शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली,२३ सितम्बर.पी चिदंबरम के बचाव के मामले में कांग्रेस पूरी तरह से बैकफुट पर है .प्रणब मुखर्जी के उस नोट ने ज़रूरी तूफान मचा दिया है . बीजेपी ने पी चिदंबरम के २ जी मामले में कथित रूप से शामिल होने की बात को राजनीति और मीडिया के एजेंडे पर लाने में कोई कसर नहीं छोडी है . हर संभावित मंच पर आज बीजेपी ने पी चिदंबरम के माले को परवान चढाने की कोशिश की लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी के पास मामले में तकनीकी तौर पर बचाव करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. कांग्रेस प्रवक्ता लगभग गिडगिडाते हुए बोले कि बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने कांग्रेस की मुसीबत में उसे परेशान करने का अभियान शुरू कर दिया है जो ठीक नहीं है .
बीजेपी ने आज पी चिदंबरम के मामले में पूरी तरह से हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि २ जी मामले में प्रधान मंत्री की हर बात को नहीं माना जा सकता क्योंकि उन्होंने पहले तो ए राजा को भी निर्दोष बताया था लकिन बाद में उनकी सरकार की एजेंसियों ने जांच में उन्हें घोटाले में लिप्त पाया और आजकल वे जेल में हैं .बीजेपी का दावा है कि २ जी घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला है औत्र उसकी पारदर्शी जांच ज़रूरी है . बीजेपी के प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने आज पार्टी मुख्यालय की अपनी नियमित ब्रीफिंग में कहा कि पी चिदंबरम को क्या इस लिए बचाया जा रहा है कि कहीं २ जी घोटाले की जांच की लपटें प्रधान मंत्री कार्यालय तक न पंहुच जाएँ . इस ब्रीफिंग में बीजेपी प्रवक्ता ने सी बी आई की भूमिका को भी विवाद के दायरे में लेने की कोशिश की. बीजेपी ने प्रधान मंत्री से मांग की कि पी चिदंबरम को क्लीन चिट देने से बात ख़त्म नहीं हो जायेगी. उन्हें चाहिए वे चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई करे. मामले को कोर्ट में बता कर बचने की सरकार की कोशिश अपराध पर पर्दा डालने की कोशिश है और इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा.
कांग्रेस प्रवक्ता के पास बीजेपी के आरोपों का कोई जवाब नहीं था . आज कांग्रेस के तरफ से मोर्चा संभाल रहे मनीष तिवारी ने बीजेपी के राज के दौरान हुए दूरसंचार घोटालों का बार बार उल्लेख किया और दावा किया कि मौजूदा २ जी घोटाले के बीज अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधान मंत्री रहते हुए लाई गयी दूरसंचार पालिसी १९९९ में मौजूद थे. उन्होंने ने साफ़ कहा कि एन दी ए सरकार के दौरान भी दूरसंचार पालिसी का बार उल्लंघन हुआ . उन्होंने कहा कि बीजेपी को चाहिए कि अपने गिरेबान में झाँक कर देखे और उसके बाद कांग्रेस की आलोचना करे . जब उनको बताया गया कि जब ए राजा की अगुवाई में २ जी घोटाला हो रहा था उसी दौर में वित्त मंत्रालय के ने आपत्ति की थी .क्या कारण है कि उस waqt के वित्त मंत्री ने नौअक्र्शाही के आदेश को ओवर रूल l करके ए राजा को घोटाला करने दिया, तो कांग्रेस प्रवक्ता ने फिर वही संयुक्त संसदीय समिति के अंदर विचार होने की बात करके मामले को टालने की कोशिश की. जब पूछा गया कि तो क्या आप यह कहना चाहते हैं कि जब तक संयुक्त संसदीय समिति की जांच के नतीजे न आ जाएँ तब तक इस मामले में कोई खबर न लिखी जाए तो वे मामले को और भी बहुत लम्बे दायरे में घेरकर पेश करने की कोशिश करते नज़र आये .
Showing posts with label २ जी. Show all posts
Showing posts with label २ जी. Show all posts
Saturday, September 24, 2011
Friday, February 25, 2011
रेल बजट में २ जी जैसे घोटाले की पदचाप सुनायी पड़ रही है
शेष नारायण सिंह
रेलमंत्री ममता बनर्जी ने यू पी ए -२ का तीसरा रेल बजट पेश कर दिया . जैसा कि आमतौर पर होता है तरह तरह के वायदे किये गए . यह बताया गया कि कि पिछले साल जो कुछ भी कहा था सब पूरा कर दिखाया है और आगे के लिए भी बहुत सारे वायदे किये गए और बजट भाषण पूरा हो गया .सबने देखा कि रेल मंत्री ने कोई किराया नहीं बढ़ाया , माल भाड़े में किसी तरह की वृद्धि नहीं की और हर इलाके के लिए खुशनुमा योजनाओं का ऐलान कर दिया . जानने वाले जानते हैं कि रेल भाषण में जिन नई लाइनों के ऐलान किये जाते हैं उनका कोई मतलब नहीं होता . रेलवे बोर्ड अपनी तरह से सारे काम करता रहता है और जनता इंतज़ार करती रहती है . पश्चिम बंगाल में विधान सभा के चुनाव होने हैं . लोगों को अनुमान था कि ममता बनर्जी उन चुनावों को ध्यान में रख कर ही रेल बजट बनायेगी . उन्होंने किया भी . जितनी भी स्कीमें घोषित कीं सब में बंगाल का नाम ज़रूर डाला . कुल मिलाकर बंगाल के लिए इतनी स्कीमें दे दीं कि लगता है कि रेल बजट बंगाल के लिए ही बनाया गया है . रेल मंत्री ने कलकाता मेट्रो के हवाले से बहुत सारी योजनायें शुरू करने का ऐलान किया. जादवपुर ,दानकुनी, सियालदाह, आदि ऐसे नाम बजट में आते रहे कि बंगाल का भूगोल और चुनाव क्षेत्रों को समझने वाले समझ गए कि बंगाल के हर इलाके में कोई न कोई स्कीम पंहुच रही है .
बजट भाषण में रेलमंत्री ने कुछ ऐसी योजनाओं के ज़िक्र भी किया जिनका दूरगामी परिणाम होगा . मसलन जम्मू-कश्मीर में रेल से सम्बंधित उद्योग लागाने की बात करके उन्होंने निश्चित रूप से एक नई शुरुआत की है .. राजनीतिक पार्टियों ने ममता बनर्जी के रेल बजट के आलोचना शुरू कर दी है. उंनका कहना है कि यह बजट कोई ख़ास नहीं है . विपक्षी दलों का काम है सरकारी पक्ष की आलोचना करना ,सो वे अपना काम कर रहे हैं . लेकिन ममता के बजट में कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिनका चारों तरह स्वागत किया जाएगा .रेल में काम करने वाले मेहनतकश वर्गों के लोगों को ममता ने बहुत ही मानवीय सन्देश दिया है . खलासी आदि ऐसे वर्ग हैं जो पचास साल की उम्र होने के बाद मेहनत नहीं कर पाते . उनको अपनी जगह पर अपने बच्चों को लगाने का विकल्प देकर ममता ने बहुत ही मानवीय कार्य किया है . इसी तरह से रेल कर्मचारियों के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में सुधार की बात करके भी उन्होंने कल्याणकारी राज्य के मंत्री का कर्त्तव्य निभाया है . सारी अच्छी बातों के बीच रेल मंत्री ने बहुत ही मासूमियत से एक और योजना को बजट में डाल दिया है जो प्रकट रूप से तो बहुत ही साधारण और तरक्कीपसंद ख्याल है लेकिन ऐसा है नहीं . ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर रेल विभाग बहुत सारे काम करने की योजना बना रहा है . उन्होंने यह भी बताया कि पचासी ऐसी योजनाओं को वे मंजूरी भी दे चुकी हैं . लेकिन इसके बाद जो उन्होंने कहा उसका देश की रेल सम्पदा पर बहुत ही उलटा असर पड़ने वाला है . उन्होंने कहा कि यह तय किया गया है कि सरकार और निजी क्षेत्र की पार्टनरशिप को मंजूरी देने के लिए सिंगिल विंडो स्कीम लागू की जायेगी. याने कोई भी पूंजीपति रेल विभाग के किसी प्रोजेक्ट को चुनेगा और उसको पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप योजना में लाकर विचार करेगा, योजना बनाएगा और सिंगिल विंडो पर मंजूरी देने वाले अफसर या मंत्री के पास पंहुच जाएगा . इसके बाद जो होगा उसका अंदाज़ अभी लोगों को नहीं है. यहाँ एक अन्य सरकारी विभाग के हवाले से बात को समझा जा सकता है . टेलीफोन विभाग भी पहले रेल की तरह का सरकारी उद्यम था . एक संचारमंत्री आये प्रमोद महाजन. उन्होंने सरकारी कंपनियों को बेचने की नीति का पालन करने का मंसूबा बनाया . और संचार विभाग में भी सिंगिल विंडो की योजना लगा दी . उसके बाद क्या हुआ,यह दुनिया जानती है . दूर संचार विभाग का २ जी घोटाला उसी सिंगिल विंडो की योजना का नतीजा है . यानी सरकार ने २ जी टाइप घोटाले की बुनियाद रख दी है . प्रमोद महाजन या ए राजा की तरह का अगर कोई रेल मंत्री आया तो घोटाले का रास्ता साफ़ हो चुका है . अभी रेल बजट पर बहस होनी है. संसद सदस्यों को चाहिए कि इस पहलू पर भी गौर कर ले और रेल मंत्री को इस खामी से अवगत करा दें . उम्मीद की जानी चाहिए कि वे इस खतरनाक संभावना को भांप लेगीं और रेल विभाग को भी संचार विभाग के रास्ते जाने से बचा लेगीं.
रेलमंत्री ममता बनर्जी ने यू पी ए -२ का तीसरा रेल बजट पेश कर दिया . जैसा कि आमतौर पर होता है तरह तरह के वायदे किये गए . यह बताया गया कि कि पिछले साल जो कुछ भी कहा था सब पूरा कर दिखाया है और आगे के लिए भी बहुत सारे वायदे किये गए और बजट भाषण पूरा हो गया .सबने देखा कि रेल मंत्री ने कोई किराया नहीं बढ़ाया , माल भाड़े में किसी तरह की वृद्धि नहीं की और हर इलाके के लिए खुशनुमा योजनाओं का ऐलान कर दिया . जानने वाले जानते हैं कि रेल भाषण में जिन नई लाइनों के ऐलान किये जाते हैं उनका कोई मतलब नहीं होता . रेलवे बोर्ड अपनी तरह से सारे काम करता रहता है और जनता इंतज़ार करती रहती है . पश्चिम बंगाल में विधान सभा के चुनाव होने हैं . लोगों को अनुमान था कि ममता बनर्जी उन चुनावों को ध्यान में रख कर ही रेल बजट बनायेगी . उन्होंने किया भी . जितनी भी स्कीमें घोषित कीं सब में बंगाल का नाम ज़रूर डाला . कुल मिलाकर बंगाल के लिए इतनी स्कीमें दे दीं कि लगता है कि रेल बजट बंगाल के लिए ही बनाया गया है . रेल मंत्री ने कलकाता मेट्रो के हवाले से बहुत सारी योजनायें शुरू करने का ऐलान किया. जादवपुर ,दानकुनी, सियालदाह, आदि ऐसे नाम बजट में आते रहे कि बंगाल का भूगोल और चुनाव क्षेत्रों को समझने वाले समझ गए कि बंगाल के हर इलाके में कोई न कोई स्कीम पंहुच रही है .
बजट भाषण में रेलमंत्री ने कुछ ऐसी योजनाओं के ज़िक्र भी किया जिनका दूरगामी परिणाम होगा . मसलन जम्मू-कश्मीर में रेल से सम्बंधित उद्योग लागाने की बात करके उन्होंने निश्चित रूप से एक नई शुरुआत की है .. राजनीतिक पार्टियों ने ममता बनर्जी के रेल बजट के आलोचना शुरू कर दी है. उंनका कहना है कि यह बजट कोई ख़ास नहीं है . विपक्षी दलों का काम है सरकारी पक्ष की आलोचना करना ,सो वे अपना काम कर रहे हैं . लेकिन ममता के बजट में कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिनका चारों तरह स्वागत किया जाएगा .रेल में काम करने वाले मेहनतकश वर्गों के लोगों को ममता ने बहुत ही मानवीय सन्देश दिया है . खलासी आदि ऐसे वर्ग हैं जो पचास साल की उम्र होने के बाद मेहनत नहीं कर पाते . उनको अपनी जगह पर अपने बच्चों को लगाने का विकल्प देकर ममता ने बहुत ही मानवीय कार्य किया है . इसी तरह से रेल कर्मचारियों के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में सुधार की बात करके भी उन्होंने कल्याणकारी राज्य के मंत्री का कर्त्तव्य निभाया है . सारी अच्छी बातों के बीच रेल मंत्री ने बहुत ही मासूमियत से एक और योजना को बजट में डाल दिया है जो प्रकट रूप से तो बहुत ही साधारण और तरक्कीपसंद ख्याल है लेकिन ऐसा है नहीं . ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर रेल विभाग बहुत सारे काम करने की योजना बना रहा है . उन्होंने यह भी बताया कि पचासी ऐसी योजनाओं को वे मंजूरी भी दे चुकी हैं . लेकिन इसके बाद जो उन्होंने कहा उसका देश की रेल सम्पदा पर बहुत ही उलटा असर पड़ने वाला है . उन्होंने कहा कि यह तय किया गया है कि सरकार और निजी क्षेत्र की पार्टनरशिप को मंजूरी देने के लिए सिंगिल विंडो स्कीम लागू की जायेगी. याने कोई भी पूंजीपति रेल विभाग के किसी प्रोजेक्ट को चुनेगा और उसको पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप योजना में लाकर विचार करेगा, योजना बनाएगा और सिंगिल विंडो पर मंजूरी देने वाले अफसर या मंत्री के पास पंहुच जाएगा . इसके बाद जो होगा उसका अंदाज़ अभी लोगों को नहीं है. यहाँ एक अन्य सरकारी विभाग के हवाले से बात को समझा जा सकता है . टेलीफोन विभाग भी पहले रेल की तरह का सरकारी उद्यम था . एक संचारमंत्री आये प्रमोद महाजन. उन्होंने सरकारी कंपनियों को बेचने की नीति का पालन करने का मंसूबा बनाया . और संचार विभाग में भी सिंगिल विंडो की योजना लगा दी . उसके बाद क्या हुआ,यह दुनिया जानती है . दूर संचार विभाग का २ जी घोटाला उसी सिंगिल विंडो की योजना का नतीजा है . यानी सरकार ने २ जी टाइप घोटाले की बुनियाद रख दी है . प्रमोद महाजन या ए राजा की तरह का अगर कोई रेल मंत्री आया तो घोटाले का रास्ता साफ़ हो चुका है . अभी रेल बजट पर बहस होनी है. संसद सदस्यों को चाहिए कि इस पहलू पर भी गौर कर ले और रेल मंत्री को इस खामी से अवगत करा दें . उम्मीद की जानी चाहिए कि वे इस खतरनाक संभावना को भांप लेगीं और रेल विभाग को भी संचार विभाग के रास्ते जाने से बचा लेगीं.
Labels:
२ जी,
पदचाप,
ममता बनर्जी,
रेल बजट,
शेष नारायण सिंह
Subscribe to:
Posts (Atom)