शेष नारायण सिंह
समाजवादी पार्टी में राजनीतिक घटनाक्रम बहुत तेज़ी से घूम रहा है . अमर सिंह के हटने के बाद जो शिथिलता आई थी ,लगता है वह अब ख़त्म होने वाली है . पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पहलवानी का ऐसा दांव मारा है कि अभी लोगों को पता ही नहीं चल रहा है कि हमला किस पर है. अमर सिंह के बाद की राजनीति के बड़े बड़े सूरमा एक दूसरे से पूछते पाए जा रहे हैं कि भाई हुआ क्या. राज्य सभा और विधान परिषद् के लिए जिन पांच उम्मीदवारों की घोषणा मुलायम सिंह यादव ने की है , वह आधुनिक राजनीति के विद्यार्थी के लिए एक बड़ा सबक हो सकता है . . दुनिया जानती है कि मुलायम सिंह यादव अमर सिंह को पार्टी से निकालना नहीं चाहते थे लेकिन माहौल ऐसा बना कि उनके लिए अमर सिंह को पार्टी में रख पाना मुश्किल हो गया . अमर सिंह ने भी अपनी हैसियत को बहुत बढ़ा कर आंक रखा था . यह उनकी गलती थी . दिल्ली की राजनीति में कोई भी बहुत ताक़तवर नहीं होता . इसी दिल्ली में सबसे बेहतरीन मुग़ल बादशाह को उसी के बेटे औरंगजेब ने जेल की हवा खिलाई थी . बाद के युग में इंदिरा गाँधी के दरबार के बहुत करीबी लोग ऐसे मुहल्लों में खो गए थे जहां कोई भी ताक़तवर आदमी जाना नहीं चाहेगा. दिनेश सिंह एक बार जवाहरलाल नेहरू के करीबी हुआ करते थे, इंदिरा जी के ख़ास सलाहकार थे और बाद में राज नारायण समेत बहुत सारे लोगों के दरवाजों पर दस्तक देते देखे गए थे. वामपंथी रुझान के नेता चन्द्र जीत यादव की हनक का अंदाज़ वह इंसान लगा ही नहीं सकता जिसने सत्तर के दशक के शुरुआती वर्षों में उनका जलवा नहीं देखा . कभी बाबू जगजीवन राम की मर्जी को इंदिरा जी अंतिम सत्य के रूप में स्वीकार करती थीं , बाद में वे ही उनके सबसे बड़े दुश्मन हुए . इसलिए दिल्ली की राजनीति एक ऐसा अखाड़ा है जहां जो पहलवान मुकाबिल हो वहां से तो हमला होता ही है , अपने साथी भी ज़बर्दस्त वार करते हैं . अमर सिंह इसी बारकी को समझने में गच्चा खा गए और जब उन्हें राजनीति के शतरंज की शह की जानकारी मिली तब तक वे मात चुके थे . लेकिन समाजवादी पार्टी में उनके विरोधियों को भी मुगालता था कि उन्होंने लड़ाई जीत ली है . और यहीं वे गच्चा खा गए. अमर सिंह के चेलों को हटा कर उन लोगों ने अपने बन्दों को ख़ास पदों बैठा दिया लेकिन अब तस्वीर की बारीकियां उभरने लगी हैं . मुलायम सिंह ने साफ़ कर दिया है कि समाजवादी पार्टी में उनकी ही चलेगी . अमर सिंह के भाई की पत्नी को दुबारा राज्य सभा की टिकट देकर उन्होंने ऐलान कर दिया है कि अमर सिंह ज्यादा बोलने की अपनी आदत के चलते उनको नाराज़ करने में तो भले ही सफल हो गए हैं लेकिन अभी मुलायम सिंह यादव उन्हें दुश्मन नहीं मानते. समाजवादी पार्टी की मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को देखने से स्वर्गीय चन्द्र शेखर की एक बात याद आती हैं. वे कहा करते थे कि राजनीति संभाव्यता का खेल है . यानी यहाँ कुछ भी संभव है . राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता . एक घटना से बात को समझने की कोशिश की जायेगी. एक बार लालू प्रसाद यादव को देवेगौड़ा ने पार्टी से निकला दिया था. लालू ने उनके खिलाफ बहुत सारे बयान दिए . कुछ दिन बाद फिर एकता हो गयी. किसी प्रेस वार्ता में दोनों ही नेता साथ साथ प्रेस को संबोधित कर रहे थे . किसी ने पूछा कि लालू जी आपने तो देवेगौडा को बहुत गालियाँ दी थीं, आज उनके साथ क्यों बैठे हैं ? लालू ने बगल में बैठे हुए देवेगौडा की तरफ इशारा करके जवाब दिया कि इन्होने हमें पार्टी से निकाला था , तो क्या हम इनकी आरती उतारते. बात एक बहुत ही ज़ोरदार ठहाके में ख़त्म हो गयी और सारी तल्खी हवा हो गयी . बहरहाल समाजवादी पार्टी में भी लगता है कि यही हो रहा है. अमर सिंह के सारे बयानों के बावजूद पार्टी में उनके विरोधियों को औकात पर रखना और उनके सबसे करीबी परिवार की मुखिया को राज्यसभा में दुबारा भेजने का फैसला करके मुलायम सिंह यादव ने बहस को अखाड़े में फेंक दिया है . अब आगे का घटनाक्रम देखना बहुत ही दिलचस्प होगा..
इसके अलावा भी राज्यसभा और विधान परिषद् का टिकट देने में मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय दिया है . जब मायावती और काशी राम उनसे अलग हुए तो उन्होंने उनके दलित वोट बैंक को बैलेंस करने के लिए फूलन देवी को अपने साथ ले लिया था . और कहा कि दलितों की आबादी के सत्तर प्रतिशत निषाद भी उत्तर प्रदेश में रहते हैं .मुसलमानों में रशीद मसूद को टिकट देकर उन्होंने लगभग ऐलान कर दिया है कि अब आज़म खान की वापसी उनकी पार्टी में नहीं होगी, हालांकि अमर सिंह का विरोधी खेमा पूरी कोशिश कर रहा है .जया बच्चन को टिकट देकर उन्होंने बड़ा जुआ खेला है . हो सकता है कि वे सीट हाथ आ जाने के बाद साथ छोड़ जाएँ लेकिन इस बात की भी पूरी संभावना है कि उनको सम्मानित किये जाने के बाद अमर सिंह को गलती का पता चले और वे वापस आने के लिये पहल कर दें . जो भी हो , उत्तर प्रदेश में राजनीतिक माहौल में निश्चित रूप से परिवर्तन होने वाला है . देखिये ऊँट किस करवट बैठता है
Thursday, May 27, 2010
समाजवादी पार्टी में अमर सिंह के विरोधियों को मुलायम चेतावनी
Labels:
.शेष नारायण सिंह,
अमर सिंह,
मुलायम,
रशीद मसूद,
समाजवादी पार्टी मे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment