शेष नारायण सिंह
कांग्रेस पार्टी के एक प्रवक्ता ने आर एस एस पर प्रतिबन्ध की मांग की है . उन्होंने पत्रकारों से बताया कि सरकार को चाहिए कि आर एस एस पर प्रतिबन्ध लगाने पर विचार करे. कांग्रेस का यह बहुत ही गैर ज़िम्मेदार और अनुचित प्रस्ताव है . लोकतांत्रिक व्यवस्था में सब को संगठित होने का अधिकार है . आर एस एस भी एक संगठन है उसके पास भी उतना ही अधिकार है जितना किसी अन्य जमात को . पिछले कुछ वर्षों से आर एस एस से जुड़े लोगों को आतंकवादी घटनाओं में पुलिस वाले पकड़ रहे हैं ..हालांकि मामला अभी पूरी तरह से जांच के स्तर पर ही है लेकिन आरोप इतने संगीन हैं उनका जवाब आना ज़रूरी है . ज़ाहिर है कि आर एस एस से जुड़े लोगों को तब तक निर्दोष माना जाएगा जब तक वह भारतीय दंड संहिता की किसी धारा के अंतर्गत दोषी न मान लिया जाए. यह तो हुई कानून की बात लेकिन उसको प्रतिबंधित कर देना पूरी तरह से तानाशाही की बात होगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार कांग्रेस के इस अहमकाना सुझाव पर ध्यान नहीं देगी .
आर एस एस पर उनके ही एक कार्यकर्ता ने बहुत ही गंभीर आरोप लगाए हैं . असीमानंद नाम के इस व्यक्ति ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया है कि उसने हैदराबाद की मक्का मस्जिद में विस्फोट करवाया था, समझौता एक्सप्रेस , मालेगांव , अजमेर की दरगाह आदि धमाको में वह शामिल था और उसके साथ आर एस एस के और कई लोग शामिल थे . किसी अखबार में छपा है कि मालेगांव धमाकों में शामिल एक फौजी अफसर ने इस असीमानंद को बताया था कि आर एस एस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य इन्द्रेश कुमार , पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई के लिए काम करता है . कांग्रेसी प्रवक्ता ने इस इक़बालिया अपराधी की बात को अंतिम सत्य मानने की जल्दी मचा दी और मांग कर बैठा कि आर एस एस पर प्रतिबन्ध लगा दो . अब कोई इनसे पूछे कि महराज आर एस एस पर इतने संगीन आरोप लगाए गए हैं और आप अगर उस पर प्रतिबन्ध लगवा देगें तो इन सवालों के जवाब कौन देगा. एक प्रतिबंधित संगठन की ओर से कौन पैरवी करने अदालतों में कौन जाएगा . जबकि देश को इन सवालों के जवाब चाहिए. देश के सबसे बड़े राजनीतिक / सांस्कृतिक संगठन का एक बहुत बड़ा पदाधिकारी अगर पाकिस्तानी जासूस है तो यह देश के लिए बहुत बड़ी चिंता की बात है .इस हालत में केवल दो बातें संभव है . या तो उस पदाधिकारी को निर्दोष सिद्ध किया आये और अगर वह दोषी पाया गया तो उसे दंड दिया जाए. प्रतिबन्ध लग जाने के बाद तो यह नौबत ही नहीं आयेगी .आर एस एस के ऊपर इस स्वामी असीमानंद ने आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने के आरोप लगाए हैं . लोकतांत्रिक व्यवस्था में ज़रूरी है कि प्रत्येक अभियुक्त अपने ऊपर लगे आरोपों से अपने आप को मुक्त करवाने की कोशिश करे. हम में से बहुत लोगों को मालूम है कि आर एस एस इस तरह की गतिविधियों में शामिल रहता है लेकिन वह केवल शक़ है . असीमानंद का मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान भी केवल गवाही है . फैसला नहीं . और जिसके ऊपर आरोप लगा है अगर वह प्रतिबन्ध का शिकार हो गया तो अपनी सफाई कैसे देगा . इसलिए आर एस एस पर प्रतिबन्ध की मांग करके कांग्रेसी प्रवक्ता ने लोकतांत्रिक व्यवस्था का तो अपमान किया ही है ,एक राजनीतिक पार्टी के रूप में अपनी पार्टी का काम भी कम करने की कोशिश की है . अगर आर एस एस पर इतना बड़ा आरोप लगा है तो कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का ज़िम्मा है कि उन आरोपों को साबित करें . लेकिन यह आरोप राजनीतिक तौर पर साबित करने होगें . अदालतों को अपना काम करने की पूरी छूट देनी होगी और निष्पक्ष जांच की गारंटी देनी होगी. ऐसी स्थिति में आम आदमी का ज़िम्मा भी कम नहीं है . उसे आर एस एस के आतंकवादी संगठन होने वाले आरोप के हर पहलू पर गौर करना होगा और अगर असीमानंद के आरोप सही पाए गए तो आर एस एस को ठीक उसी तरह से दण्डित करना पड़ेगा जैसे जनता ने १९७७ में इंदिरा गाँधी को दण्डित किया था . और अगर आर एस एस पर प्रतिबन्ध लगाने की बेवकूफी हो गयी तो आर एस एस सरकारी उत्पीडन के नाम पर बच निकलेगा जो देश की सुरक्षा के लिए भारी ख़तरा होगा . दुनिया जानती है कि देश की एक बहुत बड़ी पार्टी के ज़्यादातर नेता आर एस एस के ही हुक्म से काम करते हैं . अगर उनके ऊपर लगे आरोप गलत न साबित हो गए तो यह देश की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं होगा . इसलिए ज़रूरी है कि आर एस एस को किसी तरह के प्रतिबन्ध का शिकार न बनाया जाए और उसे सार्वजनिक रूप से अपने आपको निर्दोष साबित करने का मौक़ा दिया जाय . इस बीच आर एस एस और उसके अधीन काम करने वाली बीजेपी के कुछ नेताओं के अजीब बयान आएं है कि केंद्र सरकार की जांच एजेंसी उनके संगठन को बदनाम करने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही हैं . यह गलत बात है . देश की जनता सब जानती है . इस देश में बहुत ही चौकन्ना मीडिया है , बहुत बड़ा मिडिल क्लास है और जागरूक जनमत है . अगर सरकार किसी के ऊपर गलत आरोप लगाएगी तो जनता उसका जवाब देगी. इसलिए आर एस एस वालों को चाहिए कि वे अपने आप को असीमानंद के आरोपों से मुक्त करने के उपाय करें क्योंकि वे आरोप बहुत ही गंभीर हैं और अगर वे सच हैं तो यह पक्का है कि जनता कभी नहीं छोड़ेगी. हो सकता है कि सरकारी अदालतें इन लोगों को शक़ की बिना पर छोड़ भी दें . इंदिरा गाँधी ने १९७५ में इमरजेंसी को हर परेशानी का इलाज बताया था लेकिन जनता ने उनकी बात को गलत माना और १९७७ में उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा . २००४ में बीजेपी ने अरबों रूपया खर्च करके देश वासियों को बताया कि इंडिया चमक रहा है लेकिन जनता ने कहा कि बकवास मत करो और उसने राजनीतिक फैसला दे दिया . इसलिए असीमानंद के बयान के बाद हालात बहुत बदल गए हैं . और आर एस एस को चाहिए कि वह अपने आप को पाकसाफ़ साबित करे. और अगर नहीं कर सकते तो असीमानन्द और इन्द्रेश कुमार टाइप लोगों को दंड दिलवाने के लिएय अदालत से खुद ही अपील करे. यह राष्ट्र हित में होगा
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Sunday, January 9, 2011
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