शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली,२९ नवम्बर . कांग्रेस पार्टी की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं . पार्टी के महसचिव, राहुल गाँधी के तुफैल में दिल्ली में बुलाये गए यूथ कांग्रेस वालों को आज प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजनीति के बारे में बताया लेकिन लगता है कि उत्तर प्रदेश में एक राजनीतिक गलती के बाद उससे भी बड़ी गलती कर रहे राहुल गांधी के सामने असली समस्याएं आना शुरू हो गयी हैं . आज राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र ,अमेठी के राजा और उनकी पड़ोसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर आये संसद सदस्य संजय सिंह ने खुदरा कारोबार के अलोकप्रिय मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया . लोकसभा के कल तक के लिए स्थगित होने के बाद उन्होंने संसद भवन परिसर में ही पत्रकारों को बताया कि खुदरा कारोबार में विदेशी कंपनियों को पूंजी निवेश के लिए बुलाना बिकुल गलत राजनीति है . उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी की मूल राजनीतिक विचार धारा से बिलकुल अलग है और इसका विरोध किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे इसके खिलाफ हैं और वे प्रधान मंत्री को इसके बारे में पत्र लिख कर आगाह करने जा रहे हैं .उनका दावा है कि यह फैसला इस देश के आम आदमी पर सीधा वार करेगा और कम से कम यह तो कांग्रेस की राजनीति का मकसद कभी नहीं रहा कि आम आदमी को परेशान किया जाए.
उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनावों में एक मज़बूत राजनीतिक हैसियत के लिए अभियान चला रही कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक गैरमामूली चुनौती है . संजय सिंह का विरोध किसी एक एम पी का विरोध नहीं है . इस विरोध का खामियाजा कांग्रेस को तो भोगना ही पड़ेगा . खुद राहुल गांधी को अपने इलाके में पाँचों विधान सभा सीटें जीतने का सपना भूल जाना पडेगा. अगर कहीं संसद में दुर्दशा झेल रही कांग्रेस के पतन की शुरुआत हो गयी तो राहुल गांधी को राजनीति के सपने से भी तौबा करना पड़ सकता है . संजय सिंह के करीबी लोगों ने संकेत दिया है कि राहुल गांधी के पड़ोसी क्षेत्र से और उसी जिले से एम पी होने के बावजूद राहुल गांधी ने संजय सिंह से दूरी बना कर रखा हुआ है . हद तो तब हो गयी जब राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते लखनऊ के आस पास के जिलों में जनसंपर्क अभियान शुरू किया . उस अभियान में उनके साथ इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा और बाराबंकी के सांसद पी एल पुनिया सर्वेसर्वा के तौर पर मौजूद थे. उस इलाके की राजनीति जानने वालों का दावा है कि कांग्रेस सांसद जगदम्बिका पाल के घर के पास जब २५ नवम्बर को राहुल गांधी की सभा हुई ,उसी दिन दिल्ली में जगदम्बिका पाल के बेटे का रिसेप्शन था. यह कार्यक्रम करीब तीन महीने पहले से तय था लेकिन ऐन उसी दिन राहुल गांधी ने उनके गाँव के पास सभा की . सभा में जगदम्बिका पाल नहीं थे. संजय सिंह को भी वहां नहीं बुलाया गया था. एक सन्देश देने की कोशिश की गयी थी कि उत्तर प्रदेश में अब संजय सिंह और जगदम्बिका पाल जैसे लोगों की कोई ज़रुरत नहीं है , उनकी कमी को दिग्विजय सिंह बहुत ही प्रभाव शाली तरीके से पूरा कर रहे हैं. बताते हैं कि संजय सिंह का आज मीडिया से मुखातिब होना इसी तिरस्कार की राजनीति का एक नतीजा है .संजय गाँधी के १९७५-७६ वाले अमेठी कैम्प से हाईलाईट हुए जगदम्बिका पाल और संजय सिंह यू पी की राजनीति में इतना कुछ बिगाड़ सकते हैं जिसका अभी तक राहुल गांधी के नए सिपहसालार बने बेनी प्रसाद वर्मा और पी एल पुनिया को अंदाज़ तक नहीं होगा. संजय सिंह ने तो बोलना शुरू कर दिया है लेकिन अभी जगदम्बिका पाल चुप हैं लेकिन उनके करीबी लोगों का कहना है कि २५ तारीख को खलीलाबाद में सभा करके राहुल गांधी ने ऐसी हालत पैदा कर दी है कि अब जगदम्बिका पाल कांग्रेस के लिए वोट मांगने जायेगें तो उनके अपने लोग ही उन्हें गंभीरता से नहीं लेगें . संजय सिंह की भी यही हालत अमेठी में हो चुकी है . सरकार के खिलाफ बयान देकर वे अपने आपको ऐसी स्थिति में लाने की कोशिश कर रहे हैं कि कम से कम चुनाव के वक़्त वे इलाके में जाकर कह सकें कि उन्होंने तो कांग्रेस की गलत नीतियों का विरोध किया था.
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Sunday, December 4, 2011
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