शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली ,२२ दिसंबर . आज लोकसभा में लोकपाल और लोकायुक्त बिल २०११ पेश कर दिया गया. सदन में ४ अगस्त को इसी विषय पर पेश किया गया बिल वापस ले लिया गया है. लोकपाल बिल को संसद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने पाइलट किया. अध्यक्ष के आसन पर फ्रांसिस्को सरदिन्हा मौजूद थे. बिल को पेश करने में ही जो दिक्क़तें आयीं उनसे साफ लगता है कि लोकपाल बिल पास होने में खासी मुश्किल होगी. बहस की शुरुआत सदन की नेता, सुषमा स्वराज ने किया. उन्होंने कुछ कारणों से बिल को आज पेश किये जाने का विरोध किया . उन्होंने कहा कि यह बिल भारत के संघीय ढांचे पर हमला करता है . सुषमा स्वराज ने कहा कि संविधान में यह व्यवस्था है और सुप्रीम कोर्ट के कई आदेश हैं कि रिज़र्वेशन किसी भी हालत में ५० प्रतिशत से ज्यादा नहीं किया जा सकता है .लेकिन इस बिल में कहा गया है कि रिज़र्वेशन ५० प्रतिशत से कम नहीं होगा. यानी यह ९ सदस्यों के लोकपाल में कम से कम ५ सदस्यों को रिज़र्वेशन देने की बात कही गयी है . उनको इस बात पर भी एतराज़ था कि इसमें अल्पसंख्यकों को रिज़र्वेशन दिया गया है .उनका कहना था कि जब संविधान में धार्मिक आधार पर रिज़र्वेशन नहीं दिया गया है तो संविधान का विरोध करके क्यों ऐसा कानून बनाया जा रहा है जो सुप्रीम कोर्ट में जाकर फेल हो जाए. बहस के आखिर में सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है . और अगर ऐसा है भी तो उसे जब इस बिल पर २७ दिसम्बर से सिलसिलेवार बहस होगी तब ठीक कर लिया जाये़या.
आज दिन में सदन शुरू में स्थगित करना पड़ा लेकिन जब साढ़े तीन बजे सदन की बैठक दुबारा शुरू हुई तो बिल को पेश करने के स्तर पर ही खासी लम्बी बहस हो गयी. समाजवादी पार्टी के नेता, मुलायम सिंह यादव ने इस बात पर आपत्ति की लोकपाल की संस्था ऐसी बनने जा रही है जो किसी के प्रति ज़िम्मेदार नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जो लोग अन्ना हजारे के साथ हैं वे दूध के धुले नहीं है . इस बात का डर है कि लोकपाल भी भ्रष्टाचार के एक नए केंद्र के रूप में स्थापित हो जाये़या . वह सब को ब्लैकमेल करेगा. इसके बाद राजद के नेता, लालू प्रसाद यादव ने बहुत ज़ोरदार तरीके से अपने बात रखी . उन्होंने इस बात पर सख्त एतराज़ किया किया कि कुछ लोग ऐसे हैं जो स्वयंभू नेता बन गए हैं और संसद सदस्यों को अपमानित कर रहे हैं .उन्होंने कहा कि किसी भी आन्दोलन की धमकी के बाद सरकार को कोई भी कानून नहीं बनाया जाना चाहिए. इसमें जल्दी मचाने के ज़रुरत नहीं है उन्होंने भी इस बात को जोर देकर कहा कि प्रधान मंत्री को इसके दायरे से बाहर रखा जाये .जनता दल यू के शरद यादव , आल इण्डिया अन्ना द्रमुक के थाम्बी दुराई , सी पी एम के बासुदेव आचार्य ने संघीय ढाँचे को तोड़ने के किसी भी कोशिश का विरोध किया . बीजेपी के यशवंत सिन्हा ने भी ज़ोरदार विरोध किया कि सरकार अल्पसंख्यकों को रिज़र्वेशन देने की कोशिश कर रही हैं .
शिवसेना ने लोकपाल का ज़बरस्त विरोध किया और अन्ना हजारे और उनकी टीम को गैरज़िम्मेदार बताया. पार्टी के सदस्य ने कहा कि उनकी पार्टी के नेता, बाल ठाकरे को इस बात की आशंका है कि इस लोकपाल को इतना ताक़तवर बना कर कहीं देश तानाशाही की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है .सी पी आई के गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि कुछ लोगों को इस बात का हक नहीं है कि वे संसद को धमकाएं लेकिन उनकी इस बात पर सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने उन्हें याद दिलाया कि वे अपने पार्टी के नेता को समझाएं कि वे जन्तर मंतर के धरनामंच पर न जाएँ. कानून बनाने का काम संसद को ही करने दें . बहरहाल बिल लोकसभा में पेश हो गया और कांग्रेस इस बात पर बहुत खुश है कि उसने २७ अगस्त को सदन में पास हुए प्रस्ताव की रोशनी में वह बिल पेश कर दिया जिसका उन्होंने वायदा किया था.
बिल को पास करने या न करने के लिए लोकसभा की बैठक २७ से २९ दिसंबर तक होगी . अभी बिल के पास होने के बारे में कोई बात नहीं कही जा सकती है क्योंकि जो पार्टियां पहले अन्ना हजारे के साथ थीं वे भी आज पेश किये गए बिल को कमज़ोर बताकर उस से बच निकलने के चक्कर में हैं .
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