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Saturday, May 25, 2013

रिलायंस को लाभ पंहुचाने के लिए वीरप्पा मोइली गैस की कीमत बढ़ाएगें




शेष नारायण सिंह 

नयी दिल्ली, २४ मई . पेट्रोलियम  और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने प्राकृतिक  गैस की कीमत बढाने का मन बना लिया है . मंत्रालय के सेक्रेटरी सहित सभी अधिकारी इस वृद्धि के पक्ष में नहीं है लेकिन पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली सारे विरोध को नज़रंदाज़ करके गैस का दाम बढाने के बारे में  कटिबद्ध हैं . कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और  संसद सदस्य गुरुदास दासगुप्ता ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर हस्तक्षेप की मांग की है और कहा है कि देश को इस संभावित घोटाले से बचा लिया जाये. गुरुदास दासगुप्ता ने आरोप लगाया है की गैस की कीमतों में प्रस्तावित इस वृद्धि से मुकेश  अम्बानी के रिलायंस ग्रुप को ही लाभ होगा . गुरुदास दासगुप्ता ने इसे देश की संपत्ति की लूट बताया है और कहा कि अगर वीरप्पा मोइली अपनी जनविरोधी  नीतियों  को लागू करने पर आमादा रहते हैं तो उन्हें हटा दिया जाना चाहिए . वीरप्पा मोइली भी रिलायंस के आतंक से दहशत में बताये जा रहे हैं क्योंकि रिलायंस के फायदे के लिए काम न करने की जिद पर अड़ चुके जयपाल रेड्डी पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्रालय से हटाये जा चुके हैं . 


अभी प्राकृतिक गैस की कीमत 4.२ डालर प्रति एम बी टी यू की फिक्स  का गयी है जो  ३१ मार्च २०१४ तक जारी रहेगी। पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट के ज़रिये संशोधित मूल्य ६.७ डालर प्रति एम बी टी यू तय करने की सिफारिश की है .एम बी टी यू गैस के माप की यूनिट है और एक हज़ार  क्यूबिक फीट की ऊर्जा वाली गैस को एक एम बी टी यू  के बराबर माना जाता है . अगर यह कीमतें लागू हो जाती हैं तो सरकारी कंपनियों को यो तुरंत लाभ होगा लेकिन रिलायंस को इंतज़ार करना पडेगा क्योंकि उसे यह लाभ अप्रैल २०१४ से मिलना शुरू होगा. वित्त , उर्वरक और विद्युत् मंत्रालय के अफसर इस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मंहगाई के मार झेल रही देश की जनता के सामने मंहगाई का  पहाड़ खड़ा हो जाएगा क्योंकि उसके बाद  रासायनिक  खाद, बिजली और बिजली से पैदा होने वाली हर चीज़ की कीमत बढ़ जायेगी  जो आम आदमी के ऊपर तो भारी बोझ होगा ही लेकिन सरकार के लिए भी इसे राजनीतिक रूप से संभाल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा .


गुरुदास दासगुप्ता ने आरोप लगाया है कि हर मंत्रालय से आ रहे विरोध के बावजूद वीरप्पा मोइली इस बढ़ोतरी को लागू करने पर आमादा  हैं . कैबिनेट नोट से भी आगे जाकर वे गैस की कीमतों में वृद्धि इस तरह से करना चाहते हैं कि रिलायंस को लगातार लाभ मिलता रहे . उन्होंने सुझाव दिया है कि गैस की कीमतें मौजूदा ४.२ डालर प्रति एम बी टी यू  से बढ़ाकर  ८ डालर प्रति एम बी टी यू  कर दिया जाए,  लेकिन यह कीमत  केवल एक साल तक वैध रहेगी , दूसरे  साल मोइली साहब यह कीमतें १० डालर प्रति एम बी टी यू  , तीसरे साल १२ डालर प्रति एम बी टी यू  और चौथे और पांचवें साल १४ डालर प्रति एम बी टी यू  करना चाहते हैं .पेट्रोलियम सचिव और अन्य अधिकारियों ने मंत्री  की मनमानी और तर्कहीन वृद्धि के प्रस्ताव का विरोध किया है . वीरपा मोइली  उन अफसरों  पर दबाव डाल रहे हैं कि वे उस फ़ाइल पर दस्तखत कर दें  जिसमें उनकी मूल्यवृद्धि की सिफारिशें लिखी हुयी हैं . अगर वीरप्पा मोइली की बात मान ली गयी तो ७६००० हज़ार करोड़ रूपये की फालतू सब्सिडी सरकारी खजाने पर पड़ेगी और उसका लाभ  सबसे ज़्यादा रिलायंस को ही मिलेगा .

Wednesday, November 14, 2012

कहीं नामाबर की नीयत पर ही सवाल न उठा दें रिलायंस के लोग



शेष नारायण सिंह 

अरविन्द केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाते चलाते भटक गए। जब उन्होंने सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के आर्थिक अपराध को पब्लिक किया था तो लोगों को लगा था कि  शायद भ्रष्टाचार के खिलाफ एक माहौल बनेगा। उसके बाद उन्होंने अगले हफ्ते ही बीजेपी के अध्यक्ष नितिन गडकरी की आर्थिक हेराफेरी को सार्वजनिक कर दिया . उम्मीद बढी कि अब तो यह पहलवान बड़ों बड़ों को औकात पर ला देगा . उसके बाद जब रिलायंस के कृष्णा गोदावरी बेसिन के गैस भण्डार में हुयी बेईमानी का ज़िक्र आया और अरविन्द केजरीवाल ने वहां हुयी सारी गडबडी को दुनिया के सामने लाकर पटक दिया तो  आम आदमी  को बहुत खुशी हुयी . सब को मालूम था कि  कृष्णा गोदावरी बेसिन में रिलायंस ने पिछले कई वर्षों से सरकारों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया था लेकिन कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं के अलावा किसी भी पार्टी के राजनीतिक नेता और पार्टी की हिम्मत नहीं पडी कि सार्वजनिक संपत्ति को निजी कंपनी के स्वार्थ के लिए इस्तेमाल होने से रोकने के लिए आवाज़ उठा सके। पता नहीं क्या हो गया था कि सारी बात को मीडिया ने भी हाईलाईट नहीं किया .अरविन्द केजरीवाल को शाबाशी इसलिए भी दी जानी चाहिए कि उन्होंने अपनी सुरक्षा की परवाह किये बिना उन बातों को सार्वजनिक किया जिनको जानते सभी थे लेकिन बोल कोई नहीं पा रहा  था. 

लेकिन एक बात से मन में दुविधा पैदा हो रही है. कहीं अरविन्द केजरीवाल की बातों पर लोग एतबार करना  बंद  न कर दें . अगर ऐसा हुआ तो देश के लिए बुरा होगा. बहुत दिन बाद सार्वजनिक जीवन में कोई ऐसा आदमी आया है जो सच्चाई को डंके की चोट पर कह रहा है . केजरीवाल ने जो सबसे ताज़ा मामला पब्लिक के सामने पेश किया  है उसके लिए कोई कागज़ी सबूत नहीं दिया . स्विस बैंकों में काले धन के जिस मामले को उन्होंने इस बार उजागर किया है उसके लिए कोई दस्तावेज़ नहीं हैं . वे कह रहे हैं कि " चूंकि मैं कह रहा हूँ इसलिए इसका विश्वास कर लिया जाए" .हो सकता है कि उनको हीरो मानने वाले उनकी बात  मान लें लेकिन उनके मानने से कुछ नहीं होता. भंडाफोड नंबर तीन और चार में अरविन्द केजरीवाल ने रिलायंस को निशाने पर लिया है . रिलायंस के बारे में हर पढ़े लिखे आदमी को मालूम है  . सबको मालूम है कि रिलायंस ने पिछ्ले ३५ वर्षों में नियमों को तोड़कर और नेताओं-पत्रकारों-नौकरशाहों के सामने टुकड़े फेंक कर अपना  हर काम करवाया है . उसके चाकर नेताओं और पत्रकारों  का एक बहुत बड़ा वर्ग देश की हर गैर कम्युनिस्ट पार्टी और लगभग हर अखबार में  सक्रिय है. आशंका यह जताई जा रही है कि बिना किसी सबूत के लगाए गए आरोपों को  रिलायंस के मित्रों की ताक़त से गलत न साबित कर दिया जाए. ऐसी हालत में अरविन्द केजरीवाल की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठा दिए जायेगें .अगर ऐसा हुआ तो  वह इस देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बन रहे माहौल के लिए मुश्किल होगा. 

९ नवम्बर के खुलासे के बाद ही हवा में बात छोड़ने की कोशिश की जा रही है कि अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम को रिलायंस के विरोधी हवा दे रहे हैं . इसका नतीजा यह होगा कि रिलायंस के साथी केजरीवाल को किसी अन्य कारपोरेट घराने का कारिन्दा साबित कर देगें . इस से आम आदमी को कोई फर्क नहीं  पड़ता . कोई किसी घराने का हो ,सच्चाई तो सामने आ रही है लेकिन अगर सच्चाई बताने वाले  की विश्वसनीयता पर सवाल उठ गए  तो मुश्किल होगा. अरविन्द केजरीवाल को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए .