शेष नारायण सिंह
आर एस एस के खिलाफ दिग्विजय सिंह की मुहिम एक ऊंचे दर्जे की राजनीति है . आर एस एस की हमेशा कोशिश रही है कि वह अपने आपको गैर राजनीतिक मंच के रूप में पेश करे . लेकिन सच यह है कि वह एक राजनीतिक संगठन है . पहली बार आर एस एस की राजनीतिक स्वरुप को स्व मधु लिमये ने उजागर किया था और इसी मुद्दे पर इंदिरा गाँधी के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई कमज़ोर पड़ गयी थी क्योंकि उनके बेटे संजय गाँधी को आर एस एस ने अपनाने की मुहिम शुरू कर दी थी. अब तीस साल बाद दिग्विजय सिंह ने आर एस एस को मजबूर कर दिया है कि वह राजनीतिक पार्टी के रूप में अपना बचाव करे. राजनीतिक पार्टियों का एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना मज़बूत लोकतंत्र की निशानी है. इसलिए दिग्विजय का हमला और आर एस एस का बचाव दोनों का स्वागत किया जाना चाहिए .इस बीच आर एस एस वाले बचाव की मुद्रा में हैं . उनके टाप नेता और बम धमाकों के अभियुक्त इन्द्रेश कुमार के कुछ चेलों ने हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती, गरीब नवाज़ की अजमेर शरीफ़ स्थित दरगाह में दुआ माँगी है कि इन्द्रेश कुमार सलामत रहें. इस मुक़द्दस दरगाह पर तीन साल पहले हुए धमाकों की घटना की साज़िश में इन्द्रेश कुमार के शामिल होने का आरोप है . इन्द्रेश के जेबी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक मोहम्मद अफ़जाल कहते हैं कि उन्होंने डॉ सलीम के साथ एक समूह ने दरगाह में दुआ की और इन्द्रेश की सलामती के लिए चादर चढ़ाई...यानी जिस दरगाह को तबाह करने की कोशिश में इन्द्रेश के शामिल होने का आरोप है , उन्हीं ख्वाजा गरीब नवाज़ की शरण में जाकर दुआ मांगने का क्या मतलब है . जब से कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आर एस एस पर सीधा हमला बोला है संघी आतंक के इस आयोजक की सिट्टी पिट्टी गुम है . नामी अखबार इन्डियन एक्सप्रेस में छपे उनके आज के इंटर व्यू को देखें तो समझ में आ जाएगा कि वे हर उस काम के लिए अपने अलावा बाकी पूरी दुनिया को ज़िम्मेदार मानने का आग्रह कर रहे हैं जिसमें वे गुनाहगार हैं , मसलन , समझौता एक्सप्रेस में हुए बम धमाकों के लिए वे अब चाहते हैं कि उसके लिए रक्षा , विदेश और गृह विभाग के मंत्रियों की जांच हो . साथ ही राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह की भी जांच हो . यानी जो भी माननीय इन्द्रेश जी के ऊपर आरोप लगाएगा उसे वे हडका लेगें और डांटने लगेंगें .ख्वाजा गरीब नवाज़ से उन्होंने पता नहीं क्यों दुआ मांगने का फैसला किया .मतलब साफ़ है कि कांग्रेस महासचिव , दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में संघी आतंकवाद पर चल रहा कांग्रेस का हमला रंग ला रहा है. शुरू में तो आर एस एस ने कोशिश की कि अपने वफादार पत्रकारों और कुछ संघी लाइन वाले अखबारों की मदद से दिग्विजय सिंह को हिन्दू विरोधी साबित कर दिया जाएगा और फिर उन्हें पीट लेगें. लेकिन ऐसा हो नहीं सका . दिग्विजय सिंह ने भी साफ़ कहा और बार बार कहा कि वे भगवा या हिन्दू आतंकवाद जैसी किसी बात को सच नहीं मानते .उन्होंने कहा कि इस देश में करीब सौ करोड़ हिन्दू रहते हैं जिनमें से ९९ प्रतिशत से भी ज्यादा आर एस एस के खिलाफ हैं . ऐसी हालात में संघी आतंकवाद का यह दावा कि वे सभी हिन्दुओं के अगुवा हैं , मुंह के बल गिर जाता है. अस्सी के दशक में भी एक बार ऐसी नौबत आई थी जब आर एस एस ने तय किया कि जो उसके विरोध में है उसे हिन्दू विरोधी घोषित कर दिया जाए . वह ज़माना दूसरा था, हिन्दी क्षेत्रों में जो तीन चार बड़े अखबार थे , सब का राग आर एस एस वाला ही था. और उनकी कृपा से आर एस एस ने यह साबित कर दिया था कि जो भी उसके खिलाफ है वह हिन्दू मात्र के खिलाफ है . इस बार भी वही कोशिश शुरू की गयी. जब स्वर्गीय करकरे ने संघी आतंकवाद के पैरोकारों को चुन चुन कर पकड़ना शुरू किया तो संघी खेमे में हडकंप मच गया .हेमंत करकरे का ट्रांसफर कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया गया . खूंखार हिंदुत्व के सबसे बड़े विचारक , नरेंद्र मोदी को आगे कर के करकरे के नगर मुंबई में भी उनके खिलाफ जुलूस निकाले गए. लेकिन संघी आतंकवाद को करकरे के हाथों दण्डित होना नहीं लिखा था . पाकिस्तानी आतंकवाद के सरगना हाफ़िज़ सईद ने जब मुंबई के ऊपर हमला करवाया तो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हेमंत करकरे को ही मार डाला . हालांकि आज संघी बिरादरी ,शहीद हेमंत करकरे के लिए बहुत बड़ी बातें करती है लेकिन उनके जीवन काल में यह लोग उनके दुश्मन बन गए थे. ऐसा शायद इसलिए हुआ था कि संघ के सह्योगी संगठन , अभिनव भारत के बैनर तले काम करने वाले आतंकवादियों को पकड़ कर हेमंत करकरे ने आर एस एस का एक बहुत बड़ा हथियार छीन लिया था . हेमंत करकरे ने जब पुलिस सेवा के सर्वोच्च मानदंडों का परिचय देते हुए संघी आतंकवाद के कारनामों का पर्दाफाश किया उसके पहले ,आर एस एस और उसके मातहत संगठनों के लोग कहते पाए जाते थे कि ' हर मुस्लिम आतंकवादी नहीं होता ,लेकिन हर आतंकवादी मुस्लिम होता है .' जब करकरे ने आर एस एस और उसके अधीन संगठनों से जुड़े हुए लोगों को पकड़ लिया तो आर एस एस का मुसलमानों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाला सबसे धारदार हथियार बेकार हो गया . शायद इसीलिए आर एस एस के दिमाग में करकरे के लिए भारी नफरत थी. बहुत कम लोगों को मालूम है कि जिस दिन करकरे की अंत्येष्टि हुई , उसी दिन आर एस एस ने उनके खिलाफ बहुत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन कर रखा था. लेकिन जब वह बहादुर शहीद हो गया तो आनन् फानन में वह कार्यक्रम रद्द किया गया. दिल्ली में तो बहुत बड़ी संख्या में पोस्टर भी लगे थे . हो सकता है कि कभी कोई फोटोग्राफर उस सब को सार्वजनिक कर दे .
आर एस एस की कोशिश इस बार भी यही थी कि अर्ध सूचना और अर्ध सत्य के ज़रिये हर उस शख्स को घेर लिया जाएगा जो उनके खिलाफ बोलेगा . दिग्विजय सिंह पर हमला उसी रणनीति का हिस्सा है. इसे आर एस एस का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आजकल नियंत्रित मीडिया का ज़माना नहीं रहा . अस्सी के दशक वाली बात तो रही नहीं . अब तो सैकड़ों की संख्या में टेलिविज़न न्यूज़ के चैनल हैं और वे हर तरह के सच को बयान करते रहते हैं शायद इसी वजह से अब आर एस एस और उसके साथ सहानुभूति रखने वाले अखबार दिग्विजय सिंह पर चौतरफा हमला बोल चुके हैं . खबर है कि आर एस एस दिग्विजय सिंह से बहुत नाराज़ है क्योकि उन्होंने संघी आतंकवाद को हिन्दू धर्म से बिलकुल अलग कर दिया है और अब आर एस एस के अखबार भी दिग्विजय को घेरने में जुटे हैं . . सच्चाई यह है कि दिग्विजय सिंह हमेशा से ही कहते रहे हैं भगवा रंग एक पवित्र रंग है और हिन्दू धर्म का आतंक से कोई लेना देना नहीं है . लेकिन यह भी सच है कि आर एस एस भी हिन्दुओं का प्रतिनिधि नहीं है .आर एस एस की मुसीबत यह है कि अब आर एस एस के हर झूठ को उनके अखबारों में तो खबर के रूप में प्रचार होता है लेकिन बाकी मीडिया में उनकी सच्चाई सामने आ जाती है . .दिग्विजय सिंह ने रविवार को इंदौर में संघी आतंकवाद को घेरा और कहा,मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के वांछित आरोपियों संदीप डांगे और रामजी कलसांगरा को भी संघ प्रचारक सुनील जोशी की तरह कत्ल किया जा सकता है .उन्होंने कहा कि हैदराबाद की मक्का मस्जिद में धमाका, समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट और अजमेर की दरगाह में धमाके की साजिश हिंदू आतंकवाद नहीं बल्कि संघ आतंकवाद का एक रूप है। असीमानंद के कबूलनामे से साबित होता है कि संघ परिवार इन घटनाओं में शामिल है. दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि 2007 के समझौता एक्सप्रेस बम कांड के वांछितों संदीप डांगे, रामजी कलसांगरा तथा संघ के मृत प्रचारक सुनील जोशी का नाम लेते हुए कहा, फरारी के दौरान मध्य प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने न केवल उन्हें शरण दी, बल्कि आर्थिक मदद भी मुहैया कराई. सिंह ने आरोप लगाया कि संघ प्रचारक जोशी के हत्यारों को भी मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार संरक्षण देती रही है. दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि जोशी अपनी हत्या से पहले सारे राज फाश करने की धमकी देकर कुछ नेताओं को ब्लैकमेल कर रहा था। इसी लिए उसे कत्ल करवा दिया गया . इस बीच खबर है कि मृतक सुनील जोशी के कस्बे , देवास में आर एस एस की एक रैली निकाली गयी और लोगों को बाकायदा धमकाया गया कि अगर आर एस एस आतंक का रास्ता पकड लेगा तो बहुत मुश्किल हो जायेगी
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मनुष्यों का कोई भी संगठन कभी राजनीति से अलग नहीं रह सकता। जो कहता है उस का राजनीति से कोई मतलब नहीं वह पर्दे के पीछे राजनीति करता है। हमारे यहाँ ऐसे लोगों के लिए दोगला शब्द प्रचलित है।
ReplyDeleteउम्दा सामयिक लेख
ReplyDeleteबातें विचारणीय हैं
आभार