Thursday, October 4, 2012

दक्षिण एशिया का सबसे परेशान राजनेता----आसिफ अली ज़रदारी



शेष नारायण सिंह 

दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा परेशान राजनेताओं की अगर लिस्ट बनायी जाए तो उसमें सबसे ऊपर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ,आसिफ अली ज़रदारी का नाम आयेगा. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उनके जीवन के पुराने किस्सों की पोल खोलने का  फैसला कर लिया है . यह वह किस्से  हैं जिसमें सदर-ए-पाकिस्तान एक अलग तरह की शख्सियत के मालिक के रूप में पहचाने जाते हैं . उस दौर में वे खुद हुकूमत में नहीं थे और देश की सबसे ताक़तवर राजनेता के पति के रूप में रहते थे. उनके ऊपर सत्ता का गैर वाजिब इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं .पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट को भरोसा है कि उन्होंने बहुत बड़ी रक़म स्विस बैंकों में जमा कर रखी है और सरकार को चाहिए कि स्विटज़रलैंड की सरकार से बात करके वह सारी रक़म वापस लायें . सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का एक आदेश भी जारी कर रखा है . पूर्व प्रधान मंत्री यूसुफ़ रज़ा गीलानी को सुप्रीम कोर्ट ने हुक्म दिया था कि  एक चिट्ठी स्विटज़रलैंड की सरकार के पास लिख भेजें जिसके बाद सारा पैसा वापस आ जाएगा. लेकिन प्रधान मंत्री गीलानी ने चिट्ठी वैसी नहीं  लिखी जैसी सुप्रीम कोर्ट चाहता था . इसी चक्कर में उनको गद्दी गंवानी पड़ी. अब नए प्रधान मंत्री आये हैं उन्होंने भी शुरू में तो बहुत जोर शोर से चिट्ठी लिखने की बात की थी लेकिन लगता है कि अब ढीले पड़ गए हैं . क्योंकि २६ सितम्बर  को जिस चिट्ठी का ड्राफ्ट लेकर उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी थी वह नाकाफी पाया गया और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आसिफ सईद खोसा ने सरकार की तरफ से पेश हुए कानून मंत्री फारूक नायक को चेताया कि आप इस चिट्ठी में ज़रूरी बदलाव करके ५ अक्टूबर तक लेकर आइये वरना सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुक़दमा चलाया जाएगा .सरकार का तर्क है कि आसिफ अली ज़रदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति हैं इसलिए उन्हें इस तरह के मुक़दमों में नहीं घसीटा कजा सकता . इसी तर्क के चलते पूर्व  प्रधान मंत्री यूसुफ़ रज़ा  गीलानी पर तौहीने अदालत का मुक़दमा चला था और उन्हें हटना पडा था. मौजूदा सरकार भी यही  तर्क दे रही थी लेकिन पिछले हफ्ते नए प्रधान मंत्री की समझ में मामले की गंभीरता आ गयी . लेकिन जो चिट्ठी लेकर उनके मंत्री महोदय पंहुचे थे  सुप्रीम कोट ने उसे बेकार की चिट्ठी बताया और कहा  कि अगर  यही रवैया रहा तो मौजूदा प्रधान मंत्री पर भी तौहीने अदालत का मुक़दमा चलेगा . जिस केस में  आसिफ अली ज़रदारी को घेरा गया है वह नब्बे के दशक का है जब उनकी  पत्नी स्व बेनजीर भुट्टो प्रधान मंत्री थीं और ज़रदारी साहब मिस्टर टेन परसेंट के रूप में जाने जाते थे. . उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने कस्टम ड्यूटी के निरीक्षण का ठेका किसी कारोबारी को दिलवाने के लिए सवा करोड़ डालर की रिश्वत ली थी. पाकिस्तान की सरकार के लिए ज़रदारी को बचाने का प्रोजेक्ट बहुत भारी पड़ रहा है . सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किसी मुरव्वत की उम्मीद किसी भी हालत में  नहीं है . २६ सितम्बर की सुनवाई में भी मौजूदा प्रधान मंत्री राजा परवेज़ अशरफ की ओर से पेश हुए कानून मंत्री ने जब गुजारिश की कि सुनवाई बंद कमरे में की जाय तो अदालत ने  कानून मंत्री की अर्जी को मंज़ूर तो कर लिया लेकिन उन्हें सख्त हिदायत दी कि ५ अक्टूबर  को जब वे तशरीफ़ लाईं तो टालने की गरज से नहीं अदालत की इच्छा का सम्मान करने के लिए आयें.
उधर अंतर राष्ट्रीय दुनिया का दबाव भी पाकिस्तान पर लगातार बढ़  रहा है . पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत ही खस्ता हालत में है .. उसे अमरीकी और सउदी अरब की मदद की ज़रुरत हर दम ही रहती है . लेकिन अमरीकी मदद  के बंद होने के खतरे हमेशा ही सर पर मंडराते रहते हैं . अमरीका सहित बाकी  दुनिया को लगता है कि पाकिस्तान की हुकूमत फौज और आई एस आई के दबाव में आकर काम करती है और आतंकवाद को बढ़ावा देती है . इस बात में सच्चाई भी हो सकती है  लेकिन पाकिस्तान की सिविलियन हुकूमत की यह औकात नहीं है कि वह फौज  या आई एस आई के काम में दखल दे सके. पाकिस्तान में आतंक के निजाम को नकारने का ज़िम्मा भी  ज़रदारी के काम में शामिल कर दिया गया है . २५ सितम्बर को उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण देने का मौक़ा मिला जहां वे पाकिस्तान की समस्याओं का ज़िक्र तक नहीं कर पाए. लगभग पूरे  वक़्त उन्होंने अंतर राष्ट्रीय बिरादरी से  यही अपील की कि उनके देश को आतंकवाद का स्पांसर न माना जाए . उन्होंने कहा कि हकीकत यह है  कि पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार है .अब वहां सवाल जवाब तो होता नहीं वरना कोई पत्रकार पूछ सकता था कि आतंकवाद के ज़रिये अपने पड़ोसी देशों , भारत और अफगानिस्तान में अपनी ताक़त बढाने का फैसला करते वक़्त इस बारे में विचार कर लेना चाहिए था .  आसिफ ज़रदारी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामने लगभग गिडगिडाते हुए कहा कि उनके देश ने आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए बहुत काम कर लिया है और अब उनकी हिम्मत  नहीं है कि वे एक देश के रूप में और भी कुछ कर सकें . उन्होंने कहा कि उनका देश आतंकवाद से परेशान है और बाकी दुनिया उनके ऊपर ही दबाव  बना रही है कि  आतंकवाद  ख़त्म करो.उन्होंने  अपने भाषण में कहा कि जितना पाकिस्तान ने झेला है उतना दुनिया के किसी देश ने आतंकवाद के मार को नहीं झेला है . उन्होंने  अपील किया कि  उनके देश के उन लोगों की याद को अपमानित न किया जाए इन्होने आतंकवाद के खिलाफ  लड़ते हुए अपनी जिंदगियां तबाह की हैं . उन्होंने अपने आपको भी आतंकवाद का पीड़ित बताया और कहा कि उनकी पत्नी जो  पाकिस्तान की  बहुत बड़ी नेता थीं, आतंकवादियों के कायराना हमले का शिकार हो गयी थीं . उन्होंने कहा कि उनके देश पर लगातार अमरीकी ड्रोन हमले होते रहते हैं इसलिए उन्हें अमरीकी नेतृत्व में भरोसा करने के लिए पाकिस्तानी अवाम को तैयार करने में बहुत परेशानी  का सामना करना पड़ता है . वे पाकिस्तान के बारे में किसी भी सवाल का जवाब नहीं देगें . उन्होंने बुलंद आवाज़ में कहा कि उनके देश के ७ हज़ार सैनिक और ३७ हज़ार लोग आतंकवाद के  शिकार हो चुके हैं . उन्होंने अपने आपको भी बेनजीर भुट्टो का शौहर होने के नाते आतंकवाद का शिकार बताया . . अब कोई इन ज़रदारी साहेब से पूछे के भाई आपके देश से आने वाले आतंक के चलते  पिछले ३० वर्षों में भारत के पंजाब , कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में  जो तबाही हुई है उसको भी जोड़ लीजिये तो तस्वीर बिलकुल अलग नज़र आयेगी.संयुक्त राष्ट्र की अपनी तक़रीर में आसिफ ज़रदारी अपने देश के उन तानाशाहों पर भी खासे नाराज़ नज़र आये जिनके लिए संयुक्त राष्ट्र में पलकें  बिछा दी जाती थीं . उन्हीं तानाशाहों ओर फौजी हुक्मरानों की वजह से उनके देश में आतंक भी बढ़ा है और आर्थिक हालात भी बिगड़े हैं . उन्होंने अन्तर राष्ट्रीय बिरादरी से अपील की कि पाकिस्तान की सिविलियन हुकूमत को इज्ज़त देगें  तो पाकिस्तानी अवाम का भला होगा.. उन्होंने शिकायत की  जिन फौजी तानाशाहों के कारण उनके देश का सब कुछ तबाह  हो गया है आप लोगों ने उन्हें तो सम्मान दिया और एक सिविलियन राष्ट्रपति से तरह तरह के सवाल पूछ रहे  हैं 
घरेलू मोर्चे पर भी  आसिफ अली ज़रदारी परेशान हैं . उनके बेटे बिलावल ज़रदारी भुट्टो के बारे में खबर है कि वे पाकिस्तान की मौजूदा विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार  से प्रेम करते हैं और उनसे शादी करना चाहते हैं . राष्ट्रपति ज़रदारी की परेशानी यह है कि वे अपने बेटे को उसकी उम्र से  ग्यारह साल बड़ी किसी महिला से शादी  नहीं करने देना चाहते ,खासकर अगर वह महिला शादीशुदा हो और दो बच्चियों की माँ हो. इसके अलावा वह महिला पाकिस्तान में बहुत ही प्रभावशाली परिवार की हैं और आसिफ  अली ज़रदारी को  डर है कि कहीं उनके बेटे के इस मुहब्बत भरे फैसले से उसका राजनीतिक भविष्य न चौपट हो जाए. बहर हाल जो भी हो , हालात ऐसे हैं कि आसिफ ज़रदारी को चैन से रहने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं .

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