शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली, २७ जुलाई. दिल्ली एक उर्दू साप्ताहिक अखबार के संपादक के साथ गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू आज यहाँ ज़बरदस्त चर्चा में है. आमा तौर पर माना जा रहा है कि मुसलमानों में नरेंद्र मोदी को स्वीकार्य बनाने के लिए बीजेपी ने एक उर्दू अखबार को इस्तेमाल किया . उर्दू अखबार के संपादक महोदय पत्रकारिता के साथ साथ समाजवादी पार्टी के नेता भी हैं . इसलिए समाजवादी पार्टी के लिए खासी मुश्किल पैदा हो गयी है . नरेंद्र मोदी की शख्सियत चमकाने के लिए किसी भी प्रोजेक्ट से अपनी पार्टी के किसी नेता क अनाम जुड़ने से पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को भारी चिंता हुई है . पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मुलायम सिंह यादव के बाद सबसे महत्वपूर्ण नेता प्रो. रामगोपाल यादव ने एक बयान जारी करके साफ़ कर दिया है कि नरेंद्र मोदी की छवि को सुन्दर बनाने का काम जिसने भी किया है उसका उनकी पार्टी से को लेना देना नहीं है . उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा है कि अखबारों, एलक्ट्रानिक मीडिया में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव , राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो राम गोपाल यादव , समाजवादी पार्टी ,उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी के बयानों को ही पार्टी का अधिकृत बयान माना जाए. . बाकी लोग जो टी वी पर अपनी राय देते हैं वह उनकी निजी राय हो सकती है . समाजवादी पार्टी का उससे कोई लेना देना नहीं है .
प्रो राम गोपाल यादव के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के नाम पर धंधा चला रहे लोगों के लिए खासी मुश्किल पैदा हो गयी है . लेकिन इसका असर टी वी चैनलों पर भी पडेगा .अब टी वी चैनलों पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता के रूप में हाजिरी लगाने वाले नेताओं के लिए तो मुश्किल होगी ही , टी वी चैनलों के लिए भी बहुत मुश्किल होगी. समाजवादी पार्टी किसी न किसी कारण लगभग रोज़ की अखबारों में बनी हुई है . ज़ाहिर है कि मीडिया को समाजवादी पार्टी का पक्ष तो चाहिए ही होता है . राम गोपाल यादव के बयान के बाद अब अधिकृत व्यक्तियों के अलावा किसी भी नेता को समाजवादी पार्टी के बारे में बात करने का अधिकार नहीं है
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