शेष नारायण सिंह
रवीश कुमार ने किताब लिख मारा. बहुत अच्छा किया . न लिखते तो कुढ़ते रहते. मैं किताब लेने जा रहा हूँ. पढने के पहले की टिप्पणी करना ज़रूरी है क्योंकि अगर किताब का औपचारिक विमोचन हुआ होता तो मैं ज़रूर जाता ( अगर पता लगता तब). बाकी लोगों को तो नहीं मालूम होगा लेकिन मेरे रवीश कुमार से सम्बन्ध अच्छे हैं . वे ज़रूर मुझे ' दो शब्द ' वाले खाने में रखवा देते . तो जैसी कि परिपाटी है ,बिना पढ़े किताब के बारे में करीब पंद्रह सौ शब्दों का भाषण देता जो कुछ इस प्रकार चलता .
मुझे खुशी है कि रवीश कुमार ने अपने करीब १५ साल के अनुभव को कलम बंद कर दिया. मैं रवीश को करीब १२ साल से जानता हूँ . बहुत अच्छी तरह . वे दो तीन बार मेरे घर आ चुके हैं . और मैं भी उनके घर कई बार गया हूँ . बहुत अपनापा है , हम लोगों के बीच . वे मेरे बच्चों के घर के नाम जानते हैं , और मैं उनकी बेटी को उसके बचपन से जानता हूँ . उनकी पत्नी बहुत विद्वान् है. मैं और रवीश कुमार जिस नौकरी के लिए हमेशा तरसते रहे , उसी दिल्ली विश्वविद्यालय के सबसे अच्छे कालेज में वह लेक्चरर है . रवीश कुमार को सूजी का हलवा बहुत पसंद है ( यह अंदाज़ कर कह रहा हूँ ). जब भी मेरे घर आते , हलवा ज़रूर खाते.( यह भी गलत है ).
इस विषय पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है . जितने भी पुस्तक विमोचन समारोहों में मैंने डॉ नामवर सिंह को बोलते देखा है मेरा मन कह रहा है कि वह सब अपनी तरफ से लिख दूं . क्योंकि बिना किताब पढ़े और बिना लेखक या कवि को जाने उसकी तारीफ करने में उनके टक्कर का महात्मा कोई दूजा नहीं. तो कृपया रवीश कुमार की तारीफ में वे सारे भाषण मेरी तरफ से नोट कर लिए जाएँ, जो डॉ नामवर सिंह ने पिछले ५५ वर्षों में किताब के विमोचन समारोहों में दिए हैं .
किताब पढ़ कर जो राय बनेगी , कोशिश करूंगा कि उसे भी लिखूं . जय हिंद
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Tuesday, July 13, 2010
Wednesday, August 5, 2009
महुआ टीवी- महकती मिट्टी और सिसकती बोलियां
रवीश के 'कस्बा' से
तू केकरा से प्यार करेलू हो....बोल न...काहे डेरा तारू....मनोज तिवारी प्रतियोगियों से इसी ज़ुबान में बोल रहे थे। प्रतियोगी सहमे हुए लेकिन सहज भी लग रहे थे। अपनों के बीच भी सहम जाता है। रांची की रीमा सिंह का वीडियो प्रोफाइल चल रहा था। बिस्तर पर उनके पांव बिखरे पड़े थे। कैमरा पांव पर था। वॉयस ओवर कहता है कि पांव पर ही फिदा हो गए थे रीमा के पति। शादी कर ली। अब चाहते हैं कि रीमा संगीत की दुनिया में नाम करे।
अपने संबंधों की निजता को लेकर सार्वजनिक होने का मौका अपनी बोली में जितना मिलता है उतना किसी में नहीं। रीमा खुलने लगती हैं। पहली बार वैसे कपड़ो में मंच पर हैं, जो शायद उनके पहनावा का हिस्सा न होगा। लेकिन जैसे ही माइक हाथ में दी जाती है...उनका सुर आगे पढ़े
तू केकरा से प्यार करेलू हो....बोल न...काहे डेरा तारू....मनोज तिवारी प्रतियोगियों से इसी ज़ुबान में बोल रहे थे। प्रतियोगी सहमे हुए लेकिन सहज भी लग रहे थे। अपनों के बीच भी सहम जाता है। रांची की रीमा सिंह का वीडियो प्रोफाइल चल रहा था। बिस्तर पर उनके पांव बिखरे पड़े थे। कैमरा पांव पर था। वॉयस ओवर कहता है कि पांव पर ही फिदा हो गए थे रीमा के पति। शादी कर ली। अब चाहते हैं कि रीमा संगीत की दुनिया में नाम करे।
अपने संबंधों की निजता को लेकर सार्वजनिक होने का मौका अपनी बोली में जितना मिलता है उतना किसी में नहीं। रीमा खुलने लगती हैं। पहली बार वैसे कपड़ो में मंच पर हैं, जो शायद उनके पहनावा का हिस्सा न होगा। लेकिन जैसे ही माइक हाथ में दी जाती है...उनका सुर आगे पढ़े
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