ऊपर कोई अदालत नहीं है लेकिन इसके पीछे की राजनीति साफ़ नज़र आ रही है . ऐसा लगता है कि कांग्रेस की मुराद पूरी हो गयी है .अभी एक हफ्ते पहले अपने आपको कांग्रेस का बन्दा बताने वाले एक संसद सदस्य की ओर से अखबारों में छपा था कि बाबरी मस्जिद की ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँट दिया जाएगा . हालांकि यह मानने के कोई सुबूत नहीं हैं कि फैसले को कांग्रेस ने प्रभावित किया है लेकिन लगता है कि फैसला कांग्रेस की मर्जी और खुशी का हुआ है . बी जे पी वाले खुश हैं कि उनकी बात को अदालत ने सही माना है और उनके संगठनों को हिन्दुओं का प्रतिनधि मान कर आर एस एस की राजनीति को चमकने का मौक़ा मिला है . लेकिन यह बात तय है कि आम मुसलमान इस फैसले से खुश नहीं होगा क्योंकि बाबरी मस्जिद की जगह पर अब आर एस एस वाले अपना क़ब्ज़ा जतायेगें और पूरे देश के मुसलमानों को मुंह चिढायेगें . ज़ाहिर है मुसलमानों का शुभचिंतक बनने की कांग्रेस की मुहिम को भी इस आदेश से भारी नुकसान होगा. बी जे पी को भी इस फैसले से कोई राजनीतिक फायदा होता नहीं दिख रहा है . हालांकि मोहन भागवत, लाल कृष्ण आडवानी, प्रवीण तोगड़िया सहित संघ भावना से ओत प्रोत सभी लोग इसे अपनी जीत बता रहे हैं लेकिन इस बात में शक़ है कि संघी राजनीति को कोई ख़ास फायदा होगा . इसका मुख्य कारण है कि मुसलमान इस फैसले के बाद आर एस एस वालों को किसी तरह का ध्रुवीकरण करने का मौक़ा नहीं देगा. हालांकि आर एस एस की कोशिश है कि हाई कोर्ट के आदेश की आड़ में मुसलमानों को अपमानित किया जाए. इस फैसले के बाद एक बात और साफ़ हो गयी है कि आर एस एस की अब हिम्मत नहीं पड़ रही है कि वह अपने को हिन्दुओं का प्रतिनधि घोषित करे क्योंकि दिल्ली , फैजाबाद , मुंबई आदि शहरों में कुछ मुकामी संघी नेताओं की कोशिश थी कि फैसले के बाद जश्न मनाया जाय लेकिन उनके साथ अपने सदस्यों के अलावा कोई नहीं आया . उसी तरह से मुसलमानों में इस फैसले के बाद गुस्सा तो है लेकिन बाबरी मस्जिद से जुड़े झगड़ों को याद करके वह तकलीफ में डूब जाता है और उन घटनाओं को दुबारा होने से बचाना चाहता है . शायद इसीलिये वह चुप है . मुसलमान कांग्रेस से नाराज़ है क्योंकि कांग्रेस के नेताओं का नाम लेकर कुछ लोग पिछले कई हफ्ते से इसी तरह के फैसले की बात कर रहे थे . उसे लग रहा है कि सब कांगेस ने करवाया है. लेकिन राजनीतिक रूप से बी जे पी को भी कोई फायदा नहीं होगा . उसके हाथ से हिन्दुओं और मुसलमानों को लड़ा सकने का एक बड़ा हथियार छिन गया है . दुनिया जानती है कि अब इस देश में बी जे पी किसी भी मुद्दे पर भीड़ जुटाने की क्षमता खो चुकी है .. इसे देश की जनता की जीत मानी जानी चाहिए क्योंकि अगर बी जे पी कमज़ोर होती है तो देश मज़बूत होता है . जहां तक फैसले के कानूनी पहलू पर सही आदेश की बात है , वह सुप्रीम कोर्ट में ही होगा
Friday, October 1, 2010
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Shesh Narayan Singhji ki tipini-lekh ka sheershak 'aapke gaon mein isse faisla kehte hain' apne aap mein hi bahut achcha jawab hai. main poori tarah se unke vicharon se sehmat hoon.
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