शेष नारायण सिंह
दुनिया के सामने एक अजीब विपदा आ पड़ी है . दुनिया भर में करीब ढाई हज़ार ठिकानों पर लगे हुए लगभग ७५ हज़ार कम्प्यूटर प्रणालियों को साइबर अपराधियों ने अपने निशाने में ले लिया है . इस तरह से दुनिया भर में लाखों कार्यालयों का डाटा, हैकरों के रहमो करम पर है .ख़तरा यह भी है कि इस चुराई गयी सूचना का कोई भी इस्तेमाल हो सकता है . हैक किये गए कम्प्यूटरों से निकाली गयी सूचना अगर आतंकवादी समूहों के हाथ लग गयी तो दुनिया का बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है ...अमरीका के नामी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने यह सनसनी खेज़ खुलासा किया है .
साइबर अपराधियों ने अपना काम २००८ में शुरू किया लेकिन इसका पता करीब एक महीने पहले लगा .अभी तक की जानकारी के हिसाब से कुछ बड़ी कंपनियों के रिकॉर्ड, क्रेडिट कार्ड के आंकड़े, और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी पर इन साइबर अपराधियों ने हाथ साफ़ कर दिया है ..हैकरों का यह जाल दुनिया के लगभग सभी देशों में फैला हुआ है ..अमरीकी शहर वर्जीनिया की एक कम्प्यूटर सुरक्षा कंपनी, नेट विटनेस की खोज के बाद यह सारी जानकारी सम्बंधित लोगों को हासिल हुई है ..अभी पिछले महीने गूगल ने दावा किया था कि उनकी बहुत सारी गुप्त सूचना को हैक कर लिया गया है .गूगल ने उस वक़्त कहा था कि यह सारी कारस्तानी चीन में शुरू हुई थी .. गूगल के अलावा वित्त, सुरक्षा , ऊर्जा, और मीडिया की क़रीब ३० बड़ी अमरीकी कंपनियों का डाटा भी साइबर चोरों के लिए खुली किताब बन चुका है ..
दिलचस्प बात यह है कि अब कम्पूटरों की सुरक्षा के लिए जो भी तरीके उपलब्ध हैं वे इस तरह के हमले केलिए नाकाफी हैं..यह हैकर इतने बेहतरीन कमांड और कंट्रोल सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं कि अगर किसी तरीके से उन का पता भी लगा लिया जाए तो कम्पूटरों में सुरक्षित जानकारी तक उनकी पंहुच को रोका नहीं जा सकता.जानकार बताते हैं कि लोगों के लोगिन की पूरी जानकारी इकठ्ठा करने का मतलब यह है कि साइबर अपराधियों के हाथ वह तरीके लग गए हैं जिस से वे दुनिया की वित्तीय व्यवस्था और बैंकों को भारी नुकसान पंहुचा सकते हैं .. अमरीकी सॉफ्टवेर सुरक्षा कंपनी नेट विटनेस के मुखिया अमित योरन का कहना है कि उनके सहयोगी इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि अब तक कितना नुकसान हो चुका है .. नुकसान को कम करने की तरकीबों पर भी काम हो रहा है . साइबर अपराधियों के इस खेल का शिकार जो कम्पनियां हुई हैं .अमरीका के सम्मानित अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल केअनुसार उसमें कार्डिनल हेल्थ और मर्क जैसी बड़ी कम्पनियां हैं.. इनके अलावा शिक्षा संस्थाएं, ऊर्जा कम्पनियां , बैंक और इन्टरनेट सेवाएँ प्रधान करने वाली कई बड़ी कम्पनियां इस अपराध के लपेटे में आ गयी हैं .अमरीकी सरकार के १० विभाग भी हैकिंग के शिकार हुए हैं . अमरीकी सरकारी सूत्रों ने दावा किया है कि इनमें सुरक्षा से सम्बंधित कोई भी एजेंसी शामिल नहीं है . अभी तक अमरीका , सउदी अरब , मिस्र, तुर्की और मेक्सिको में इस अपराध के शिकार हुए कम्पूटरों की जानकारी मिली है . इस सूची के बढ़ते जाने का ख़तरा बना हुआ है ...
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तकनीक के जितने फ़ायदे हैं, उतने ही नुक्सान भी हैं !!
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